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‘सिर्फ प्रचार नहीं चलेगा’, प्रियंका गांधी ने केंद्र से मांगा जवाब- युद्धविराम की बताएं वजह

‘सिर्फ प्रचार नहीं चलेगा’, प्रियंका गांधी ने केंद्र से मांगा जवाब- युद्धविराम की बताएं वजह

प्रियंका गांधी ने लोकसभा में सरकार से पूछा कि पहलगाम हमले के बाद युद्धविराम क्यों किया गया। उन्होंने सुरक्षा चूक, जवाबदेही और राजनीतिक प्रचारवाद पर सवाल उठाए और पीड़ित परिवारों की पीड़ा को उठाया।

Priyanka Gandhi: लोकसभा में ऑपरेशन सिन्दूर पर हुई बहस के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने अपने भाषण में इतिहास की बात की, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की बात की, लेकिन यह नहीं बताया कि हमला कैसे हुआ और युद्धविराम क्यों घोषित किया गया?

शहीद जवानों को श्रद्धांजलि, लेकिन सुरक्षा पर सवाल

प्रियंका गांधी ने कहा कि 1948 से लेकर अब तक, जब-जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया, तब-तब हमारे बहादुर सैनिकों ने देश की अखंडता की रक्षा की। उन्होंने सभी जवानों को नमन करते हुए कहा कि जो रेगिस्तान, जंगल, बर्फीली चोटियों और सीमाओं पर डटे हैं, वे देश के असली रक्षक हैं। पर सवाल यह है कि पहलगाम जैसे संवेदनशील क्षेत्र में सुरक्षा क्यों नहीं थी?

बैसरन घाटी में सुरक्षा नदारद, सरकार की जवाबदेही कहां?

प्रियंका ने पूछा कि जिस जगह (बैसरन घाटी, पहलगाम) पर हमला हुआ, वहां एक भी सुरक्षाकर्मी क्यों नहीं था? वहां हर दिन 1000 से ज्यादा पर्यटक जाते हैं, लेकिन न तो सुरक्षा थी, न चिकित्सा सुविधा। उन्होंने कहा कि लोग सरकार के भरोसे वहां गए थे, लेकिन सरकार ने उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया।

राजनीतिक आरोपों की जगह जनता की चिंता करें

प्रियंका गांधी ने गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने नेहरू और इंदिरा गांधी की बात की, मेरी माँ के आँसुओं की बात की, लेकिन यह नहीं बताया कि युद्धविराम की घोषणा क्यों की गई। उन्होंने कहा, "मेरी माँ के आँसू तब गिरे थे जब उनके पति को आतंकियों ने मार डाला था। वह सिर्फ 44 साल की थीं। मैं पीड़ा समझती हूं क्योंकि मैंने भी उस दर्द को महसूस किया है।"

सरकार को जवाबदेही से नहीं भागना चाहिए

उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा सवालों से बचती है और अपने जवाब को प्रचार तक सीमित रखती है। लेकिन जनता को जवाब चाहिए। जिन 26 लोगों की जान गई, उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा? उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि शहीद शुभम द्विवेदी की पत्नी ने कहा कि उनकी आंखों के सामने उनकी दुनिया उजड़ गई और वहां कोई सुरक्षा नहीं थी।

संसद की सुरक्षा और आम जनता की सुरक्षा में फर्क क्यों?

प्रियंका ने कहा कि संसद में बैठे नेताओं को सुरक्षा मिली हुई है, लेकिन पहलगाम में आम नागरिकों के लिए कोई सुरक्षा नहीं थी। यह दोहरा मापदंड क्यों? क्या सरकार को पहले से जानकारी नहीं थी कि यह क्षेत्र संवेदनशील है और वहां किसी भी समय आतंकी हमला हो सकता है?

उन्होंने सरकार से सीधा सवाल किया कि क्या सिर्फ ऑपरेशन चलाकर सरकार अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो सकती है? उन्होंने कहा कि विपक्ष सवाल पूछेगा क्योंकि यह उनका संवैधानिक कर्तव्य है। लेकिन सत्ता पक्ष को जवाब देना होगा।

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