वाराणसी शहर में 40 चौराहों पर 80 दारोगा (सर्किल अधिकारियों / पुलिस उपाधीक्षक स्तर) तैनात किए गए हैं, ताकि उन चौराहों और उनकी सैकड़ों मीटर की सीमा में अतिक्रमण हटाया जाए।
इनके निरीक्षण का काम भी अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है, और अतिक्रमण करने वालों को चेतावनी दी जा रही है कि उन्हें खुद अतिक्रमण हटाना चाहिए।
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने सड़कों, जाम प्रभावित क्षेत्रों व प्रमुख क्रॉसिंग्स का मुआयना किया।
निर्देश दिए गए हैं कि:
ट्रैफिक दबाव वाले स्थानों के आस-पास अतिक्रमण न हो
मुख्य चौराहों की आस-पास की दुकानों, वाहनों आदि को हटाया जाए
“अतिक्रमण हटाओ अभियान” की समीक्षा हो
सड़क किनारे खड़ी गाड़ियाँ, अवैध दुकाने इत्यादि हटाई जाएँ
इस अभियान में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी (DIG, DCP आदि) व थानेदार भी शामिल हैं।
विश्लेषण / टिप्पणी
यह कदम शहर की सड़कों पर आवागमन को सुगम बनाने तथा जामसमस्याओं को कम करने का प्रयास हो सकता है। लेकिन “अतिक्रमण हटाओ अभियान” अक्सर विवादास्पद होते हैं, क्योंकि कई बार लोगों के व्यवसाय,जिन
दुकानों या भवनों को अतिक्रमण कहा जाता है, वे स्थानीय निवासियों या छोटे व्यापारियों की आय का स्रोत हो सकते हैं।
अगर राज्य या नगर निगम स्तर पर वैध परमिट या अधिकारों पर विवाद हो, तो यह कार्रवाई कानूनी चुनौतियों का सामना कर सकती है।
निरंतर निगरानी, वैकल्पिक व्यवस्था (व्यापारियों को पुनर्स्थापन, पुनर्व्यवस्था) और पारदर्शी प्रक्रिया आवश्यक होगी ताकि किसी तरह की अन्याय न हो।