YouTube ने किशोरों की सुरक्षा के लिए AI-संचालित आयु अनुमानक फीचर शुरू किया है, जो उपयोगकर्ता के व्यवहार के आधार पर उम्र तय करता है। किशोर की पहचान होने पर व्यक्तिगत विज्ञापन बंद, स्क्रीन टाइम अलर्ट सक्रिय और संवेदनशील सामग्री सीमित की जाएगी।
YouTube: डिजिटल दुनिया में किशोरों की सुरक्षा आज एक बड़ी चुनौती बन गई है, और इस चुनौती का जवाब लेकर आया है YouTube। दुनिया का सबसे बड़ा वीडियो प्लेटफॉर्म अब किशोर उपयोगकर्ताओं के लिए एक नई AI-संचालित आयु अनुमानक सुविधा शुरू कर रहा है। यह सुविधा खास तौर पर अमेरिका में लागू की जा रही है, लेकिन इसका असर वैश्विक तकनीकी नियमों और बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
क्या है यह नया AI-आधारित फीचर?
YouTube की यह नई तकनीक किसी भी उपयोगकर्ता की उम्र का अनुमान लगाने के लिए Machine Learning (मशीन लर्निंग) और Artificial Intelligence (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का इस्तेमाल करती है। खास बात यह है कि इस सिस्टम को उपयोगकर्ता से कोई व्यक्तिगत जानकारी जैसे जन्मतिथि, नाम या दस्तावेज़ नहीं चाहिए होते। यह फीचर उनके प्लेटफॉर्म पर उपयोग व्यवहार, सामग्री देखने की शैली और इंटरफेस उपयोग पैटर्न जैसे संकेतों के आधार पर उम्र का अनुमान लगाता है।
किशोर की पहचान होते ही हो जाएंगे ये बदलाव
जैसे ही सिस्टम यह पहचान लेता है कि किसी खाते का उपयोग किशोर कर रहा है, YouTube तुरंत कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन लागू करता है:
- वैयक्तिकृत विज्ञापन (Personalized Ads) पूरी तरह बंद कर दिए जाएंगे।
- डिजिटल वेलबीइंग टूल्स जैसे स्क्रीन टाइम अलर्ट, ब्रेक रिमाइंडर आदि अपने आप सक्रिय हो जाएंगे।
- वजन या शरीर की छवि से जुड़ी संवेदनशील सामग्री की सिफारिशें रोकी जाएंगी।
- कुछ वीडियो श्रेणियां, जैसे हिंसात्मक या मानसिक रूप से प्रभाव डालने वाली सामग्री, सिफारिशों से हटा दी जाएंगी।
- इसका उद्देश्य किशोरों को एक स्वस्थ और संतुलित डिजिटल अनुभव देना है।
अगर कोई वयस्क गलती से 'किशोर' मान लिया जाए तो?
कृत्रिम बुद्धिमत्ता का कोई भी सिस्टम 100% सटीक नहीं होता, और YouTube इस सच्चाई को मानता है। ऐसे में यदि कोई वयस्क उपयोगकर्ता गलती से किशोर के रूप में वर्गीकृत हो जाता है, तो YouTube उसे अपनी उम्र सत्यापित करने का विकल्प देगा। उपयोगकर्ता अपना सरकारी पहचान पत्र (ID) या क्रेडिट कार्ड देकर यह प्रमाणित कर सकते हैं कि वे वयस्क हैं। सत्यापन पूरा होते ही उनके अकाउंट पर लगे सभी प्रतिबंध हटा दिए जाएंगे और उन्हें सभी वीडियो कंटेंट की सामान्य पहुंच मिल जाएगी।
भविष्य की तैयारी: क्या भारत में भी आएगा यह फीचर?
फिलहाल यह सुविधा केवल अमेरिका के कुछ उपयोगकर्ताओं के लिए लागू की गई है, लेकिन YouTube का कहना है कि वह इसे अन्य देशों में भी जल्द लागू करने की योजना बना रहा है। भारत जैसे देशों में जहां इंटरनेट का उपयोग तेजी से बढ़ा है और किशोरों की संख्या काफी अधिक है, वहां यह तकनीक खास मायने रखती है।
पृष्ठभूमि और कंपनी का दृष्टिकोण
YouTube के सीईओ नील मोहन ने फरवरी 2025 में इस AI आधारित फीचर की घोषणा की थी। इससे पहले भी कंपनी ने किशोरों की सुरक्षा के लिए कई प्रयास किए हैं, जिनमें 'Supervised Accounts' और सामग्री सीमाएं (Content Restrictions) शामिल हैं, जिन्हें सितंबर 2024 से लागू किया गया था। इस नई सुविधा के साथ YouTube यह साबित कर रहा है कि वह न सिर्फ मनोरंजन का साधन है, बल्कि एक जिम्मेदार टेक प्लेटफॉर्म भी है जो डिजिटल स्वास्थ्य और नैतिक उपयोग की ओर गंभीर है।
क्यों जरूरी था यह बदलाव?
- गलत उम्र डालना आम है: आज के किशोर प्लेटफ़ॉर्म की आयु-आधारित शर्तों को पार करने के लिए ग़लत जन्मदिन दर्ज करते हैं।
- हानिकारक कंटेंट का जोखिम: अनियंत्रित सिफारिशों के कारण किशोर अनजाने में अस्वस्थ या मानसिक रूप से प्रभावशाली सामग्री देख सकते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य पर असर: लगातार स्क्रीन का उपयोग और नकारात्मक सामग्री किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।