पूर्व सांसद डॉ. रंजन प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में वापसी और उन्हें पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाए जाने की घोषणा एक अहम राजनीतिक घटनाक्रम है।
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिला है। डॉ. रंजन प्रसाद यादव, जिन्हें एक समय लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में ‘सुपर सीएम’ कहा जाता था, अब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में फिर से शामिल हो गए हैं। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने उन्हें पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया है। यह कदम आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरणों को गहराई से प्रभावित कर सकता है।
रंजन यादव की भूमिका: एक समय थे ‘सुपर सीएम’
90 के दशक में जब लालू यादव और राबड़ी देवी बिहार के मुख्यमंत्री पद पर थे, उस दौरान डॉ. रंजन यादव का कद बहुत ऊंचा था। वे नीति-निर्माण से लेकर प्रशासनिक नियुक्तियों तक में अहम भूमिका निभाते थे। शिक्षा विभाग की सारी प्रमुख नियुक्तियां उनके इशारे पर होती थीं। उन्हें उस समय अघोषित सत्ता केंद्र के रूप में देखा जाता था।
1997 में जब जनता दल का विभाजन हुआ और राजद की स्थापना हुई, तब लालू प्रसाद अध्यक्ष बने और रंजन यादव को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। राबड़ी देवी उस समय मुख्यमंत्री बनीं और लालू यादव चारा घोटाले में कानूनी उलझनों का सामना कर रहे थे। यह वह दौर था जब रंजन यादव की ताकत अपने चरम पर थी।
दोस्ती में आई दरार
राजद के अंदरूनी गलियारों में यह चर्चा होने लगी कि रंजन यादव अब स्वयं मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पालने लगे हैं। उनकी बढ़ती राजनीतिक गतिविधियां और उनके आवास पर विधायकों एवं बुद्धिजीवियों की नियमित बैठकों से लालू यादव सशंकित हो गए। कहा जाता है कि वे राज्य का ब्लू प्रिंट तैयार करने में जुटे थे। नतीजा यह हुआ कि रंजन यादव को कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। इसके साथ ही उनके और लालू यादव के संबंधों में गहरी दरार आ गई।
इस दरार ने 2009 में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का रूप ले लिया, जब पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से दोनों आमने-सामने आए। रंजन यादव ने जदयू उम्मीदवार के रूप में लालू यादव को हराकर सबको चौंका दिया। यह लालू यादव के राजनीतिक जीवन का एक बड़ा झटका था। हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में रंजन यादव को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा और इसके बाद वे राजनीतिक परिदृश्य से लगभग गायब हो गए।
एक बार फिर राजद में वापसी
2024 में 85 वर्ष की उम्र में, डॉ. रंजन यादव ने राजद में वापसी की। और अब 2025 के चुनावी माहौल के बीच लालू प्रसाद यादव ने उन्हें पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बना दिया है। यह पार्टी की सबसे उच्च निर्णायक संस्था होती है, जहां प्रमुख नीतियों और रणनीतियों का निर्धारण होता है। हालांकि उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए रंजन यादव के चुनावी राजनीति में सीधे उतरने की संभावना कम है, लेकिन उनकी वापसी का राजनीतिक संदेश बड़ा और स्पष्ट है — लालू यादव पुराने रिश्तों को फिर से जोड़ने और पार्टी के भीतर एकजुटता लाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
राजद के लिए यह एक ऐसा समय है जब पार्टी को संगठनात्मक मजबूती और नेतृत्व में संतुलन की जरूरत है। डॉ. रंजन यादव जैसे अनुभवी नेता की वापसी पार्टी को रणनीतिक दिशा दे सकती है।