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SC ने की तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी के खिलाफ बीजेपी की याचिका खारिज, राजनेताओं को दिया सहनशीलता का संदेश

SC ने की तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी के खिलाफ बीजेपी की याचिका खारिज, राजनेताओं को दिया सहनशीलता का संदेश

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी के खिलाफ बीजेपी की याचिका खारिज की। अदालत ने कहा कि कोर्ट का इस्तेमाल राजनीतिक संघर्ष के लिए नहीं किया जा सकता। राजनेताओं को आलोचना सहने के लिए मोटी चमड़ी होनी चाहिए।

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ बीजेपी की याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका तेलंगाना बीजेपी नेता की तरफ से दायर की गई थी, जिसमें रेवंत रेड्डी के कथित विवादित भाषण के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने स्पष्ट कहा कि अदालत को सियासी अखाड़े में नहीं बदला जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप एक राजनेता हैं तो आपको सहनशील होना चाहिए और आपकी चमड़ी मोटी (thick skin) होनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी दोहराया कि राजनीतिक विवादों को हल करने का तरीका अदालत नहीं है।

याचिका का बैकग्राउंड 

बीजेपी के महासचिव के. वेंकटेश्वरलू ने आरोप लगाया कि रेवंत रेड्डी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसा भाषण दिया, जिसने पार्टी को बदनाम किया। उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

हाई कोर्ट ने पहले ही इस याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि रेवंत रेड्डी का कथित बयान व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक था। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अपने व्यक्तिगत रूप में शिकायत लेकर आए थे, इसलिए उन्हें पीड़ित (victim) नहीं माना जा सकता।

चीफ जस्टिस का कड़ा संदेश

सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि बार-बार अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि कोर्ट का इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाई या चुनावी मुकाबले के लिए नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, "राजनेता हैं तो मोटी चमड़ी रखो।" सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी राजनीतिक दलों और नेताओं को भी चेतावनी है कि उन्हें आलोचना और विरोध के लिए तैयार रहना चाहिए।

हाई कोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका

तेलंगाना हाई कोर्ट ने अगस्त 2025 में याचिका खारिज करते हुए कहा कि रेवंत रेड्डी का बयान बीजेपी के खिलाफ राजनीतिक था और इसमें किसी व्यक्ति विशेष की व्यक्तिगत मानहानि का दावा नहीं किया गया था। हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता केवल व्यक्तिगत हैसियत में मामला दर्ज कराने आए थे।

हाई कोर्ट ने आईपीसी और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 199(1) का हवाला देते हुए कहा कि शिकायत में यह नहीं दिखाया गया कि बीजेपी का सदस्य होने के कारण वह पीड़ित व्यक्ति हैं।

रेवंत रेड्डी के बयान का संदर्भ

2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान रेवंत रेड्डी ने कहा था कि अगर भारतीय जनता पार्टी 400 सीटें जीतती है, तो अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण खतरे में पड़ सकता है। इस बयान को लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया कि यह पार्टी की नीतियों और ओबीसी आरक्षण की रक्षा करने वाली स्थिति पर हमला है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों ने इस बयान को राजनीतिक बयान माना और इसे मानहानि के दायरे में नहीं रखा।

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