शशि थरूर के राष्ट्रहित बयान से कांग्रेस असहज है। हाईकमान के बाद अब केरल यूनिट ने भी उन्हें पार्टी कार्यक्रमों से दूर रखने का ऐलान किया है।
New Delhi: कांग्रेस सांसद शशि थरूर इन दिनों पार्टी के भीतर गहरी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। पहले पार्टी हाईकमान उनकी राष्ट्रहित वाली टिप्पणियों से नाराज़ हुआ और अब केरल की प्रदेश कांग्रेस यूनिट ने उनसे दूरी बना ली है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्र सरकार और सेना का समर्थन करने के चलते थरूर की आलोचना हो रही है। तिरुवनंतपुरम में उन्हें पार्टी कार्यक्रमों से दूर रखने का ऐलान किया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या शशि थरूर कांग्रेस से अलग राजनीतिक राह चुन सकते हैं?
थरूर के बयान से पार्टी में मची हलचल
शशि थरूर हाल ही में अमेरिका दौरे पर ऑपरेशन सिंदूर के मुद्दे पर भारत के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे। वहां उन्होंने कहा कि देश को हमेशा पहले रखा जाना चाहिए और राजनीतिक दलों को देश को बेहतर बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि हाल के घटनाक्रमों और सीमा पर स्थिति को देखते हुए सेना और सरकार का समर्थन करना उनका कर्तव्य है।
केरल कांग्रेस का बड़ा फैसला
अब थरूर की ही पार्टी की केरल यूनिट ने उनके खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन ने साफ कहा है कि जब तक थरूर राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपना रुख नहीं बदलते, उन्हें तिरुवनंतपुरम में किसी भी कांग्रेस कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि थरूर अब ‘हममें से एक’ नहीं माने जाते हैं। साथ ही यह भी कहा गया कि उनके खिलाफ क्या कदम उठाया जाए, इसका फैसला पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व करेगा।
क्या थरूर को किया जा रहा है बहिष्कृत?
के. मुरलीधरन ने थरूर के बहिष्कार की बात को खारिज करते हुए कहा, “जब वह हमारे साथ नहीं हैं तो बहिष्कार की बात ही नहीं है।” यह बयान तब आया जब कांग्रेस और I.N.D.I.A गठबंधन मानसून सत्र में मोदी सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर घेरने की तैयारी कर रहे हैं।
'देश सर्वोपरि' रुख पर कायम हैं थरूर
शशि थरूर ने कोच्चि में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “मैं अपने रुख पर कायम रहूंगा क्योंकि मुझे लगता है कि यही देश के हित में है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि जब नेता राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सर्वदलीय सहयोग की बात करते हैं, तो पार्टी इसे विश्वासघात मान लेती है।
कांग्रेस के भीतर बढ़ती नाराजगी
केरल यूनिट की नाराजगी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले एक सर्वे में थरूर को UDF की ओर से मुख्यमंत्री पद का पसंदीदा चेहरा बताया गया था। इस पर मुरलीधरन ने तंज कसते हुए कहा था कि उन्हें पहले यह तय करना चाहिए कि वे किस पार्टी के सदस्य हैं।
इसके अलावा थरूर ने एक मलयालम अखबार में प्रकाशित लेख में इंदिरा गांधी के आपातकाल के फैसले की आलोचना की थी। इस पर भी कांग्रेस नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।
पार्टी लाइन से अलग चलना थरूर को पड़ रहा भारी
थरूर ने कई मौकों पर पार्टी की स्थापित लाइन से हटकर बयान दिए हैं। चाहे वह सेना के समर्थन की बात हो या फिर विपक्ष के रुख के खिलाफ जाकर केंद्र सरकार की तारीफ करना, उनके कदम अक्सर कांग्रेस नेतृत्व को असहज कर देते हैं।
थरूर का जवाब: 'मैं देश की बात करता हूं, सिर्फ पार्टी की नहीं'
शनिवार को थरूर ने साफ कहा, “जब मैं भारत की बात करता हूं, तो मेरा मतलब सभी भारतीयों से होता है, न कि केवल कांग्रेस समर्थकों से।” उन्होंने यह भी कहा कि देश जब संकट में होता है, तब सभी दलों और नेताओं को मतभेद भुलाकर साथ खड़ा होना चाहिए। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कथन का हवाला देते हुए कहा, “अगर भारत ही न रहा, तो फिर क्या बचेगा?” यह संदेश साफ था कि थरूर देश को पार्टी से ऊपर मानते हैं।