पंजाब में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त। भारतीय सेना राहत कार्य में लगी। फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला। खाना, पानी और दवाइयां पहुंचाईं। मां और नवजात को बचाकर मानवता की मिसाल पेश की।
Punjab Flood: पंजाब में बाढ़ की स्थिति बेहद गंभीर है। राज्य की रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के उफान के कारण गुरदासपुर समेत कई जिले बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। हजारों गांव जलमग्न हैं और लाखों लोग बेघर हो चुके हैं। आम जनता का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। फसलें बर्बाद हो रही हैं और सड़क, पुल और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं पर भी भारी असर पड़ा है।
राज्य सरकार और प्रशासन ने राहत कार्य तेज कर दिए हैं, लेकिन इस संकट में सबसे बड़ी भूमिका भारतीय सेना निभा रही है। सेना राहत और बचाव कार्य में लगातार जुटी हुई है और फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए अपने जवानों को मैदान में उतारा है।
भारतीय सेना ने शुरू किया व्यापक राहत अभियान
भारतीय सेना के जवानों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर राहत और बचाव अभियान शुरू किया है। गुरदासपुर जिले के नारंगपुर और ओगरा गांवों में सेना ने नावों के माध्यम से फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। राहत कार्य में खाना, पानी और दवाइयों की आपूर्ति की जा रही है।
सेना के डॉक्टर बाढ़ पीड़ितों का इलाज कर रहे हैं और उन्हें आवश्यक दवाइयां उपलब्ध करा रहे हैं। इस दौरान, जवानों ने बाढ़ में फंसे परिवारों की मदद के लिए 24 घंटे काम किया और हर चुनौती का सामना साहस और समर्पण के साथ किया।
मां और नवजात की सुरक्षा में सेना की मानवता
राहत कार्य के दौरान सेना के जवानों ने एक मां और उसके 15 दिन के नवजात बच्चे को सुरक्षित निकालकर मानवता की मिसाल पेश की। जानकारी मिली कि मां हाल ही में सी-सेक्शन सर्जरी से उभरी थी और अपने नवजात के साथ बाढ़ग्रस्त घर में फंसी हुई थी।
सूचना मिलते ही सेना ने तुरंत बचाव अभियान चलाया और मां और नवजात को घर की पहली मंजिल से सुरक्षित बाहर निकाला। उन्हें सेना के वाहन के माध्यम से 15 किलोमीटर दूर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। यह घटना भारतीय सेना के साहस और मानवता की एक अनोखी मिसाल है।
लाखों एकड़ फसल और ग्रामीण जीवन प्रभावित
पंजाब में यह बाढ़ बीते चार दशकों की सबसे भीषण मानी जा रही है। 3 लाख एकड़ से अधिक कृषि भूमि पानी में डूब चुकी है, जिससे धान और अन्य फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। लगभग 1000 से अधिक गांव जलमग्न हो चुके हैं और हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हुए हैं।
इस संकट के समय, भारतीय सेना ने राहत कार्यों में एनडीआरएफ, बीएसएफ और पंजाब पुलिस के साथ मिलकर काम किया। सेना और अन्य एजेंसियों की यह संयुक्त कार्रवाई लोगों के लिए आशा की किरण साबित हुई है।
बचाव और राहत कार्य में सैन्य रणनीति
भारतीय सेना ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए विभिन्न रणनीतियों को अपनाया है। नावों और मोटर बोट्स के जरिए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। सेना ने मेडिकल टीमों को राहत शिविरों में तैनात किया है ताकि किसी भी इमरजेंसी स्थिति में तुरंत इलाज किया जा सके।
सेना ने राहत शिविरों में खाने-पीने, कपड़े और दवाइयों का इंतजाम किया है। साथ ही, जवान लगातार बाढ़ के बढ़ते पानी और तेज बहाव के बीच भी बचाव कार्य में लगे हुए हैं।
पंजाब में बाढ़ की गंभीर स्थिति
राज्य के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ ने जनजीवन को प्रभावित किया है। सतलुज नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण मोगा और गुरदासपुर जिलों के कई गांव पानी में डूब चुके हैं। ग्रामीणों को नावों और सेना की मदद से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
बाढ़ के कारण सड़क, पुल और बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है। राज्य सरकार और सेना मिलकर राहत कार्यों को तेजी से अंजाम दे रही हैं।
भारतीय सेना के समर्पण और साहस की मिसाल
भारतीय सेना ने इस संकट में अपनी तत्परता और समर्पण दिखाया है। जवान न केवल लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं, बल्कि फंसे हुए लोगों को खाना, पानी और दवाइयां भी मुहैया करा रहे हैं। सेना की मदद से बाढ़ पीड़ितों को राहत शिविरों में रखा जा रहा है। जवान लगातार मौसम की बदलती स्थिति के बावजूद बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। सेना की यह प्रतिबद्धता लोगों के दिलों में भरोसा और उम्मीद जगाती है।
राहत और पुनर्वास में आगे बढ़ी अन्य एजेंसियां
भारतीय सेना के साथ एनडीआरएफ, बीएसएफ और पंजाब पुलिस भी राहत कार्यों में सक्रिय हैं। ये एजेंसियां बाढ़ प्रभावित इलाकों में आवश्यक सेवाएं मुहैया करा रही हैं। राहत शिविरों में पीड़ितों के लिए भोजन, पानी, कपड़े और मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।