सितंबर 2025 में दो बड़े ग्रहण होंगे: 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण और 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण। गर्भवती महिलाओं के लिए यह समय संवेदनशील माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, पेट पर गेरू, मंत्र-जाप, कुश या तुलसी पास रखना और ग्रहण काल में ध्यान करना शुभ है। वहीं, ग्रहण न देखना, बाहरी काम न करना और भोजन से बचना आवश्यक है।
Eclipse 2025: सितंबर 2025 में भारत में दो बड़े ग्रहण पड़ेंगे: 7 सितंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण और 21 सितंबर को आंशिक सूर्य ग्रहण। धार्मिक और पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, यह समय गर्भवती महिलाओं के लिए संवेदनशील है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान पेट पर गेरू लगाएं, मंत्र-जाप करें, ध्यान लगाएं और कुश या तुलसी पास रखें। वहीं, ग्रहण को नंगी आंखों से न देखें, घर से बाहर न निकलें और भोजन से परहेज करें, जिससे गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक प्रभाव से बचाव हो सके।
ग्रहण का समय
चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को पूर्ण रूप से दिखाई देगा और सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को आंशिक रूप से भारत में देखा जा सकेगा। दोनों ग्रहणों के दौरान आस्था और धार्मिक नियमों का पालन करना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण का समय सकारात्मक ऊर्जा जुटाने का अवसर भी है, लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानी आवश्यक है।
गर्भवती महिलाएं क्या करें
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं कुछ पारंपरिक उपाय अपनाकर अपने और अपने गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा कर सकती हैं। सबसे पहले पेट पर गेरू लगाना शुभ माना गया है। माना जाता है कि यह नकारात्मक प्रभाव से बचाव करता है।
ग्रहण काल में धार्मिक ग्रंथों और स्तोत्रों का पाठ करना बहुत लाभकारी होता है। गर्भवती महिलाएं रामरक्षा स्तोत्र, हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्रनाम, भागवत गीता के श्लोक पढ़ सकती हैं। साथ ही ओम नमः शिवाय या ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना भी शुभ माना जाता है।
इसके अलावा कुश, तुलसी पत्र या गंगाजल अपने पास रखना भी फायदेमंद माना जाता है। ये वस्तुएं शुद्धि और सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती हैं। ग्रहण के समय आराम करना और ध्यान लगाना सकारात्मक ऊर्जा जुटाने का उत्तम माध्यम है।
ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करना और शुद्ध वस्त्र धारण करना आवश्यक है। इसके बाद ही भोजन करना शुभ माना जाता है। यह प्रक्रिया मानसिक शांति और आस्था को मजबूत करती है।
गर्भवती महिलाएं क्या न करें
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए। सबसे पहले, नंगी आंखों से ग्रहण को नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने से शास्त्रों के अनुसार गर्भस्थ शिशु पर असर पड़ सकता है।
इस दौरान काटना, छीलना या चाकू, कैंची और सुई का प्रयोग भी अशुभ माना गया है। ग्रहण के समय पका हुआ भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसे दूषित माना जाता है। गर्भवती महिलाओं को इस समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
तनाव और भारी काम से भी बचना जरूरी है। ग्रहण के दौरान मानसिक स्थिरता बनाए रखना स्वास्थ्य और गर्भस्थ शिशु के लिए लाभकारी है।
ग्रहण के समय अपनाएं साधारण सावधानियां
आयुर्वेद के अनुसार ग्रहण काल में ब्रह्मांडीय किरणों का असर सबसे अधिक गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु पर होता है। इसलिए गेरू, कुश और मंत्र-जाप जैसे उपाय लाभकारी माने जाते हैं। आधुनिक विज्ञान मानता है कि ग्रहण से शारीरिक हानि का कोई प्रमाण नहीं है। फिर भी पारंपरिक उपाय अपनाने से मानसिक शांति और आत्मविश्वास मिलता है।
ग्रहण काल में मानसिक संतुलन बनाए रखना गर्भवती महिला के लिए फायदेमंद है। इसका सकारात्मक प्रभाव शरीर और मन दोनों पर पड़ता है।