अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी पर सुनवाई की। जजों ने राष्ट्रपति की कानूनी अधिकारिता पर सवाल उठाए। फैसला वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है, पूरी दुनिया की नजरें इसपर टिकी हैं।
World News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा रखी है। ट्रंप की इस पॉलिसी को चुनौती देते हुए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें जजों ने राष्ट्रपति की कानूनी अधिकारिता पर सवाल उठाए। इस मामले का फैसला पूरी दुनिया के लिए अहम माना जा रहा है क्योंकि यह वैश्विक आर्थिक और व्यापारिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
निचली अदालत का फैसला
इससे पहले निचली फेडरल कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि ट्रंप के पास कनाडा, चीन और मैक्सिको से आयात पर टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं है। इसके बाद ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। छोटे व्यापारियों और 12 राज्यों के समूह ने टैरिफ पॉलिसी को चुनौती दी, यह आरोप लगाते हुए कि ट्रंप ने टैरिफ लगाने से पहले इसके प्रभाव और परिणामों का अध्ययन नहीं किया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राष्ट्रपति ने प्रशासन के साथ कोई आधिकारिक बैठक नहीं की और न ही किसी रिपोर्ट का निर्माण किया। अब ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट में साबित करना होगा कि उनका फैसला तार्किक और संवैधानिक रूप से सही था।

सुनवाई में जजों ने उठाए सवाल
5 नवंबर को हुई सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई लगभग ढाई घंटे तक चली। जस्टिस सोनिया सोतोमयोर ने कहा कि ट्रंप कह रहे हैं कि टैरिफ टैक्स नहीं हैं, लेकिन वास्तव में यह राजस्व जुटाने का एक तरीका है। इस पर सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने कहा कि यह नियामक टैरिफ है, टैक्स नहीं, और राजस्व बढ़ना केवल आकस्मिक है। जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने भी सवाल उठाया कि क्या किसी देश के किसी उत्पाद पर, किसी मात्रा में और किसी समय के लिए टैरिफ लगाने की इतनी शक्ति राष्ट्रपति को दी जा सकती है।
क्या है IEEPA एक्ट
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि IEEPA एक्ट राष्ट्रपति को इमरजेंसी की स्थिति में आयात को नियंत्रित करने की अनुमति देता है। हालांकि, जस्टिस एमी कोनी बैरेट ने इस दावे पर संदेह जताया और पूछा कि क्या इतिहास में कहीं ऐसा उदाहरण है, जहां आयात को नियंत्रित करने के अधिकार को टैरिफ लगाने की शक्ति के रूप में इस्तेमाल किया गया हो। जस्टिस बैरेट ने यह भी कहा कि यदि कांग्रेस चाहती है कि राष्ट्रपति के पास इतना अधिकार न हो, तो उसे IEEPA एक्ट में संशोधन करने के लिए दो-तिहाई बहुमत से कदम उठाना होगा।












