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RBI फिर घटा सकता है रेपो रेट, जानिए अगस्त की RBI बैठक में क्या हो सकता है बड़ा फैसला

RBI फिर घटा सकता है रेपो रेट, जानिए अगस्त की RBI बैठक में क्या हो सकता है बड़ा फैसला

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अगली मौद्रिक नीति बैठक में रेपो रेट में एक और कटौती की संभावना बढ़ गई है। यह बैठक 4 अगस्त से 6 अगस्त 2025 के बीच होनी है। इस आशा को बल तब मिला जब वित्त मंत्रालय ने सोमवार को अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में साफ संकेत दिए कि महंगाई दर केंद्रीय बैंक के निर्धारित लक्ष्य से नीचे बनी हुई है। इसी आधार पर यह कहा गया है कि रेपो रेट में और कमी की गुंजाइश है।

फरवरी से लेकर जून 2025 तक आरबीआई पहले ही रेपो रेट में कुल एक प्रतिशत की कटौती कर चुका है, जिससे बैंकिंग सेक्टर में कर्ज की दरों में काफी राहत मिली है। अब अगस्त में एक और कटौती की संभावनाएं बन रही हैं।

खुदरा महंगाई दर 6 साल के न्यूनतम स्तर पर

देश में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई आधारित महंगाई दर बीते कुछ महीनों से 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे चल रही है। मई 2025 में यह आंकड़ा घटकर 2.82 प्रतिशत तक पहुंच गया, जो बीते 6 वर्षों में सबसे कम है। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया कि मुख्य महंगाई अभी भी काफी नरम बनी हुई है और आरबीआई के 4 प्रतिशत औसत लक्ष्य से नीचे है। यही वजह है कि रेपो रेट में और कटौती का रास्ता साफ दिखाई दे रहा है।

रेपो रेट घटेगा तो कर्ज होगा सस्ता

रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब यह दर घटती है, तो बैंक भी अपने ग्राहकों को सस्ते दर पर लोन देना शुरू करते हैं। इससे होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन जैसे सभी कर्ज सस्ते हो जाते हैं और आम आदमी की मासिक किस्त यानी ईएमआई में कमी आती है। यह आर्थिक गतिविधियों को गति देने का एक अहम तरीका माना जाता है।

आरबीआई का अनुमान भी महंगाई पर नरम रुख दिखाता है

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही के लिए हेडलाइन महंगाई दर का अनुमान 3.4 प्रतिशत रखा है। पहले तिमाही की असली महंगाई दर इस अनुमान से भी कम रही है। सरकार ने आरबीआई को निर्देश दिए हैं कि वह खुदरा महंगाई को 2 प्रतिशत घट-बढ़ की सीमा में रखते हुए 4 प्रतिशत पर बनाए रखे। वर्तमान के आंकड़े दिखाते हैं कि महंगाई इस दायरे में पूरी तरह नियंत्रण में है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पूरे वित्त वर्ष में महंगाई दर आरबीआई के पूर्वानुमान 3.7 प्रतिशत से भी कम रहने के संकेत मिल रहे हैं।

वैश्विक तेल बाजार से भी राहत की उम्मीद

महंगाई को नीचे बनाए रखने में एक बड़ा योगदान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों का भी है। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, ओपेक और उसके सहयोगी देशों ने अगस्त 2025 में उत्पादन में 5 लाख 48 हजार बैरल प्रतिदिन की वृद्धि की है। इसके चलते वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें नरम बनी हुई हैं।

भारत, जो ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, को इससे सीधा फायदा हो रहा है। सस्ती ऊर्जा महंगाई को नीचे रखने में बड़ी भूमिका निभा रही है।

टैक्स कटौती के बावजूद सरकार की आमदनी बनी हुई है

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार के राजस्व स्रोत मजबूत बने हुए हैं। केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने राजकोषीय अनुशासन बनाए रखते हुए पूंजीगत खर्च को गति दी है। टैक्स दरों में कटौती के बावजूद जीएसटी, आयकर और कॉरपोरेट टैक्स जैसे स्रोतों से आमदनी में अच्छी बढ़ोतरी हो रही है।

वित्त मंत्रालय का कहना है कि आर्थिक गतिविधियों में सुधार और टैक्स कलेक्शन की बेहतर रणनीति की वजह से राजस्व में लगातार दहाई अंक में वृद्धि दर्ज की जा रही है। इससे सरकार को राहत मिल रही है और महंगाई को नियंत्रित करने के लिए नीति निर्माण में सहूलियत हो रही है।

बाजार भी कर रहा है संभावित कटौती की प्रतीक्षा

बाजार के जानकार और निवेशक पहले से इस बात की उम्मीद कर रहे हैं कि अगस्त में एमपीसी की बैठक में रेपो रेट में एक और कटौती हो सकती है। बैंकिंग और रियल एस्टेट जैसे सेक्टरों की नजरें अब आरबीआई के फैसले पर टिकी हुई हैं। ब्याज दरों में और नरमी आने से इन सेक्टरों को बड़ी राहत मिल सकती है और आर्थिक गतिविधियों को भी रफ्तार मिलेगी।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट से बढ़ी संभावनाएं

वित्त मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट कई अहम बातों की तरफ इशारा करती है। महंगाई नियंत्रण में है, कच्चे तेल की कीमतें स्थिर हैं, सरकारी खर्च में तेजी है और टैक्स वसूली में मजबूती बनी हुई है। इन सभी संकेतकों को देखते हुए आरबीआई के पास रेपो रेट में और कटौती का विकल्प खुला हुआ है।

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की आगामी बैठक अब इस दिशा में अगला बड़ा कदम साबित हो सकती है। देश के लाखों कर्जधारकों के लिए यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इसका असर उनकी जेब पर सीधे पड़ेगा।

आने वाले दिनों में फैसले पर रहेगी नजर

अगस्त में होने वाली आरबीआई की बैठक अब आम लोगों से लेकर उद्योग जगत तक, सभी की नजरों में है। क्या वाकई रेपो रेट फिर से घटेगा, क्या ईएमआई और सस्ती होगी, और क्या अर्थव्यवस्था को इससे नया बल मिलेगा — इन सभी सवालों के जवाब अगले सप्ताह सामने आ सकते हैं। तब तक बाजार और आम जनता को इंतजार करना होगा।

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