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सपा से बर्खास्त हुईं विधायक पूजा पाल, सीएम योगी की तारीफ करना पड़ा भारी

सपा से बर्खास्त हुईं विधायक पूजा पाल, सीएम योगी की तारीफ करना पड़ा भारी

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बागी विधायक पूजा पाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। यह जानकारी एक पत्र के माध्यम से दी गई।

UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) की विधायक पूजा पाल को पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई कौशांबी स्थित चायल सीट की विधायक पूजा पाल द्वारा पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में की गई है। सपा अध्यक्ष ने इस संबंध में विधायक को एक पत्र जारी किया है, जिसमें लिखा गया है कि पूजा पाल ने पार्टी विरोधी गतिविधियां कीं और उन्हें चेतावनी देने के बावजूद उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। 

उनके इस व्यवहार से पार्टी को नुकसान पहुंचा। पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि उनके द्वारा की गई गतिविधियां पार्टी विरोधी और गंभीर अनुशासनहीनता के अंतर्गत आती हैं। पत्र में यह भी लिखा गया कि, आपको समाजवादी पार्टी से तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया जाता है। साथ ही पार्टी के सभी पदों से भी हटा दिया जाता है। अब आप समाजवादी पार्टी के किसी भी कार्यक्रम या मीटिंग में भाग नहीं लेंगी और आपको इसके लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा।

क्या थी विवादित टिप्पणी?

इस कार्रवाई के पीछे कारण है पूजा पाल का सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ करना। उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान ‘विजन डॉक्यूमेंट 2047’ पर चर्चा के दौरान पूजा पाल ने योगी सरकार की कानून व्यवस्था और जीरो टॉलरेंस नीति की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके पति की हत्या के मामले में न्याय दिलाया और माफिया जैसे अपराधियों को सजा दिलाई।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री संजय निषाद ने कहा, जो दिल में होता है, वह बाहर आ ही जाता है। मैं पूजा पाल को इसके लिए धन्यवाद देता हूं। यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया, क्योंकि सपा नेताओं की पार्टी लाइन के विपरीत किसी भी राज्य सरकार की तारीफ करना उनकी अनुशासनहीनता के रूप में देखा गया।

सपा में अनुशासन का सख्त नियम

पूजा पाल सपा की चौथी विधायक हैं जिन्हें पिछले एक महीने में पार्टी से बर्खास्त किया गया। इससे पहले मनोज पांडेय, अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया। विश्लेषकों का कहना है कि सपा अब पार्टी अनुशासन को और सख्त बना रही है और किसी भी नेता की पार्टी लाइन से भटकने की क्षमता को गंभीरता से देख रही है।

सपा के इस कदम से यह संदेश गया कि पार्टी में किसी भी नेता द्वारा पार्टी विरोधी गतिविधियों या विपक्षी सरकार की खुले तौर पर तारीफ करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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