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UP Election 2027: समाजवादी पार्टी की रणनीति में बड़ा बदलाव, PDA वोट पर नहीं रहेगा भरोसा

UP Election 2027: समाजवादी पार्टी की रणनीति में बड़ा बदलाव, PDA वोट पर नहीं रहेगा भरोसा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपनी चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने युवा, महिला, किसान, शिक्षक और नौकरीपेशा वर्गों को साधने के लिए अलग-अलग घोषणापत्र और वादों की योजना बनाई है।

लखनऊ: सत्ता की महाप्रतियोगिता में चुनावी सीटी अभी बजनी बाकी है, लेकिन राजनीतिक दल पहले से ही मैदान में उतर चुके हैं। साइकिल ने जीत की दिशा में अपने वादों के ट्रैक पर कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है। पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव रणनीति की गति बढ़ा रहे हैं और वादों के हर पैडल को सुनिश्चित कर रहे हैं। 

युवा, महिला, किसान, शिक्षक और नौकरीपेशा जैसे बड़े वर्गों के साथ-साथ छोटी-बड़ी जातियों को उनकी पहचान और महापुरुषों के सम्मान जैसे वादों से साधने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है।

वादों का नया सिलसिला और शहरों पर फोकस

सपा ने अब शहरों के लिए अलग घोषणापत्र पेश करने की रणनीति अपनाई है। आगरा, मथुरा, नोएडा और गाजियाबाद जैसे प्रमुख शहरों को सीधे अपने एजेंडे में शामिल किया गया है। पार्टी का मानना है कि इससे संबंधित जिलों में वोटिंग बढ़त हासिल की जा सकेगी। सपा ने स्त्री सम्मान-समृद्धि योजना की घोषणा करते हुए महिला वोटरों पर पकड़ बनाने की शुरुआत कर दी है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पिछले चुनावों में महिला वोट निर्णायक रहे हैं, और सपा इस वर्ग के समर्थन को पहले से ही मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

युवा और किसान वर्गों को आकर्षित करने के लिए शिक्षा, रोजगार और कृषि जैसे मुद्दों पर वादे किए जा रहे हैं। आउटसोर्सिंग खत्म करके पक्की नौकरी और पूरा आरक्षण देने का वादा, खाद संकट को कम करने और स्कूल बंदियों जैसे समस्याओं के समाधान के लिए योजनाओं की घोषणा भी की गई है।

सपा की रणनीति में अब जातीय समीकरण

सपा की रणनीति में अब जातीय समीकरण और प्रतीकों की राजनीति भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। पार्टी ने महाराजा सुहेलदेव, निषादराज, भगवान विश्वकर्मा और महाराणा प्रताप की प्रतिमाएं गोमती रिवर फ्रंट पर लगाने के वादे किए हैं। इसके अलावा नाविकों को नई नावें देने का भी ऐलान किया गया है। पूर्व सांसद शिवदयाल चौरसिया के स्मारक निर्माण की घोषणा भी इसी दिशा में की गई है। छोटे दलों और स्थानीय समूहों को साधने के लिए यह रणनीति महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पार्टी की मंशा है कि भाजपा को निषाद, राजभर, कुर्मी आदि जातियों में समर्थन जुटाने से रोका जा सके।

पिछले लोकसभा चुनाव में पीछड़े, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) वोट सपा के लिए अहम साबित हुए थे। हालांकि, 2027 के चुनाव में सपा ने केवल PDA वोट पर निर्भर रहने की रणनीति बदल दी है। अब पार्टी ने हर वर्ग और शहर पर नजर रखकर व्यापक चुनावी योजना बनाई है। अखिलेश यादव ने पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अलग-अलग घोषणापत्र और वादों के माध्यम से जनता में विश्वास और उम्मीद पैदा की जाए।

भाजपा की रणनीति को चुनौती

सपा का अगला लक्ष्य भाजपा की रणनीति को चुनौती देना भी है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने संविधान-आरक्षण के खतरे और PDA वोट के नारों से बढ़त बनाई थी। इस बार सपा उसी रणनीति को चुनौती देने के लिए प्रत्यक्ष वादों और घोषणाओं का सहारा ले रही है। सपा का मानना है कि अगर वे हर वर्ग और क्षेत्र के लिए स्पष्ट और भरोसेमंद वादे पेश करेंगे, तो जनता में उनकी स्वीकार्यता बढ़ सकती है। इसके साथ ही विरोधी दलों की नकारात्मक रणनीतियों का असर कम किया जा सकेगा।

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