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Silent Heart Attack: बिना लक्षणों वाला हार्ट अटैक, जानें बचाव के आसान तरीके

Silent Heart Attack: बिना लक्षणों वाला हार्ट अटैक, जानें बचाव के आसान तरीके

साइलेंट हार्ट अटैक वह दिल का दौरा है जिसमें तेज दर्द या स्पष्ट लक्षण नहीं होते, इसलिए अक्सर पता नहीं चलता। इसके कारणों में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, तनाव और खराब लाइफस्टाइल शामिल हैं। हल्का सीने में दबाव, पीठ या कंधे में दर्द, अचानक थकान जैसे संकेत इसके प्रमुख लक्षण हैं।

Silent Heart Attack: आज की तेज जिंदगी और तनावपूर्ण लाइफस्टाइल के कारण साइलेंट हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे बिना स्पष्ट लक्षण वाला हार्ट अटैक कहा जाता है क्योंकि मरीज को सामान्य हार्ट अटैक जैसे तेज दर्द या बेचैनी नहीं होती। 40 वर्ष से अधिक उम्र, डायबिटीज या कम एक्टिव रहने वाले लोग इसके अधिक जोखिम में हैं। हल्का सीने में दबाव, पीठ, गर्दन या कंधे में दर्द, सांस फूलना, अचानक थकान और नींद में परेशानी इसके प्रमुख लक्षण हैं। समय पर ECG और डॉक्टर की जांच से इसे पहचानकर गंभीर नुकसान से बचा जा सकता है।

साइलेंट हार्ट अटैक के कारण

डॉ. अजीत जैन के अनुसार, साइलेंट हार्ट अटैक का मुख्य कारण हृदय की नसों में कोलेस्ट्रॉल और फैट का जमाव है। इससे रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है और हार्ट मसल्स तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, धूम्रपान, असंतुलित आहार और लगातार मानसिक तनाव इसके प्रमुख कारण हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि महिलाओं में साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों की तुलना में और अधिक अस्पष्ट होते हैं, जिससे इसका समय पर पता लगाना मुश्किल होता है।

40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, डायबिटीज के मरीज और शारीरिक रूप से कम सक्रिय लोग इस बीमारी का अधिक शिकार होते हैं। लगातार थकान, नींद की कमी और मानसिक दबाव भी साइलेंट हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ाते हैं। यदि समय रहते इसका पता न चले तो यह धीरे-धीरे हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है और गंभीर हार्ट डिजीज का कारण बन सकता है।

साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण

राजीव गांधी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग में डॉ. अजीत जैन बताते हैं कि साइलेंट हार्ट अटैक में लक्षण बहुत हल्के या असामान्य होते हैं। मरीज इन्हें अक्सर सामान्य समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। इसमें सीने में हल्का दबाव या जलन महसूस हो सकती है, जिसे सामान्य एसिडिटी या गैस समझा जा सकता है।

इसके अलावा पीठ, गर्दन, जबड़े या कंधे में हल्का दर्द, अचानक थकान, सांस फूलना और नींद में परेशानी जैसी समस्याएं भी इसके संकेत हो सकते हैं। कभी-कभी पसीना आना, मतली या उलझन महसूस होना भी साइलेंट हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है। डायबिटीज के मरीजों में दर्द का एहसास कम होने के कारण यह हार्ट अटैक बिना दर्द के भी हो सकता है।

इसलिए यदि शरीर में बार-बार ऐसी हल्की परेशानियां महसूस हों, तो इन्हें नजरअंदाज न करें। समय पर ECG या डॉक्टर की जांच से इस खतरे को पहचाना जा सकता है।

साइलेंट हार्ट अटैक से बचाव

  • नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल जांचते रहें।
  • रोजाना कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज या वॉक करें।
  • हेल्दी डाइट लें और तली-भुनी तथा मीठी चीजों से परहेज करें।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन पूरी तरह बंद करें।
  • पर्याप्त नींद लें और तनाव को कम करने की कोशिश करें।

जोखिम वाले समूह

विशेषज्ञों के अनुसार, 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज, मोटापे से ग्रस्त लोग और मानसिक तनाव में रहने वाले लोग साइलेंट हार्ट अटैक के लिए अधिक संवेदनशील हैं। ऐसे लोग हल्की सी थकान, नींद की कमी या अचानक होने वाली सांस की समस्या को गंभीरता से देखें।

क्यों है यह खतरनाक

साइलेंट हार्ट अटैक का सबसे बड़ा खतरा यह है कि यह चुपचाप आता है और इसका समय पर पता नहीं चलता। मरीज को गंभीर दर्द या अन्य स्पष्ट संकेत महसूस नहीं होते। इससे हृदय को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है और कभी-कभी यह अचानक हार्ट फेल्योर का कारण भी बन सकता है।

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