सावन का महीना भगवान शिव की उपासना का सबसे पवित्र समय माना जाता है। विशेषकर सोमवार के दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। लेकिन अगर किसी कारणवश व्रत पूरा न हो पाए, या किसी गलती से नियम टूट जाए, तो कई बार मन में अपराधबोध और चिंता घर कर लेती है। जबकि शास्त्रों के अनुसार व्रत का मूल उद्देश्य केवल भूखा रहना नहीं, बल्कि संयम, भक्ति और आंतरिक शुद्धता है।
सावन सोमवार का व्रत क्यों रखा जाता है
यह व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि सावन में किए गए व्रत भगवान शिव को शीघ्र प्रसन्न करते हैं। भक्त इस दिन जल, फलाहार या निर्जल व्रत रखते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
अगर भूल से व्रत टूट जाए तो क्या करें
डरने की जरूरत नहीं
अगर व्रत अनजाने में टूट गया है तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि भगवान शिव को 'आशुतोष' कहा जाता है यानी वे थोड़े प्रयास से भी प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए आत्मग्लानि में डूबने की जरूरत नहीं होती।
भगवान शिव से क्षमा याचना करें
शिव पुराण में कहा गया है कि यदि भक्त सच्चे मन से भगवान शिव से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगे, तो वे उसे अवश्य स्वीकार करते हैं।
श्रद्धापूर्वक कहें:
"हे भोलेनाथ, मुझसे अनजाने में व्रत का नियम भंग हुआ है, कृपया मेरी भूल क्षमा करें और अपनी कृपा बनाए रखें।"
यह भाव ही भगवान को प्रिय होता है।
अगला सोमवार करें प्रायश्चित व्रत
गलती से व्रत टूटने की स्थिति में अगला सोमवार प्रायश्चित स्वरूप व्रत रखा जा सकता है। इस दिन नियमपूर्वक व्रत, अभिषेक, और जप करने से पहले के दोष दूर हो सकते हैं।
शास्त्रों में इस प्रकार के प्रायश्चित व्रत को मान्यता दी गई है।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करें
व्रत टूटने के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से विशेष पुण्य फल मिलता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
मंत्र:
"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्,
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्"
जप के लिए कम से कम 108 बार माला फेरना उचित माना जाता है।
रुद्राभिषेक करें
शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल, बेलपत्र, भस्म आदि से रुद्राभिषेक करने का विधान है। इस प्रक्रिया को श्रद्धा और विधिपूर्वक करें।
रुद्राभिषेक से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है और व्रत भंग का दोष भी कम होता है।
दान और सेवा से करें पूर्ति
अगर व्रत टूट जाए तो उस दिन किसी जरूरतमंद को अन्न, वस्त्र या जल का दान करें। इससे व्रत का अधूरापन कम होता है।
उपयोगी सेवाएं:
- अन्नदान या फल वितरण
- गौ सेवा
- मंदिर में जल या छाया की व्यवस्था
- गरीबों को भोजन
इनसे न केवल पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि आत्मिक संतोष भी मिलता है।
व्रत टूटने के सामान्य कारण
- भूलवश कुछ खा लेना
- समय से पहले जल पीना
- मानसिक या शारीरिक अस्वस्थता
- पूजा विधि में कोई त्रुटि
ऐसी स्थितियों में शास्त्र भी लचीलापन दिखाते हैं और भावना को सर्वोपरि मानते हैं।