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सुप्रीम कोर्ट ने गायिका नेहा सिंह राठौर को नहीं दी राहत, प्राथमिकी रद्द करने की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने गायिका नेहा सिंह राठौर को नहीं दी राहत, प्राथमिकी रद्द करने की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के मामले में गायिका और कार्यकर्ता नेहा सिंह राठौर की याचिका को खारिज कर दिया। नेहा सिंह राठौर ने दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी थी।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गायिका और कार्यकर्ता नेहा सिंह राठौर की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले पर सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया था। अदालत ने मामले में फिलहाल हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए उन्हें मुकदमे का सामना करने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

शीर्ष अदालत की जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने स्पष्ट किया कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई राय नहीं व्यक्त कर रही है। अदालत ने कहा कि फिलहाल 'विद्रोह के आरोप' और भारत की संप्रभुता, एकता एवं अखंडता को प्रभावित करने वाले मुद्दों में हस्तक्षेप करना उचित नहीं है।सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राठौर को आरोप तय होने पर अपने मुद्दे उठाने की स्वतंत्रता होगी।

गायिका ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 19 सितंबर के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें प्राथमिकी रद्द करने से इनकार किया गया था। प्राथमिकी में राठौर पर आरोप था कि उन्होंने एक विशेष धार्मिक समुदाय को निशाना बनाने और देश की एकता को खतरे में डालने वाले सोशल मीडिया पोस्ट किए। राठौर ने अप्रैल के आखिरी हफ्ते में हजरतगंज थाने में दर्ज की गई प्राथमिकी को चुनौती दी थी। इस प्राथमिकी में अभय प्रताप सिंह नामक व्यक्ति ने उन्हें 'धार्मिक आधार पर एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ भड़काने' का आरोप लगाया था।

नेहा सिंह राठौर की दलील

नेहा सिंह राठौर ने अपनी याचिका में कहा कि उन पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है। इनमें शामिल हैं:

  • सांप्रदायिक नफरत फैलाना
  • सार्वजनिक शांति को भंग करना
  • भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरा

इसके अलावा उन पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत भी आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने याचिका में दावा किया कि उनके खिलाफ दर्ज मामला अनुचित और असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह फिलहाल मामले की जांच या आरोपों की वैधता पर टिप्पणी नहीं कर रही। कोर्ट ने राठौर को यह अधिकार दिया कि मुकदमे की प्रक्रिया के दौरान वे अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग कर सकें।

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