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Swara Bhaskar: स्कूल के दिनों से लेकर मोलेस्टेशन तक, स्वरा ने सुनाया अपना दर्दनाक अनुभव

Swara Bhaskar: स्कूल के दिनों से लेकर मोलेस्टेशन तक, स्वरा ने सुनाया अपना दर्दनाक अनुभव

बॉलीवुड की बेबाक और बिंदास अदाकारा स्वरा भास्कर एक बार फिर चर्चा में हैं। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में स्वरा ने उन मुश्किल अनुभवों को साझा किया जो हर लड़की अपने बचपन से लेकर युवावस्था तक झेलती है। 

एंटरटेनमेंट न्यूज़: अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने हाल ही में बड़ी होती लड़कियों और उनके स्कूल जीवन से जुड़ी चुनौतियों पर खुलकर बात की है। उन्होंने बताया कि किशोरावस्था में लड़कियों को ब्रैसियर पहनने और उससे जुड़ी समस्याओं का सामना किस तरह करना पड़ता है। इसके अलावा, उन्होंने मोलेस्टेशन और अन्य संवेदनशील मुद्दों पर भी अपनी राय साझा की।

स्वरा ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब लड़कियां 11वीं-12वीं में पहुँचती हैं, तो प्यूबर्टी शुरू होती है और उनके शरीर में बदलाव आने लगते हैं। इसके साथ ही, उन्हें ब्रा पहनने की जरूरत महसूस होती है। उन्होंने बताया कि शुरुआत में लड़कियां रूपा बनियान या अन्य हल्के बनियान टाइप्स पहनती हैं, फिर धीरे-धीरे स्पोर्ट्स ब्रा और नॉर्मल ब्रा की तरफ बढ़ती हैं।

प्यूबर्टी और स्कूल के दिन

स्वरा ने बताया कि जब लड़कियां 11वीं-12वीं में पहुंचती हैं तो उनके जीवन में शारीरिक बदलाव शुरू हो जाते हैं। उस समय लड़कियों के लिए एक सामान्य बनियान से स्पोर्ट्स ब्रा और फिर नॉर्मल ब्रा की ओर जाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया होती है, लेकिन समाज इसे सहजता से स्वीकार नहीं करता। उन्होंने कहा कि स्कूल में कुछ लड़के गिनती रखते थे कि किस लड़की ने ब्रा पहनना शुरू किया है। 

लड़कियां इसे छिपाने की पूरी कोशिश करती थीं ताकि किसी को पता न चले। गर्मियों में भी वे ब्रा के ऊपर गंजी पहनकर खुद को ढकती थीं। स्वरा का मानना है कि यह स्थिति लड़कियों के लिए बेहद असहज और मानसिक दबाव बढ़ाने वाली होती है।

पापा से कोडवर्ड में मंगवाती थीं सैनिटरी नैपकिन

स्वरा ने आगे बताया कि उनके लिए सैनिटरी नैपकिन या ब्रा खरीदना बेहद शर्मिंदगी भरा अनुभव होता था, क्योंकि ज्यादातर दुकानों पर पुरुष ही बैठे होते थे। इस वजह से वे अपने पिता को यह सामान लाने भेजती थीं। उन्होंने कहा, मैं सीधे-सीधे ब्रा या नैपकिन बोलने में झिझकती थी। इसलिए मैंने कोडवर्ड बना लिए थे। जैसे ब्रा के लिए 'MP' और नैपकिन के लिए 'UP'। मैं पापा से कहती थी कि 'UP चाहिए' और वो समझ जाते थे।

स्वरा ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने लड़के दोस्तों को भी ऐसे कामों के लिए भेजकर यह जांचा कि कौन दोस्त भरोसेमंद है और कौन नहीं। लड़कियों की सुरक्षा पर पूछे गए सवाल पर स्वरा ने कहा कि माता-पिता भले ही ज्यादा न सिखाएं, लेकिन दिल्ली का माहौल खुद सुरक्षा करना सिखा देता है। उन्होंने कहा, अगर आप एक बार डीटीसी बस में सफर करेंगे तो अगली बार खुद ही सेफ्टी पिन या कोई हथियार साथ लेकर जाएंगे।

स्वरा ने अपने जीवन का दर्दनाक अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब वे 15 साल की थीं तो पहली बार नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उन्हें छेड़छाड़ का सामना करना पड़ा। कुछ साल बाद कॉलेज के समय दरियागंज में भी उनके साथ ऐसी ही घटना हुई। उन्होंने बताया, एक आदमी ने मुझे पकड़ लिया। उस वक्त मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ थी। मैंने गुस्से में उसका कॉलर पकड़ा और उसे मारा। भीड़ जमा हो गई, लेकिन उस दिन मैंने सीखा कि खुद के लिए खड़ा होना कितना जरूरी है।

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