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प्रत्यक्ष कर संग्रह में 5% वृद्धि, टैक्स रिफंड में रिकॉर्ड 58% उछाल

केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में 19 जून तक प्रत्यक्ष कर संग्रह में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

भारत सरकार के लिए वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत सकारात्मक संकेतों के साथ हुई है। प्रत्यक्ष कर संग्रह के हालिया आंकड़े बताते हैं कि सरकार की झोली इस बार पहले से अधिक भर सकती है। भले ही टैक्स रिफंड में भारी बढ़ोतरी हुई हो, लेकिन सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में मजबूती दिखाई दे रही है, जो देश की आर्थिक स्थिति और करदाताओं की भागीदारी को दर्शाता है।

सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में 4.86 प्रतिशत की वृद्धि

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 के पहले ढाई महीनों में (1 अप्रैल से 19 जून तक) प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.86 प्रतिशत बढ़कर 5.45 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की समान अवधि के 5.19 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।

इसमें कॉर्पोरेट टैक्स, व्यक्तिगत आयकर, सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) और अन्य कर शामिल हैं। इन आंकड़ों से साफ होता है कि अर्थव्यवस्था की रिकवरी और टैक्सपेयर के अनुपालन में सुधार हो रहा है।

रिफंड में 58 प्रतिशत की उछाल: करदाताओं को समय पर वापसी

इस वर्ष टैक्स रिफंड में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी गई है। 2025 में अब तक 86,385 करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया है, जो पिछले साल के मुकाबले 58.04 प्रतिशत अधिक है।

रिफंड में यह उछाल आयकर विभाग की नई प्रक्रियाओं और डिजिटल पोर्टल्स की बेहतर कार्यप्रणाली का परिणाम है। टैक्स फाइलिंग से लेकर रिफंड प्रोसेसिंग तक की प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक तेज और पारदर्शी हो चुकी है, जिससे करदाताओं को समय पर लाभ मिल रहा है।

हालांकि, इस भारी रिफंड के कारण शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में 1.39 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई है, जो अब 4,58,822 करोड़ रुपये रह गया है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले कुछ कम है, लेकिन कुल परिदृश्य में सकारात्मक रुझान बना हुआ है।

अग्रिम कर भुगतान में भी तेजी

वित्त मंत्रालय के मुताबिक अग्रिम कर (Advance Tax) भुगतान में 3.87 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। यह अब बढ़कर 1,55,533 करोड़ रुपये हो गया है।

विशेष रूप से कॉर्पोरेट अग्रिम कर भुगतान में 5.86 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 1,21,604 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। हालांकि, गैर-कॉर्पोरेट अग्रिम कर में 2.68 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है, जो 33,928 करोड़ रुपये रहा।

इस अंतर से यह संकेत मिलता है कि कंपनियों के मुनाफे और अनुमानित आय में सुधार हो रहा है, जबकि व्यक्तिगत करदाताओं पर अभी भी कुछ दबाव हो सकता है।

ई-पे टैक्स सुविधा: डिजिटल इंडिया की दिशा में एक कदम

CBDT द्वारा करदाताओं की सुविधा के लिए शुरू की गई नई सुविधा 'e-Pay Tax' ने टैक्स भरने की प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया है। यह प्लेटफॉर्म आयकर विभाग के पोर्टल पर उपलब्ध है और इसके जरिए व्यक्ति या कंपनियां सीधे ऑनलाइन टैक्स जमा कर सकते हैं।

यह बदलाव डिजिटल इंडिया मिशन को भी बल देता है और करदाताओं के अनुभव को पहले से बेहतर बनाता है।

नई इनकम टैक्स बिल से जुड़े बदलावों पर भी नजर

सरकार ने जुलाई 2024 में पेश किए जाने वाले आम बजट में आयकर अधिनियम, 1961 को संशोधित करने की योजना बनाई है। इसके तहत एक नया आयकर विधेयक संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को सरल, पारदर्शी और विवाद रहित बनाने की बात कही है। सरकार चाहती है कि कर ढांचा इतना सहज हो कि आम नागरिक भी उसे बिना किसी जटिलता के समझ सके।

इस नए बिल के जरिए 12 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले करदाताओं को राहत मिलने की उम्मीद है। उन्हें 60,000 रुपये की अतिरिक्त छूट दी जाएगी, जिससे उनकी कर देनदारी शून्य हो सकती है।

हितधारकों से सुझाव लिए जा रहे हैं

18 मार्च 2025 को सरकार ने ड्राफ्ट इनकम टैक्स बिल पर हितधारकों से सुझाव मांगे थे। वर्तमान में एक प्रवर समिति इस ड्राफ्ट का गहन अध्ययन कर रही है ताकि अंतिम बिल में सभी वर्गों के विचारों को शामिल किया जा सके।

यह परामर्श प्रक्रिया सरकार की पारदर्शिता और समावेशी नीति को दर्शाती है।

सरकार को क्यों है उम्मीद ज्यादा संग्रह की?

  • इकोनॉमिक रिकवरी: महामारी के बाद धीरे-धीरे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। कारोबारी गतिविधियां बढ़ी हैं और कंपनियों के मुनाफे में सुधार हुआ है, जिससे टैक्स भुगतान में बढ़ोतरी हो रही है।
  • डिजिटलीकरण: ई-फाइलिंग, ऑनलाइन टैक्स पेमेंट, त्वरित रिफंड जैसी सुविधाओं ने टैक्स कंप्लायंस को बेहतर किया है।
  • पारदर्शिता और ट्रैकिंग: TDS, PAN-Aadhaar लिंकिंग, और AIS (Annual Information Statement) जैसे टूल्स से कर चोरी पर लगाम लगी है।
  • नई कर प्रणाली से राहत: सरल और प्रभावी टैक्स सिस्टम से अधिक लोग टैक्स के दायरे में आ रहे हैं।

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