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संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर नहीं हुई बहस, विपक्ष पर भड़के रिजिजू बोले- 'यू-टर्न लेना अब आदत बन गई'

संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर नहीं हुई बहस, विपक्ष पर भड़के रिजिजू बोले- 'यू-टर्न लेना अब आदत बन गई'

ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में चर्चा से पहले विपक्ष ने हंगामा कर कार्यवाही बाधित कर दी। किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकार चर्चा को लेकर तैयार थी।

Operation Sindoor: संसद के मानसून सत्र में जैसे ही "ऑपरेशन सिंदूर" पर विशेष चर्चा की तैयारी पूरी हुई, विपक्षी दलों की ओर से अचानक हंगामा शुरू हो गया। लोकसभा में जैसे ही प्रश्नकाल खत्म हुआ, विपक्षी सांसदों ने "SIR वापस लो" के नारे लगाते हुए कार्यवाही बाधित कर दी। इसके बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के इस रुख को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सरकार चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार थी, लेकिन विपक्ष ने ऐन वक्त पर यू-टर्न ले लिया।

चर्चा से ऐन पहले बदला विपक्ष का रुख

रिजिजू ने कहा कि चर्चा शुरू होने से महज 10 मिनट पहले विपक्ष ने यह शर्त रख दी कि पहले SIR (Special Intensive Revision) पर चर्चा कराई जाए। यह उस समय सामने आया जब रक्षा मंत्री "ऑपरेशन सिंदूर" पर संसद में बहस शुरू करने वाले थे। उन्होंने कहा कि यह रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे साफ है कि विपक्ष इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा से भागना चाहता है।

पाकिस्तान की भाषा न बोलें विपक्षी दल: रिजिजू

किरेन रिजिजू ने विपक्ष को यह भी सलाह दी कि वे पाकिस्तान की भाषा बोलने से बचें। उन्होंने कहा कि यह विषय राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य पराक्रम से जुड़ा है। विपक्ष को चाहिए कि वह इसपर गंभीरता से चर्चा में हिस्सा ले, न कि संसद को बाधित करे।

लोकसभा अध्यक्ष की नाराजगी भी आई सामने

सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी विपक्षी नेताओं को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि पहले तो विपक्ष खुद "ऑपरेशन सिंदूर" पर चर्चा की मांग करता है और जब उसे समय दिया जाता है तो नारेबाजी शुरू कर देता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा आचरण सदन की गरिमा के खिलाफ है और देश की जनता सब कुछ देख रही है।

राहुल गांधी को स्पीकर की चेतावनी

लोकसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से अपील की कि वह अपने दल के सदस्यों को नियंत्रित करें। उन्होंने कहा कि पोस्टर और तख्तियों के जरिए विरोध दर्ज कराना संसद की मर्यादा का उल्लंघन है। बिरला ने यह भी स्पष्ट किया कि संसद में जनता के सवालों का जवाब देना जरूरी है और विपक्षी दलों को चाहिए कि वे प्रश्नकाल में हिस्सा लें, न कि उसे बाधित करें।

कार्यवाही कई बार स्थगित, चर्चा अधर में

विपक्षी हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही दोपहर 1 बजे तक स्थगित कर दी गई। इसके पहले प्रश्नकाल भी स्थगित करना पड़ा। ऐसे में "ऑपरेशन सिंदूर" पर बहुप्रतीक्षित चर्चा अधर में लटक गई है। सरकार की ओर से रक्षा मंत्री इसपर विस्तार से जानकारी देने वाले थे, लेकिन विपक्ष के व्यवहार ने पूरे माहौल को बिगाड़ दिया।

विपक्ष की रणनीति पर उठे सवाल

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष अब मुद्दों को लेकर एकजुट तो दिखता है, लेकिन बार-बार यू-टर्न लेने से उसकी विश्वसनीयता पर असर पड़ता है। "ऑपरेशन सिंदूर" जैसे गंभीर विषय पर जब खुद विपक्ष चर्चा की मांग करता है और फिर सदन में हंगामा करता है, तो यह जनता के सामने एक गलत संदेश देता है।

सरकार की ओर से खुला आमंत्रण

किरेन रिजिजू ने दोबारा कहा कि सरकार किसी भी समय चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया कि वे राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विषयों पर गंभीरता से बहस करें। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री सदन में मौजूद हैं और वह इस विषय पर पूरा विवरण देने को तैयार हैं। ऐसे में विपक्ष को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।

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