प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्लोबल साउथ के देशों के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत करने के मकसद से 5 देशों की यात्रा पर निकले हैं। इसी क्रम में वे त्रिनिदाद एंड टोबैगो पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच देशों की कूटनीतिक यात्रा ने इस बार त्रिनिदाद एंड टोबैगो में भारत और भारतीय संस्कृति की छाप छोड़ दी। ग्लोबल साउथ के साथ रिश्तों को और गहराने की कोशिश में पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी का त्रिनिदाद एंड टोबैगो में पारंपरिक और भव्य अंदाज में स्वागत किया गया। देश की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने पीएम मोदी के सम्मान में एक विशेष रात्रिभोज का आयोजन किया, जिसने दोनों देशों के ऐतिहासिक रिश्तों में नई ऊर्जा भर दी।
रात्रिभोज में खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री मोदी को सोहारी के पत्ते पर भोजन परोसा गया। त्रिनिदाद एंड टोबैगो के भारतीय मूल के लोगों में सोहारी के पत्तों पर खाना एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक परंपरा है, जो सैकड़ों साल से वहां की पहचान बन चुकी है। खासकर त्योहारों, धार्मिक आयोजनों और विशेष अतिथियों के स्वागत में इस परंपरा का पालन किया जाता है। पीएम मोदी ने भी इस सम्मान को बेहद भावुक अंदाज में स्वीकार किया और इसे साझा सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताया।
अयोध्या और प्रयागराज की याद दिलाने वाला अनमोल तोहफा
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर त्रिनिदाद एंड टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर को एक बेहद खास तोहफा भी दिया। उन्होंने अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्रतिकृति, सरयू नदी का पवित्र जल, और प्रयागराज के महाकुंभ का जल भेंट किया। पीएम मोदी ने कहा कि यह भेंट न केवल भारत की सांस्कृतिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रिश्तों को और मजबूत करने का माध्यम भी है।
सोशल मीडिया पर साझा की गई तस्वीरों में पीएम मोदी ने लिखा, यह तोहफा त्रिनिदाद एंड टोबैगो के भारतीय मूल के लोगों से हमारी भावनात्मक नजदीकी का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत और त्रिनिदाद एंड टोबैगो के बीच सांस्कृतिक रिश्ते सदियों पुराने हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए इन्हें सुरक्षित रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
प्रवासी भारतीयों से भी जुड़ा संवाद
त्रिनिदाद एंड टोबैगो में पीएम मोदी ने वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों, जिनकी आबादी की जड़ें 19वीं सदी में गिरमिटिया मजदूरों से जुड़ी हैं, को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने ओसीआई (ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया) कार्ड के जरिए प्रवासी भारतीयों का अपने देश से जुड़ाव और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
इससे त्रिनिदाद में बसे भारतीय मूल की छठी पीढ़ी को भी भारत से जोड़ने में मदद मिलेगी।प्रधानमंत्री ने कहा, आप सभी भारत की विरासत के सच्चे दूत हैं। आपके प्रयासों से यहां भारतीय परंपराएं जिंदा हैं और यही हमें गौरवान्वित करता है।
ग्लोबल साउथ की आवाज को मिलेगा बल
त्रिनिदाद एंड टोबैगो की इस यात्रा के जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत ग्लोबल साउथ के देशों के हितों की आवाज बनेगा। भारत अब छोटे और विकासशील देशों की जरूरतों और आकांक्षाओं को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से उठाने के लिए तैयार है। दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच आपसी सहयोग, व्यापार, शिक्षा और संस्कृति से जुड़े विषयों पर भी सार्थक चर्चा हुई। त्रिनिदाद एंड टोबैगो के नेताओं ने भारतीय टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य और शिक्षा में साझेदारी बढ़ाने की इच्छा जताई।
पीएम मोदी के इस दौरे ने भारत की वैश्विक छवि को और सशक्त किया है। अयोध्या का स्मृति चिह्न और सरयू-महाकुंभ का जल वहां के प्रधानमंत्री को भेंट करना इस बात का संदेश है कि भारत अपनी सांस्कृतिक जड़ों और मूल्यों को कभी नहीं भूलता, चाहे वह किसी भी मंच पर क्यों न पहुंचे।