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नवरात्रि व्रत में चाय-कॉफी: क्या सेवन से व्रत टूटता है? जाने शास्त्रीय सच

नवरात्रि व्रत में चाय-कॉफी: क्या सेवन से व्रत टूटता है? जाने शास्त्रीय सच

नवरात्रि व्रत में चाय और कॉफ़ी का सेवन वर्जित है, क्योंकि ये तामसिक और उत्तेजक पेय माने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार व्रत केवल आहार का त्याग नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक संयम का प्रतीक है। सात्त्विक आहार जैसे फल, सूखे मेवे और दुध़ उत्पाद व्रत में ऊर्जा और सात्त्विकता बनाए रखते हैं।

Navratri Fast: नवरात्रि के दौरान व्रत का पालन करते समय चाय और कॉफ़ी से परहेज़ करना चाहिए। हिंदू धर्म में यह व्रत केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक संयम का संकेत भी माना जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में नवरात्रि त्योहार शुरू हो चुका है और श्रद्धालु इस अवसर पर सात्त्विक आहार का सेवन करते हैं ताकि व्रत की पूर्णता और सात्त्विकता बनी रहे। व्रत के दौरान फल, सूखे मेवे और दुध़ उत्पाद प्रमुख विकल्प माने जाते हैं।

व्रत में चाय-कॉफ़ी क्यों नहीं

धार्मिक ग्रंथ और हिंदू शास्त्र स्पष्ट करते हैं कि व्रत के समय अनाज, नमक और तामसिक या उत्तेजक पदार्थों का सेवन वर्जित है। इसका उद्देश्य केवल आहार पर नियंत्रण नहीं, बल्कि इंद्रियों और मन पर संयम बनाए रखना भी है।

गरुड़ पुराण, मनुस्मृति और धर्मसिंधु जैसे ग्रंथ बताते हैं कि व्रत का अर्थ केवल भोजन का त्याग नहीं है, बल्कि शरीर और मन दोनों को शुद्ध करना और इंद्रियों पर नियंत्रण रखना भी शामिल है। इसलिए चाय और कॉफ़ी जैसी उत्तेजक और तामसिक पेय पदार्थ व्रत की सात्त्विकता को प्रभावित कर सकते हैं।

व्रत के दौरान सेवन से बचें

शास्त्रों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण दोनों के अनुसार चाय और कॉफ़ी का सेवन व्रत में नहीं करना चाहिए। इनमें मौजूद कैफीन शरीर को उत्तेजित करता है, जिससे मानसिक और शारीरिक संयम बिगड़ सकता है। यदि व्रत के दौरान इन पेयों का सेवन किया जाता है, तो यह व्रत की पूर्णता और सात्त्विकता को प्रभावित कर सकता है।

इसलिए, नवरात्रि व्रत के दौरान चाय और कॉफ़ी से पूरी तरह परहेज़ करना ही सही तरीका है। साथ ही, व्रत के दौरान सेवन किए जाने वाले पदार्थ सात्त्विक और ऊर्जा प्रदान करने वाले होने चाहिए, ताकि शरीर और मन दोनों स्वस्थ और सक्रिय रहें।

व्रत में क्या खाएं

  • ताजे फल: केला, सेब, अनार, अंगूर और पपीता व्रत में सबसे उपयुक्त माने जाते हैं।
  • सूखे मेवे: बादाम, अखरोट, काजू, किशमिश और मखाना ऊर्जा प्रदान करते हैं और सात्त्विक भोजन का हिस्सा माने जाते हैं।
  • दुग्ध उत्पाद: दूध, दही, छाछ, लस्सी और पनीर व्रत में लाभकारी और सुरक्षित होते हैं।
  • साबूदाना व्यंजन: साबूदाना खिचड़ी, वड़ा या खीर व्रत में आसानी से शामिल किया जा सकता है।
  • शकरकंद और सिंघाड़ा: इनसे बनी पूरी व्रत के लिए आदर्श मानी जाती है।
  • लड्डू और पूड़ी: आटे-आलू की पूड़ी और लड्डू भी सात्त्विक विकल्प हैं।
  • नमक का विकल्प: सामान्य नमक की बजाय सेंधा नमक का उपयोग करना चाहिए।
  • शहद और गुड़: यह ऊर्जा और सात्त्विकता बनाए रखते हैं।
  • नारियल पानी: हाइड्रेशन बनाए रखने और शरीर की शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।

सात्त्विक आहार का महत्व

व्रत के दौरान सात्त्विक आहार का सेवन न केवल शरीर को ऊर्जा देता है, बल्कि मन को भी स्थिर और शांत बनाए रखता है। फल, सूखे मेवे और दुध़ उत्पाद शरीर को पोषण प्रदान करते हैं और मानसिक संतुलन बनाए रखते हैं। साबूदाना, शकरकंद और सिंघाड़े से बनी डिशें पाचन में सहायक होती हैं और शरीर में आवश्यक ऊर्जा का संचार करती हैं।

नवरात्रि व्रत में खाने-पीने के नियमों का पालन करने से ना केवल धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। यह व्रत करने वाले को संयम, सात्त्विकता और आत्मनिर्भरता की सीख भी देता है।

 

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