जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा बडगाम में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की क्लास शुरू करने की घोषणा पर विवाद गहराया। बीजेपी ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है।
जम्मू-कश्मीर: राजनीति में एक बार फिर विवाद गहराने लगा है। विधानसभा में पारित प्रस्ताव के तहत मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बडगाम में इस शैक्षणिक सत्र से नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) की कक्षाएं शुरू करने की घोषणा की, लेकिन बीजेपी ने इस कदम को चुनाव आचार संहिता (MCC) का उल्लंघन बताया है। विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि उपचुनाव के दौरान ऐसी घोषणा चुनावी नैतिकता के खिलाफ है और मुख्यमंत्री को इसके लिए इस्तीफा देना चाहिए।
जल्द शुरू होंगी NLU की क्लासें
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बुधवार को ध्वनि मत से पारित प्रस्ताव के जरिए यह निर्णय लिया गया कि राज्य में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का संचालन इसी शैक्षणिक वर्ष से शुरू किया जाएगा। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बताया कि केंद्र सरकार से पहले ही विश्वविद्यालय की मंजूरी मिल चुकी है, और अस्थायी तौर पर बडगाम में इसकी कक्षाएं आरंभ होंगी।
उन्होंने कहा कि बडगाम के ओम्पोरा में पहले से निर्मित आईटी पार्क की एक बड़ी इमारत वर्तमान में खाली है, जिसे अस्थायी कैंपस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उमर ने कहा, “अगर यह योजना कामयाब होती है, तो हम इसी परिसर से क्लासेस शुरू करेंगे और मुख्य कैंपस 2026-27 तक तैयार हो जाएगा।”
बीजेपी ने लगाया MCC उल्लंघन का आरोप

मुख्यमंत्री की इस घोषणा के तुरंत बाद बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बडगाम में NLU शुरू करने की बात कहकर आचार संहिता का खुला उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा, “जब बडगाम उपचुनाव के लिए MCC लागू है, तब किसी नयी नीति या परियोजना की घोषणा करना चुनावी नियमों के खिलाफ है।”
बीजेपी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने चुनावी लाभ हासिल करने के लिए इस घोषणा को जानबूझकर किया। शर्मा ने कहा कि बीजेपी इस मामले को औपचारिक रूप से भारत के चुनाव आयोग (ECI) में उठाएगी और मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगी।
मुख्यमंत्री पर विपक्ष का निशाना
बीजेपी ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से इस मामले में नैतिक जिम्मेदारी लेने की मांग की है। शर्मा ने कहा, “अगर मुख्यमंत्री नैतिकता में विश्वास करते हैं, तो उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता, तो हम चुनाव आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उमर अब्दुल्ला ने पहले भी संवैधानिक संस्थानों को चुनौती देने वाले बयान दिए हैं और अब चुनाव के दौरान सरकारी नीतियों की घोषणा कर एक बार फिर मर्यादाएं लांघी हैं।
NLU मुद्दे पर राजनीति गरमाई
बडगाम सीट पर 11 नवंबर को उपचुनाव प्रस्तावित है। ऐसे में इस घोषणा से राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। जहां सरकार इसे राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी फायदा लेने की कोशिश कह रहा है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि NLU की स्थापना का फैसला लंबे समय से अटका हुआ था, मगर उपचुनाव के दौरान इसकी घोषणा ने पूरे घटनाक्रम को सियासी रंग दे दिया है। अब निगाहें इस पर हैं कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या रुख अपनाता है।












