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Premanand Ji Maharaj: मौन और एकांत में छिपा जीवन का असली चमत्कार

Premanand Ji Maharaj: मौन और एकांत में छिपा जीवन का असली चमत्कार

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार जीवन का सबसे बड़ा रहस्य मौन और एकांत में छिपा है। वे मानते हैं कि व्यर्थ की बातें और नकारात्मक आलोचनाएं मन को प्रभावित करती हैं। प्रभु के चिंतन और भक्तिपूर्ण जीवन में मन, बुद्धि और समय को समर्पित करने से मानसिक शांति, प्रसन्नता और हर परिस्थिति में स्थायी आनंद प्राप्त होता है।

Premanand Ji Maharaj: जीवन में मानसिक शांति और आंतरिक प्रसन्नता पाने का मार्ग मौन, एकांत और प्रभु के चिंतन में निहित है। प्रेमानंद महाराज का कहना है कि व्यर्थ की बातें सुनना और नकारात्मक आलोचनाओं में उलझना मन को प्रभावित करता है। उनका सुझाव है कि समय को आध्यात्मिक साधना और प्रभु चिंतन में निवेश किया जाए। इससे व्यक्ति हर परिस्थिति में प्रसन्न रहता है और भक्तिपूर्ण जीवन अपनाकर स्थायी मानसिक सुख अनुभव करता है।

व्यर्थ की बातों से दूरी बनाएं

प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि जीवन का सबसे बड़ा रहस्य मौन और एकांत में छिपा है। उनका कहना है कि व्यक्ति को व्यर्थ की बातों और नकारात्मक आलोचनाओं से दूर रहना चाहिए। ऐसे लोग अक्सर संतों और भक्तों की निंदा करते हैं, जिससे मन का प्रभु चिंतन प्रभावित हो सकता है। महाराज के अनुसार, अपने समय को व्यर्थ की बातें सुनने या देखने में लगाने से बेहतर है कि इसे प्रिया, प्रियतम या आध्यात्मिक साधना में निवेश किया जाए।

शास्त्रों में भी भक्तों की निंदा को अत्यंत पापकारी माना गया है। “भक्ति निंदा अति बुरी, भूलि करौ जिन कोइ. किये सुकृत सब जनम के, छिन में डारत खोइ॥” के अनुसार, भक्तों की निंदा से पिछले जन्मों के किए गए पुण्य भी क्षणभर में नष्ट हो जाते हैं। इसलिए महाराज सलाह देते हैं कि ऐसे लोगों का संग और बैठक टालनी चाहिए जो संतों, भक्तों या भगवत की निंदा करते हैं।

मन में बुरे ख्याल क्यों आते हैं और कैसे उनसे मुक्ति पाएं

शोक, दुख, कलेश, कष्ट और भय अक्सर मानव मन को परेशान करते हैं, जिससे मानसिक थकावट और डिप्रेशन जैसी स्थिति उत्पन्न होती है। बार-बार नकारात्मक ख्याल आने से जीवन में उत्साह और मनोबल घटता है। प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि जब व्यक्ति अपने मन, बुद्धि और जीवन को श्यामा श्याम को समर्पित कर देता है, तो बुरे ख्याल उसके मन में प्रवेश नहीं कर पाते। प्रभु को समर्पित जीवन से मानसिक शांति और आंतरिक प्रसन्नता मिलती है।

भक्तिपूर्ण जीवन अपनाने वाले व्यक्ति पर दुख और कष्ट कम असर करते हैं। महाराज के अनुसार, राधा-राधा का नाम जप और प्रभु के चिंतन में मन लगाने से जीवन आनंदमय बनता है। हर परिस्थिति में प्रसन्न रहना सच्चे उपासक की पहचान है। अनुकूल और प्रतिकूल दोनों परिस्थितियों में भी प्रसन्न रहना भगवान की शरण में होने का प्रतीक है।

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