आज का दिन हिंदू धर्म के अनुसार बेहद पवित्र और शुभ है क्योंकि 15 मई 2025 को वृषभ संक्रांति मनाई जा रही है। यह वही दिन है जब सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं। इसे धार्मिक, खगोलीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत खास माना जाता है।
इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि संक्रांति काल को दान, स्नान, जप और तप के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। सूर्य के राशि परिवर्तन से धरती पर एक नई ऊर्जा का संचार होता है, और इसे आत्मशुद्धि, पुण्य कमाने और सकारात्मकता बढ़ाने का अवसर माना गया है।
वृषभ संक्रांति का धार्मिक महत्व
वृषभ संक्रांति का दिन हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर लोग गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किया गया हर पुण्य कार्य कई गुना फल देता है। व्रत, दान और सूर्य पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मानसिक शांति भी मिलती है।
वेदों और पुराणों के अनुसार, वृषभ संक्रांति पर तिल, गुड़, वस्त्र, फल और जल से भरे घड़े का दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। यह दिन ग्रहों की शांति और आत्मिक उन्नति के लिए बेहद शुभ होता है। इस खास अवसर को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में धार्मिक संतुलन बना रहता है।
वृषभ संक्रांति तिथि और सूर्य का गोचर
वर्ष 2025 में वृषभ संक्रांति का पर्व 15 मई को मनाया जा रहा है। यह वह विशेष दिन है जब सूर्य देव अपनी वर्तमान राशि मेष को छोड़कर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं।
इस बार सूर्य का गोचर रात 12:11 बजे (14 और 15 मई की मध्यरात्रि) हुआ, जिसे वृषभ संक्रांति की शुरुआत का शुभ क्षण माना गया है। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य का यह परिवर्तन धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से बेहद खास होता है और इसी समय से संक्रांति का पुण्यकाल आरंभ हो जाता है।
शुभ मुहूर्त (Punya Kaal) और योग
वृषभ संक्रांति के दिन दान-पुण्य और पूजा-पाठ के लिए खास शुभ मुहूर्त (पुण्य काल) होता है। इस बार पुण्य काल सुबह 05:57 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक रहेगा, जिसमें धार्मिक कार्य करना शुभ माना गया है। इसके साथ ही महा पुण्य काल सुबह 05:30 बजे से 07:46 बजे तक रहेगा, जो संक्रांति का सबसे पवित्र समय होता है। इस अवधि में स्नान, सूर्य को अर्घ्य देना और दान करना बेहद पुण्यदायी होता है। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:50 से 12:45 बजे तक है, जो किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए उत्तम समय माना जाता है।
इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। सुबह 07:02 बजे तक शिव योग रहेगा, जो हर कार्य में सफलता दिलाने वाला होता है। इसके बाद सिद्ध योग और भद्रावास योग का प्रभाव रहेगा, जो किसी भी धार्मिक कार्य, पूजा, व्रत और दान के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। इन योगों के संयोग से वृषभ संक्रांति का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दौरान श्रद्धा से किए गए पुण्य कर्मों का फल कई गुना होकर प्राप्त होता है।
पूजा और अनुष्ठानों के खास मुहूर्त
वृषभ संक्रांति पर पूजा-पाठ, मंत्र जप और विशेष अनुष्ठानों का अत्यंत महत्व होता है। इस दिन कुछ खास मुहूर्त होते हैं, जिनमें धार्मिक क्रियाएं करने से अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:07 से 04:49 तक रहेगा। यह समय ध्यान, योग और मंत्र जाप के लिए सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि इसमें वातावरण शुद्ध और शांत होता है।
इसके अलावा, विजय मुहूर्त दोपहर 02:33 से 03:28 तक रहेगा, जो किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए शुभ होता है। गोधूलि मुहूर्त शाम 07:04 से 07:25 तक का समय लक्ष्मी पूजन और घर में सुख-समृद्धि की कामना के लिए अच्छा माना जाता है। वहीं, निशिता मुहूर्त रात 11:57 से 12:38 तक रहेगा, जो गुप्त पूजा या विशेष अनुष्ठानों के लिए श्रेष्ठ होता है। इन सभी मुहूर्तों में श्रद्धा से किया गया पूजन जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा लाता है।
वृषभ संक्रांति पर क्या-क्या करें दान?
वृषभ संक्रांति का दिन हिंदू धर्म में बहुत शुभ और पुण्यदायक माना जाता है। यह संक्रांति तब होती है जब सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करता है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन दिया गया दान कई गुना फल देता है। अगर आप सही चीजें सच्चे मन और श्रद्धा से दान करते हैं, तो पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है। आइए जानते हैं, इस दिन कौन-कौन सी चीजें दान करनी चाहिए।
तिल और गुड़: वृषभ संक्रांति पर तिल और गुड़ का दान बहुत शुभ माना जाता है। तिल पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक होता है जबकि गुड़ मिठास और स्वास्थ्य लाभ से जुड़ा होता है। तिल-गुड़ के दान से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। यह दान विशेष रूप से बुजुर्गों और गरीबों को देना चाहिए।
देसी घी और शक्कर: देसी घी और शक्कर का दान करने से घर में सुख-शांति और सकारात्मकता बढ़ती है। यह दान खासतौर पर अग्निहोत्र कर्म और हवन आदि से जुड़ा होता है, जो वायुमंडल को शुद्ध करने का कार्य करता है। इससे मानसिक तनाव दूर होता है और परिवार में प्रेम बना रहता है।
वस्त्र (सफेद या पीले रंग के): वृषभ संक्रांति पर सफेद या पीले रंग के कपड़े दान करना बहुत शुभ माना गया है। सफेद रंग शांति और शुद्धता का प्रतीक है जबकि पीला रंग ज्ञान और ऊर्जा से जुड़ा है। इन वस्त्रों के दान से व्यक्ति को मान-सम्मान, सौभाग्य और अच्छे कर्मों का फल मिलता है।
जल से भरे घड़े (मिट्टी या तांबे के): गर्मी के मौसम में ठंडा पानी जीवनदायी होता है। इस दिन मिट्टी या तांबे के जलपात्र में ठंडा पानी भरकर गरीबों या प्यासों को देना बहुत पुण्यदायी माना गया है। यह दान न केवल ग्रह दोषों से मुक्ति देता है बल्कि सूर्य देव की कृपा भी प्राप्त होती है।
फल और मिठाइयां: फल और मिठाईयों का दान करने से अन्न-धन की वृद्धि होती है और मन को प्रसन्नता मिलती है। यह दान जरूरतमंद बच्चों, वृद्धों और ब्राह्मणों को देना उत्तम होता है। इससे आपके जीवन में भी मिठास और समृद्धि आती है।
चांदी या तांबे के पात्र: अगर आप चांदी या तांबे के बर्तन दान करते हैं तो यह सूर्य और चंद्र ग्रह से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। यह दान आपकी कुंडली में मौजूद ग्रह दोषों को शांत करता है और जीवन में स्थिरता लाता है।
जलपात्र में जल भरकर दान देना: यह एक सरल लेकिन अत्यंत फलदायक दान है। जल से भरा हुआ पात्र किसी गरीब या जरूरतमंद को देना जीवन में स्थिरता, शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। साथ ही यह एक मानवीय और करुणामय कार्य भी है।
वृषभ संक्रांति: आध्यात्मिक उन्नति का शुभ अवसर
वृषभ संक्रांति सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि आत्मिक जागरूकता और मानसिक शुद्धि का खास अवसर भी है। इस दिन किए गए पूजा-पाठ, व्रत, जप और दान से हमारा मन और आत्मा दोनों मजबूत होते हैं। इससे न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि जीवन में शांति, खुशहाली और सफलता भी मिलती है।
यह पर्व हमें सही दिशा में चलने की प्रेरणा देता है और हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसलिए, वृषभ संक्रांति पर जो भी धार्मिक कर्म हम करें, वह हमारे जीवन को बेहतर बनाने और आध्यात्मिक विकास की राह आसान बनाने में मदद करता है।
क्या करें इस वृषभ संक्रांति पर?
इस वृषभ संक्रांति पर आप निम्न बातों का जरूर ध्यान रखें और इन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करें ताकि यह पर्व आपके लिए सुख-शांति और समृद्धि लेकर आए:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान सूर्य को जल, तिल और गुड़ से अर्घ्य अर्पित करें। इससे आपके जीवन में ऊर्जा और स्वास्थ्य का संचार होगा।
- शुभ मुहूर्त में मंत्र जाप, तप और हवन करें। इससे आपके परिवार पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।
- ऊपर बताई गई वस्तुओं जैसे तिल, गुड़, घी, वस्त्र और जलपात्र का दान करें। दान से आपका पुण्य बढ़ता है और जीवन में खुशहाली आती है।
- घर में सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए हनुमान चालीसा, आदित्य ह्रदय स्तोत्र या सूर्याष्टक का नियमित पाठ करें। इससे मानसिक शांति और सुरक्षा मिलती है।