संसद के दोनों सदनों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा होने जा रही है। जानकारी के अनुसार, सोमवार यानी 28 जुलाई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा में इस चर्चा की शुरुआत करेंगे। इस अहम विषय पर गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी चर्चा में भाग लेंगे।
नई दिल्ली: भारत की संसद में आगामी 28 और 29 जुलाई को एक अहम और संवेदनशील विषय पर बहस होने जा रही है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम आतंकी हमले पर विशेष चर्चा की जाएगी। इस चर्चा की शुरुआत 28 जुलाई (सोमवार) को लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा की जाएगी, जबकि 29 जुलाई को यही चर्चा राज्यसभा में आयोजित की जाएगी। दोनों सदनों में इस चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाग लेने की भी संभावना जताई जा रही है।
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का व्यापक दायरा
इस विशेष चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, और भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर व निशिकांत दुबे भी भाग लेंगे। चर्चा का उद्देश्य देश की सुरक्षा, विदेश नीति, आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई, और हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर सरकार की नीति को स्पष्ट करना है।
सूत्रों के अनुसार, दोनों सदनों में इस विषय पर लगभग 16 घंटे की चर्चा निर्धारित की गई है। यह चर्चा संसद के मानसून सत्र का अब तक का सबसे बड़ा विमर्श बन सकती है।
विपक्ष की मांग पर सरकार की सहमति
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' और पहलगाम आतंकी हमले पर संसद में चर्चा की मांग की थी। सरकार ने तुरंत इस पर सहमति जताई, लेकिन इसके बावजूद संसद में लगातार हंगामा जारी रहा। रिजिजू ने विपक्ष से संसद की कार्यवाही बाधित न करने की अपील की।
उन्होंने कहा: हमने स्पष्ट किया कि हम 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक हुई, जिसमें 28 जुलाई को लोकसभा और 29 जुलाई को राज्यसभा में इस मुद्दे पर विशेष चर्चा का निर्णय लिया गया।
सभी मुद्दों पर एक साथ चर्चा संभव नहीं: रिजिजू
रिजिजू ने स्पष्ट किया कि संसद में एक साथ सभी मुद्दों पर चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने बताया कि विपक्ष ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया और अन्य कई मुद्दों पर बहस की मांग की थी, लेकिन फिलहाल सरकार का फोकस 'ऑपरेशन सिंदूर' और आतंकवाद पर है। अन्य मुद्दों पर चर्चा बाद में तय की जाएगी।
इस बीच, संसद में एक और बड़ा मुद्दा उठाया जा रहा है। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते लोकसभा में हटाने का प्रस्ताव लाया जाएगा। रिजिजू ने बताया कि इसके लिए 150 से अधिक सांसदों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। राज्यसभा में इसी तरह के प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिल पाई, जिससे निचले सदन में इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है। उम्मीद की जा रही है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जल्द ही इस मामले में तीन सदस्यीय जांच समिति की घोषणा करेंगे।
न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के तहत कार्रवाई
न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के प्रावधानों के अनुसार, यदि लोकसभा में न्यायाधीश के खिलाफ कार्यवाही शुरू होती है और वह वैध मानी जाती है, तो आगे की प्रक्रिया राज्यसभा में भेजी जाती है। इस अधिनियम के तहत किसी भी न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों की सहमति आवश्यक होती है।
मानसून सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष द्वारा लगातार विरोध-प्रदर्शन और हंगामे के चलते संसद की कार्यवाही प्रभावित रही है। रिजिजू ने बताया कि अब तक केवल एक विधेयक ही पारित किया जा सका है। ऐसे में सरकार अब मुद्दों पर केंद्रित बहस और सार्थक कार्यवाही की दिशा में कदम बढ़ा रही है।