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सेबी का बड़ा फैसला, अब बड़ी कंपनियां भी छोटे IPO ला सकेंगी, जानें नियम

सेबी का बड़ा फैसला, अब बड़ी कंपनियां भी छोटे IPO ला सकेंगी, जानें नियम

सेबी ने बड़ी कंपनियों के लिए IPO नियम आसान किए हैं। अब 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक मार्केट कैप वाली कंपनियां अपने IPO में न्यूनतम 2.5% हिस्सेदारी बेच सकेंगी, जो पहले 5% थी। साथ ही, पब्लिक फ्लोट पूरा करने की समयसीमा 3 साल से बढ़ाकर अधिकतम 10 साल तक कर दी गई है।

SEBI board meeting: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शुक्रवार को हुई अपनी बोर्ड मीटिंग में IPO और बाजार से जुड़े कई बड़े फैसले किए। अब बड़ी वैल्यूएशन वाली कंपनियां कम साइज का IPO ला सकेंगी। जिन कंपनियों का पोस्ट-लिस्टिंग मार्केट कैप 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक होगा, वे न्यूनतम 2.5% हिस्सेदारी बेचकर भी IPO ला पाएंगी। इसके अलावा, 50,000 करोड़ से ऊपर की कंपनियों को 25% सार्वजनिक शेयरहोल्डिंग पूरी करने के लिए 3 साल की बजाय 5 से 10 साल का समय मिलेगा। इन बदलावों का उद्देश्य बड़ी कंपनियों की लिस्टिंग को आसान बनाना और बाजार में निवेशकों की भागीदारी बढ़ाना है।

बड़ी कंपनियां ला सकेंगी छोटे साइज का IPO

अब तक नियम था कि जिन कंपनियों का मार्केट कैप पांच लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होता है, उन्हें अपने IPO में कम से कम 5 प्रतिशत हिस्सा बेचना जरूरी था। लेकिन अब सेबी ने इस नियम में ढील दी है। नई व्यवस्था के तहत ऐसी कंपनियां सिर्फ 2.5 प्रतिशत हिस्सा बेचकर भी IPO ला सकेंगी। इसका मतलब है कि कम पूंजी खर्च करके भी बड़ी कंपनियां बाजार में उतर पाएंगी। इससे IPO में निवेशकों की भागीदारी भी बढ़ेगी और बाजार में शेयरों का बोझ भी संतुलित रहेगा।

25 प्रतिशत पब्लिक फ्लोट के नियम में बदलाव

सेबी ने बड़ी कंपनियों के लिए पब्लिक फ्लोट से जुड़ा नियम भी बदला है। पहले जिन कंपनियों का मार्केट कैप 50,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपये तक होता था, उन्हें तीन साल के भीतर 25 प्रतिशत पब्लिक फ्लोट करना पड़ता था। अब सेबी ने इसकी समयसीमा पांच साल कर दी है। वहीं, जिन कंपनियों का मार्केट कैप एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है, उन्हें यह लक्ष्य पूरा करने के लिए दस साल तक का समय मिलेगा।

मार्केट कैप के नए स्लैब तय

सेबी ने बोर्ड मीटिंग के बाद बताया कि कंपनियों के लिए नए स्लैब बनाए गए हैं। अब कंपनियों को चार अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है।

  • 4,000 करोड़ से 50,000 करोड़ रुपये।
  • 50,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपये।
  • 1 लाख करोड़ से 5 लाख करोड़ रुपये।
  • 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा।

इन स्लैब के हिसाब से कंपनियों के लिए पब्लिक ऑफर और अन्य शर्तें तय होंगी।

मिनिमम पब्लिक ऑफर में छूट

जिन कंपनियों की पोस्ट-इश्यू मार्केट वैल्यू 5,500 करोड़ रुपये से 1 लाख करोड़ रुपये तक होगी, उनके लिए भी छूट का ऐलान हुआ है। अब इन कंपनियों को IPO के जरिए न्यूनतम 10 प्रतिशत पूंजी नहीं जुटानी होगी। इसके बजाय वे सिर्फ 1,000 करोड़ रुपये या फिर कम से कम 8 प्रतिशत हिस्सेदारी ऑफर कर सकेंगी। इससे बड़ी कंपनियों के लिए पब्लिक ऑफर लाना और आसान हो जाएगा।

REITs और InvITs को इक्विटी इंस्ट्रूमेंट का दर्जा

सेबी ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट यानी REITs और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट यानी InvITs को लेकर भी बड़ा बदलाव किया है। अब इन्हें इक्विटी इंस्ट्रूमेंट के तौर पर माना जाएगा। इससे इन पर निवेशकों का भरोसा और बढ़ेगा और बाजार में इनकी पकड़ और मजबूत होगी।

स्ट्रैटेजिक इनवेस्टर की परिभाषा बदली

सेबी ने REITs और InvITs में स्ट्रैटेजिक इनवेस्टर की परिभाषा को भी और व्यापक किया है। अब इसमें क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स यानी QIB को भी शामिल किया गया है। इस बदलाव से इनवेस्टमेंट ट्रस्ट में संस्थागत निवेशकों की भागीदारी और ज्यादा बढ़ेगी।

स्टॉक एक्सचेंजों के प्रबंधन में सुधार

स्टॉक एक्सचेंजों को लेकर भी सेबी ने नया फैसला लिया है। अब एक्सचेंजों के प्रबंधन में दो एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर की नियुक्ति अनिवार्य होगी। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि पारदर्शिता और कामकाज में तेजी लाई जा सके।

AIFs के लिए आसान नियम

अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स यानी AIFs के लिए भी नियमों को सरल किया गया है। अब एक्रेडिटेड इनवेस्टर्स वाले AIFs के लिए सेबी ने आसान रेगुलेटरी फ्रेमवर्क मंजूर किया है। इससे निवेशकों के लिए इन फंड्स में निवेश करना पहले से अधिक सहज होगा।

एंकर इनवेस्टर्स के नियमों में बदलाव

IPO में एंकर इनवेस्टर्स की भूमिका अहम होती है। सेबी ने इनके लिए भी नया ढांचा तैयार किया है। अब IPO में संस्थागत निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए एंकर इनवेस्टर्स को शेयर आवंटन के नियमों में बदलाव किया गया है। इससे IPO प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्थिरता दोनों बढ़ेंगी।

बड़ी कंपनियों को मिली राहत

कुल मिलाकर सेबी ने बड़ी कंपनियों के लिए IPO नियमों को काफी हद तक आसान कर दिया है। खासकर मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग पूरी करने की समयसीमा को बढ़ाना और छोटे साइज का IPO लाने की अनुमति देना बड़ी राहत साबित होगी। इन कदमों से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में IPO बाजार और भी सक्रिय होगा और निवेशकों को ज्यादा अवसर मिलेंगे।

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