सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ट्रिब्यूनल सुधार अधिनियम (Tribunal Reforms Act, 2021) की वैधता पर सुनवाई के दौरान नाराजगी जताई, जिसके बाद अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने अदालत से माफी मांगी है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार की ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान मामले को पांच-न्यायाधीशों की बेंच को भेजने की मांग पर नाराजगी जताई थी। इसके जवाब में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने शुक्रवार को अदालत से माफी मांगी।
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वे अदालत को हुई असुविधा के लिए खेद व्यक्त करते हैं और सोमवार को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट की वैधता पर अपनी दलीलें रखेंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार याचिकाकर्ताओं की चिंताओं पर विचार करेगी और यदि संभव हुआ तो आवश्यक सुधार किए जाएंगे।
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट में ट्रिब्यूनल सुधार अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी। याचिकाकर्ताओं ने मामले को पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजने की मांग की। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि अब सुनवाई में कोई और स्थगन स्वीकार नहीं होगा। इस घटना के बाद अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी। उन्होंने कहा:
'मैं अदालत को हुई असुविधा के लिए खेद व्यक्त करता हूँ। सोमवार को मैं व्यक्तिगत रूप से पेश होकर ट्रिब्यूनल रिफॉर्म एक्ट की वैधता पर अपनी दलीलें रखूंगा।'
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार याचिकाकर्ताओं की चिंताओं पर विचार करेगी और यदि संभव हुआ तो ट्रिब्यूनल अधिनियम में सुधार किए जाएंगे।
सीजेआई बी. आर. गवाई ने क्या कहा?

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवाई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वे अटॉर्नी जनरल की अनुपस्थिति का अनुरोध स्वीकार करेंगे और सोमवार को अपनी दलीलें पेश कर सकते हैं। सीजेआई ने स्पष्ट किया अब सुनवाई स्थगित करने का कोई और अनुरोध स्वीकार नहीं किया जाएगा। सोमवार को या तो आप अपने अन्य कार्यक्रम को छोड़ दें या भाटी को मामले को संभालने का जिम्मा सौंप दें।
ट्रिब्यूनल रिफॉर्म अधिनियम विभिन्न ट्रिब्यूनलों, जैसे NCLT, NCLAT, CAT, CESTAT, APTEL, TDSAT, ITAT, और DRT के सदस्यों और अध्यक्षों के लिए चार साल का समान कार्यकाल निर्धारित करता है। याचिकाकर्ताओं की मुख्य शिकायत यह थी कि कार्यकाल बहुत छोटा होने के कारण युवा प्रतिभाएं ट्रिब्यूनलों में शामिल नहीं होतीं, और केवल सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी ही इन पदों के लिए आवेदन करते हैं। इससे ट्रिब्यूनलों की कार्यकुशलता और न्यायिक स्वतंत्रता पर सवाल उठते हैं।
वकीलों और विशेषज्ञों का दृष्टिकोण
वरिष्ठ वकील अरविंद ने कहा, यदि कार्यकाल का नवीनीकरण (Renewal) सरकार पर निर्भर हो, तो यह ट्रिब्यूनलों की स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा। मजबूत और स्वतंत्र ट्रिब्यूनल प्रणाली की आवश्यकता है। मुख्य न्यायाधीश गवाई ने इस दृष्टिकोण से सहमति जताई और पूछा यदि ट्रिब्यूनल के सदस्य और अध्यक्ष अपने कार्यकाल के नवीनीकरण के लिए सरकार पर निर्भर हैं, तो क्या इससे ट्रिब्यूनलों के न्यायिक कार्य की स्वतंत्रता प्रभावित नहीं होगी?"
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार याचिकाकर्ताओं की चिंताओं पर विचार करेगी। यदि आवश्यक हुआ तो ट्रिब्यूनल अधिनियम में सुधार किए जाएंगे। इससे ट्रिब्यूनलों के कार्यकाल, न्यायिक स्वतंत्रता और नियुक्तियों की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया जा सकेगा।













