गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार को हुए एयर इंडिया विमान हादसे का असर सिर्फ विमानन जगत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका प्रभाव शेयर बाजार पर भी स्पष्ट रूप से देखने को मिला।
गुजरात: के अहमदाबाद में एक बड़ा विमान हादसा हुआ जिसने सिर्फ यात्रियों और एयर इंडिया के लिए ही नहीं, बल्कि शेयर बाजार के लिए भी चिंता की लहर पैदा कर दी। अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 टेक-ऑफ के कुछ ही मिनटों बाद क्रैश हो गई। यह हादसा सिर्फ एविएशन इंडस्ट्री तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका सीधा असर टाटा ग्रुप की अन्य कंपनियों के शेयरों पर भी पड़ा।
एयर इंडिया हादसे की वजह से शेयर बाजार में हड़कंप
एयर इंडिया की यह फ्लाइट एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर थी, जिसमें कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर शामिल थे। घटना की जानकारी मिलते ही सोशल मीडिया पर अफरा-तफरी मच गई और निवेशकों के बीच घबराहट का माहौल बन गया। इसी घबराहट का असर शेयर बाजार पर भी पड़ा।
टाटा ग्रुप, जो एयर इंडिया का मालिक है, उसकी अन्य कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। टाटा मोटर्स, टाइटन, टाटा स्टील और टीसीएस जैसे बड़े शेयरों में दोपहर होते-होते गिरावट का ग्राफ लगातार नीचे जाता गया।
टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनियों के शेयरों में गिरावट
बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) पर गुरुवार दोपहर 3.10 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार:
- टाटा मोटर्स के शेयर 2.75% गिरकर ₹716.00 पर आ गए
- टाइटन कंपनी के शेयर 2.39% गिरकर ₹3456.00 पर पहुंचे
- टाटा स्टील के शेयर 2.17% की गिरावट के साथ ₹152.95 पर ट्रेड कर रहे थे
- टीसीएस के शेयर 1.11% गिरकर ₹3433.50 पर कारोबार कर रहे थे
यह गिरावट दर्शाती है कि एक विमान हादसा, विशेष रूप से जब वह कंपनी के नियंत्रणाधीन एयरलाइन से जुड़ा हो, समूह की ब्रांड वैल्यू और निवेशकों के विश्वास पर प्रत्यक्ष असर डाल सकता है।
एविएशन सेक्टर पर भी पड़ी गहरी चोट
एयर इंडिया के इस हादसे का असर केवल टाटा ग्रुप तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भारत की अन्य एविएशन कंपनियों के स्टॉक्स भी गिरावट की चपेट में आ गए।
- इंडिगो (इंटरग्लोब एविएशन) के शेयर 2.36% गिरकर ₹5499.50 पर पहुंच गए
- स्पाइसजेट के शेयर 1.06% की गिरावट के साथ ₹45.01 पर बंद हुए
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि विमानन क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर जरा सी चूक भी पूरी इंडस्ट्री को हिला सकती है।
क्रैश का कारण और संभावित असर
फ्लाइट AI171 दोपहर 1:10 बजे अहमदाबाद से टेक-ऑफ हुई थी और उसे लंदन के गैटविक एयरपोर्ट पर रात 10:45 बजे लैंड करना था। लेकिन उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों के भीतर विमान का संपर्क कंट्रोल टॉवर से टूट गया और वह अहमदाबाद के पास एक रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। फ्लाइट में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के भी सवार होने की खबर सामने आई है।
इस क्रैश की जांच DGCA और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) कर रहे हैं। शुरुआती रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पायलट ने टेक-ऑफ के कुछ सेकंड बाद ही "Mayday" कॉल दी थी, जो कि इमरजेंसी की स्थिति का संकेत होता है।
बाजार की संवेदनशीलता और निवेशकों की चिंता
शेयर बाजार न सिर्फ कंपनियों के मुनाफे और घाटे से प्रभावित होता है, बल्कि ब्रांड पर हुई घटनाओं और हादसों से भी। एयर इंडिया हादसे ने यह दिखा दिया कि निवेशक ऐसी खबरों पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं।
इस घटना के बाद से बाजार में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या टाटा ग्रुप को इस क्रैश की वजह से लंबे समय तक निवेशकों का भरोसा हासिल करने में दिक्कत होगी? क्या कंपनी की जोखिम प्रबंधन रणनीति में बदलाव होगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं अगर बार-बार घटें तो किसी भी कंपनी के ब्रांड की छवि और निवेशकों के मनोबल को कमजोर कर सकती हैं। हालांकि, टाटा ग्रुप की कंपनियों की बुनियाद मजबूत है और लंबे समय में यह गिरावट अस्थायी सिद्ध हो सकती है।
टाटा ग्रुप की प्रतिक्रिया
एयर इंडिया अब टाटा ग्रुप के अधीन है और ऐसे में इस हादसे को लेकर समूह की प्रतिक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है। एयर इंडिया के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन की तरफ से एक बयान जारी किया गया, जिसमें उन्होंने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और पीड़ितों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई।
बयान में यह भी कहा गया कि कंपनी सभी संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्य में पूरी मदद कर रही है और जांच में भी पूरी तरह सहयोग करेगी।
बाजार में रिकवरी की संभावना?
शेयर मार्केट की चाल अस्थिर होती है, और घटनाओं के प्रभाव सामान्यतः कुछ समय के लिए होते हैं जब तक कंपनी स्पष्टता और ठोस एक्शन न दिखा दे। टाटा ग्रुप की कंपनियों में गिरावट एक भावनात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है, लेकिन आने वाले समय में जैसे-जैसे हादसे की वजह और कंपनी की प्रतिक्रिया स्पष्ट होगी, बाजार भी स्थिति को फिर से संतुलित कर सकता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि टाटा ग्रुप की कंपनियों का फंडामेंटल स्ट्रॉन्ग है और निवेशकों को घबराने की बजाय, दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखना चाहिए।