पाकिस्तान और सऊदी अरब ने ऐतिहासिक ‘स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट’ पर हस्ताक्षर किए। नाटो जैसी इस व्यवस्था के तहत दोनों देश हमले की स्थिति में संयुक्त जवाब देंगे। पाकिस्तान का दावा है कि इसमें अन्य मुस्लिम देश भी शामिल हो सकते हैं।
Mutual Defense Agreement: पाकिस्तान और सऊदी अरब ने ऐतिहासिक 'स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट' (Strategic Mutual Defence Agreement) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे पाकिस्तान मुस्लिम देशों की एकता के तौर पर प्रचारित कर रहा है। इस समझौते से दोनों देशों को संयुक्त रक्षा का अधिकार मिल गया है। समझौता बुधवार को रियाद के अल-यमामा पैलेस में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच हुआ।
इसके तहत अगर किसी एक देश पर हमला होता है तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा और दोनों मिलकर जवाब देंगे। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि यह समझौता किसी विशेष देश के खिलाफ नहीं है बल्कि इसे नाटो (NATO) जैसी रक्षात्मक व्यवस्था के तौर पर देखा जाना चाहिए।
मुस्लिम देशों को जोड़ने की तैयारी
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि इस समझौते में और भी अरब मुस्लिम देश शामिल हो सकते हैं। उनका कहना था कि दरवाजे सभी के लिए खुले हैं और यह सिर्फ पाकिस्तान और सऊदी तक सीमित नहीं है। उन्होंने साफ किया कि समझौते में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि अन्य देशों को शामिल नहीं किया जा सकता। आसिफ लंबे समय से नाटो जैसी एक क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था की वकालत करते रहे हैं और उनका मानना है कि मुस्लिम आबादी का यह मूल अधिकार है कि वे एकजुट होकर अपने क्षेत्र और देशों की रक्षा करें।
परमाणु क्षमता पर भी बयान
जब रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान की परमाणु शक्ति भी इस समझौते में शामिल होगी तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सभी क्षमताएं समझौते के तहत उपलब्ध होंगी। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान ने परमाणु शक्ति बनने के बाद हमेशा जिम्मेदारी दिखाई है और अपनी परमाणु सुविधाओं को अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराया है। उन्होंने इजरायल पर निशाना साधते हुए कहा कि उसने कभी ऐसा नहीं किया। आसिफ ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी एक देश पर हमला होता है तो दूसरा देश भी उसकी रक्षा के लिए आगे आएगा।
भारत-पाकिस्तान संघर्ष की पृष्ठभूमि
भारत में इस समझौते को लेकर चर्चा तेज है क्योंकि हाल ही में दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव हुआ था। 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और पीओके स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की थी। इसके बाद चार दिनों तक दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति बनी रही। अब यह सवाल उठ रहा है कि अगर भविष्य में ऐसी स्थिति फिर से बनती है तो सऊदी अरब की भूमिका क्या होगी।
समझौता हमला नहीं, रक्षा के लिए
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने दोहराया कि यह समझौता किसी पर हमला करने के लिए नहीं बल्कि केवल रक्षा के लिए है। उनका कहना था कि अगर पाकिस्तान या सऊदी अरब पर कोई हमला करता है तो उसका संयुक्त रूप से मुकाबला किया जाएगा। उन्होंने इस समझौते को नाटो जैसी रक्षात्मक व्यवस्था बताया और कहा कि इसका उद्देश्य मुस्लिम देशों की सुरक्षा और इस्लामिक पवित्र स्थलों की रक्षा करना है। आसिफ ने कहा कि मक्का और मदीना की हिफाजत करना पाकिस्तान का पवित्र कर्तव्य है।