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UPI ने बनाया नया रिकॉर्ड, अगस्त में 2,001 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए, लेकिन वैल्यू में थोड़ी गिरावट

UPI ने बनाया नया रिकॉर्ड, अगस्त में 2,001 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए, लेकिन वैल्यू में थोड़ी गिरावट

UPI की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। अगस्त 2025 में मासिक UPI ट्रांजेक्शन पहली बार 2,001 करोड़ पार कर गया, जिसकी कुल वैल्यू 24.85 लाख करोड़ रुपये रही। पिछले साल के मुकाबले ट्रांजेक्शन में 34% की वृद्धि हुई। हालांकि कुल वैल्यू में जुलाई 2025 के 25.08 लाख करोड़ रुपये से 0.9% की मामूली गिरावट आई।

UPI Transaction: अगस्त 2025 में UPI ने एक बड़ा मील का पत्थर पार किया और मासिक ट्रांजेक्शन पहली बार 2,001 करोड़ तक पहुंच गए। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के मुताबिक, इस महीने इन ट्रांजेक्शनों की कुल वैल्यू 24.85 लाख करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल अगस्त की तुलना में 34% ज्यादा है। रोजाना औसतन 64.5 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए। हालांकि, कुल वैल्यू में जुलाई 2025 के 25.08 लाख करोड़ रुपये से 0.9% की गिरावट दर्ज की गई। UPI 2016 से तेजी से बढ़ रहा है और अब आम जनता का प्रमुख भुगतान माध्यम बन चुका है।

पहली बार 2,000 करोड़ के पार

अगस्त 2025 में यूपीआई का मासिक ट्रांजेक्शन पहली बार 2,000 करोड़ के पार गया। इस दौरान कुल लेनदेन की वैल्यू 24.85 लाख करोड़ रुपये रही। पिछले साल के अगस्त महीने की तुलना में यह 34 प्रतिशत की बढ़त है। जुलाई 2025 में यूपीआई के 1,947 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे, यानी अगस्त के मुकाबले 2.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

हालांकि ट्रांजेक्शन की संख्या बढ़ी, लेकिन कुल लेनदेन की वैल्यू में हल्की गिरावट देखी गई। जुलाई में यह 25.08 लाख करोड़ रुपये थी, जो अगस्त में घटकर 24.85 लाख करोड़ रुपये रह गई। यह 0.9 प्रतिशत की कमी दर्शाती है। जून 2025 में 1,840 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे, जिनकी वैल्यू 24.04 लाख करोड़ रुपये थी।

औसतन रोजाना 64.5 करोड़ ट्रांजेक्शन

अगस्त 2025 में हर दिन औसतन 64.5 करोड़ यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए। जुलाई में यह संख्या 62.8 करोड़ थी। पिछले साल अगस्त के मुकाबले यह 34 प्रतिशत ज्यादा है। यदि लेनदेन की रकम की बात करें, तो हर दिन औसतन 80,177 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। जुलाई में यह आंकड़ा 80,919 करोड़ रुपये था, जो थोड़ा कम रहा। पिछले साल अगस्त से यह राशि 21 प्रतिशत अधिक रही।

यूपीआई का इस्तेमाल अब सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं रहा है। छोटे शहर और ग्रामीण इलाके भी इसमें शामिल हो गए हैं। ऑटो-टैक्सी वाले से लेकर किराने की दुकानों तक हर कोई यूपीआई से भुगतान स्वीकार कर रहा है। इसका फायदा यह है कि कैश हैंडलिंग में भी कमी आई है और लेनदेन तेज और सुरक्षित हो गया है।

UPI का सफर

UPI की शुरुआत नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने 2016 में की थी। शुरुआत में यह डिजिटल भुगतान का एक नया तरीका था। 2016 के बाद यूपीआई ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की। अगस्त 2024 तक हर दिन लगभग 50 करोड़ भुगतान होने लगे थे। 2 अगस्त 2025 को यह संख्या 70 करोड़ से भी अधिक हो गई।

UPI ने न सिर्फ उपयोगकर्ताओं के लिए भुगतान आसान किया है, बल्कि व्यापारियों के लिए भी सुविधा बढ़ाई है। अब लोग क्यूआर कोड स्कैन करके या नंबर पर पैसे ट्रांसफर करके तुरंत भुगतान कर सकते हैं। इस प्रणाली की वजह से कैश लेनदेन की आवश्यकता कम हुई और नकदी के नुकसान का खतरा भी घटा है।

ट्रांजेक्शन बढ़ने के पीछे कारण

UPI ट्रांजेक्शन बढ़ने के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण यह है कि डिजिटल पेमेंट को अपनाना अब सामान्य हो गया है। सरकारी योजनाओं और सब्सिडी के भुगतान में भी यूपीआई का इस्तेमाल बढ़ा है। इसके अलावा मोबाइल ऐप और बैंकिंग प्लेटफॉर्म के आसान इंटरफेस ने यूजर्स को आकर्षित किया है।

दूसरी वजह है कि यूपीआई हर लेनदेन पर रियल टाइम में पैसा ट्रांसफर करता है। इससे छोटे व्यापारी और आम ग्राहक दोनों को फायदा होता है। त्योहारी सीजन और सेल के दौरान लोग कैश के बजाय यूपीआई का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं।

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