बड़वानी के सेंधवा में व्यापारी प्रतीक अग्रवाल से हुई साढ़े तीन लाख की लूट का पुलिस ने खुलासा किया। मास्टरमाइंड दीपेश उर्फ चिंटू को गिरफ्तार किया गया, जबकि हार्डकोर अपराधियों मनोज शर्मा और राहुल की तलाश जारी है।
बड़वानी: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा में बिल्डिंग मटेरियल व्यापारी से हुई साढ़े तीन लाख की लूटकांड का पुलिस ने खुलासा कर दिया है। इस सनसनीखेज वारदात में मास्टरमाइंड दीपेश उर्फ चिंटू जायसवाल को गिरफ्तार किया गया है। खास बात यह रही कि इस मामले का राज़ ऑपरेशन त्रिनेत्रम के तहत लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद से खुला। पुलिस ने आरोपी से नगद रकम, बाइक और कार जब्त की है, वहीं फरार हार्डकोर अपराधियों की तलाश अभी भी जारी है।
आंखों में केमिकल स्प्रे कर व्यापारी से लूट
यह घटना व्यापारी प्रतीक अग्रवाल के साथ हुई थी। बताया जाता है कि प्रतीक अग्रवाल अपने कामकाज के सिलसिले में वरला रोड की तरफ जा रहे थे। इसी दौरान घात लगाए बदमाशों ने उनकी आंखों में केमिकल स्प्रे डाल दिया और साढ़े तीन लाख रुपए से भरा बैग छीन लिया। अचानक हुए इस हमले से व्यापारी कुछ पल के लिए संभल ही नहीं पाए और लुटेरे वारदात को अंजाम देकर फरार हो गए।
व्यापारियों ने इस घटना को लेकर गहरी चिंता जताई थी और पुलिस प्रशासन से सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की मांग की थी। घटना के बाद शहर के व्यापारिक संगठनों ने भी आक्रोश जाहिर करते हुए जल्द से जल्द अपराधियों को पकड़ने की अपील की थी।
हार्डकोर क्रिमिनलों की संलिप्तता
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि इस वारदात के पीछे कुख्यात अपराधी मनोज शर्मा और उसका साथी राहुल शामिल थे। मनोज शर्मा के खिलाफ पहले से ही 22 आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह अवैध हथियारों की सप्लाई में लिप्त रहा है। बताया जाता है कि मनोज को पहले 42 अवैध पिस्तौलों के साथ गिरफ्तार भी किया जा चुका है।
इसी तरह राहुल भी कई मामलों में वांटेड है। पुलिस का कहना है कि इन दोनों ने ही वारदात की योजना बनाई थी और इसके लिए मास्टरमाइंड दीपेश की मदद ली थी। सेंधवा थाना प्रभारी बीएस बिसेन ने पुष्टि की कि दीपेश पर भी पांच से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं।
जेल में बनी लूट की खतरनाक जोड़ी
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि दीपेश और मनोज शर्मा की दोस्ती खरगोन जेल में हुई थी। दोनों ने वहीं से आपस में संपर्क बनाए रखा और जेल से बाहर आने के बाद पैसों की जरूरत पूरी करने के लिए लूट की योजना बनाई।
घटना के दिन बदमाशों ने वरला रोड पर व्यापारी का इंतजार किया। जैसे ही प्रतीक अग्रवाल वहां पहुंचे, दोनों ने उनकी आंखों में स्प्रे किया और लाखों रुपए लूट लिए। इसके बाद वे मोरदड़ फाटे पर दीपेश से मिले। लूट के पैसों में से 25,000 रुपए और एक बाइक दीपेश को दी गई। बदले में दीपेश ने अपनी कार से मनोज और राहुल को इंदौर तक छोड़ने की जिम्मेदारी निभाई।
पुलिस की अपील और व्यापारी संगठन की सुरक्षा मांग
सेंधवा पुलिस ने आरोपी दीपेश को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया है। अब उससे पूछताछ कर फरार आरोपियों मनोज और राहुल के ठिकानों की जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही इन हार्डकोर अपराधियों को भी दबोच लिया जाएगा।
इधर, घटना के बाद व्यापारी संगठनों ने पुलिस से सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता करने की मांग की है। व्यापारियों ने वरला रोड इंडस्ट्रियल एरिया में स्थायी पुलिस चौकी और नियमित गश्त की जरूरत पर जोर दिया है। वहीं पुलिस ने व्यापारियों से अपील की है कि वे शॉर्टकट रास्तों से बचें और समय-समय पर अपने मार्ग बदलते रहें ताकि अपराधियों को उनकी दिनचर्या का अंदाजा न हो सके।
सीसीटीवी फुटेज से खुलासा
सबसे अहम बात यह रही कि इस पूरे मामले का खुलासा ऑपरेशन त्रिनेत्रम के तहत हुआ। व्यापारियों और पुलिस की साझेदारी से लगाए गए सीसीटीवी कैमरों में आरोपियों की गतिविधियां कैद हो गईं। इन्हीं फुटेज के आधार पर पुलिस को सुराग मिले और मास्टरमाइंड दीपेश तक पहुंचने में सफलता मिली।
पुलिस का कहना है कि यदि व्यापारी संगठनों का सहयोग और सीसीटीवी कैमरों की मदद न होती, तो लूटकांड का खुलासा इतना तेजी से करना मुश्किल होता। फिलहाल, फरार आरोपियों की तलाश तेज कर दी गई है और पुलिस को जल्द ही इस गिरोह के सभी सदस्य कानून के शिकंजे में आने की उम्मीद है।