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उमरिया-रीवा में खाद की कमी, किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज और मुकदमे दर्ज

उमरिया-रीवा में खाद की कमी, किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज और मुकदमे दर्ज

रीवा और उमरिया में खाद की किल्लत से किसान परेशान हैं। लाइन में लगे किसानों को पुलिस द्वारा पीटा गया और मुकदमे दर्ज किए गए। खाद की कालाबाजारी और लाठीचार्ज से ग्रामीणों की समस्याएँ बढ़ गई हैं।

उमरिया: मध्य प्रदेश के रीवा और उमरिया जिले में खाद की भारी कमी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। खाद के लिए लाइन में लगे किसानों पर पुलिस और गोदाम कर्मचारियों द्वारा लाठीचार्ज और मारपीट की घटनाएं सामने आ रही हैं। किसान इसके विरोध में CM के निर्देशों के बावजूद खाद नहीं पा रहे हैं। मामला इतना गंभीर हो गया है कि कुछ खाद विक्रेता इसे कालाबाजारी के लिए 1000 रुपये तक में बेच रहे हैं।

रीवा में किसानों पर लाठीचार्ज

रीवा जिले में किसानों की भारी भीड़ खाद वितरण केंद्रों पर जुटी थी। वहां भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने खाद वितरण की समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को बिना किसी परेशानी के खाद उपलब्ध कराई जाए।

हालांकि, CM के आदेश के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। किसानों का आरोप है कि उन्हें अब भी खाद पाने के लिए लंबे समय तक लाइन में खड़ा होना पड़ता है और मारपीट जैसी घटनाएं जारी हैं। किसानों का कहना है कि सरकार की नीतियां कागजों में अच्छी दिखती हैं, लेकिन जमीन पर उनका कोई असर नहीं है।

उमरिया में किसानों पर मुकदमे दर्ज

उमरिया जिले के मानपुर में खाद गोदाम पर स्थिति और गंभीर है। किसानों का आरोप है कि उन्हें खाद की कमी के साथ मारपीट और मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है। किसान अनिल यादव ने बताया कि खाद विक्रेता ने उनके साथ मारपीट की और पुलिस ने भी उन्हें पीटा। इसके अलावा उन पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया।

किसान रघुवीर पटेल ने बताया कि चार दिन से लाइन में खड़े होने के बावजूद उन्हें खाद नहीं मिली। उन्हें टोकन मिला था, लेकिन वह भी मान्य नहीं किया गया। बृज विशाल पटेल पांच दिन से लाइन में हैं और उनका कहना है कि धूप में खड़े रहने से हालत खराब हो रही है। पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं था।

खाद की कालाबाजारी और रिश्वतखोरी

किसानों का आरोप है कि खाद महंगी बिक रही है और कई जगह रिश्वतखोरी की जा रही है। कुछ लोग 600-650 रुपये में खाद बेच रहे हैं, जबकि अन्य इसे 1000 रुपये तक में बेच रहे हैं। किसान कहते हैं कि सरकारी प्रयासों के बावजूद वास्तविक वितरण में बहुत कम सुधार हुआ है।

तहसीलदार रामलाल पनिका का कहना है कि खाद आते ही वितरण किया जा रहा है और मारपीट की कोई घटना नहीं हुई। उन्होंने किसानों के आरोपों का खंडन किया, लेकिन स्थानीय लोगों और किसानों का कहना है कि प्रशासन की ओर से यह कार्रवाई पर्याप्त नहीं है।

खाद की कमी से किसानों और प्रशासन में तनाव

सीएम के निर्देशों के बावजूद खाद की कमी और मारपीट की घटनाओं ने किसानों और प्रशासन के बीच तनाव बढ़ा दिया है। किसान लगातार शिकायत कर रहे हैं कि प्रशासन उन्हें उचित सुविधा नहीं दे रहा है और भूख-प्यास और धूप में खड़े रहने को मजबूर किया जा रहा है।

स्थिति इतनी गंभीर है कि कई किसान खाद के नाम पर रिश्वतखोरी और कालाबाजारी को लेकर शिकायत कर चुके हैं। प्रशासनिक अफसरों का कहना है कि खाद वितरण जारी है, लेकिन किसानों का सहयोग न मिलना और भीड़ नियंत्रण की समस्या इसे चुनौतीपूर्ण बना रही है।

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