विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली के बावजूद भारतीय शेयर बाजार में कोई बड़ा हाहाकार नहीं देखा जा रहा है। अक्टूबर महीने में एफआईआई (फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स) ने 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है, लेकिन इसके बावजूद भारतीय बाजार में ज्यादा गिरावट नहीं आई।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत बुनियादी आधार, घरेलू निवेशकों की सक्रिय भागीदारी और सरकारी नीतियों के चलते भारतीय शेयर बाजार को संतुलन बनाए रखने में मदद मिल रही है। इसके अलावा, घरेलू निवेशकों द्वारा लगातार बढ़ते निवेश और बड़े संस्थागत निवेशकों की मजबूत स्थिति ने भारतीय बाजार को सपोर्ट किया है।
एक ऐसा समय था जब विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) के बाजार से थोड़ी सी भी दूरी बनाने पर सेंसेक्स बुरी तरह प्रभावित होता था और बाजार में हलचल मच जाती थी। लेकिन कोरोना महामारी के बाद, जैसे-जैसे मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, वैसे ही बाजार भी धीरे-धीरे अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है। घरेलू संस्थागत निवेशकों का बाजार के प्रति रुझान लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे बाजार की एफआईआई पर निर्भरता कम होती जा रही है।
घरेलू निवेशकों ने 1 लाख करोड़ का निवेश कर भारतीय बाजार को संभाला
अक्टूबर माह में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय शेयर बाजार से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की, लेकिन इसके बावजूद बाजार में वह गिरावट नहीं आई, जैसा कि पहले होती थी।
इस दौरान एफआईआई ने 413,706 करोड़ रुपये की बिकवाली और 299,260 करोड़ रुपये की खरीदारी की, यानी 1,14,445 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। इसके बावजूद बाजार पर उतनी भारी दबाव नहीं बना, क्योंकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने अक्टूबर में अब तक का सबसे अधिक 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया।
स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, डीआईआई ने अक्टूबर में 340,159 करोड़ रुपये की खरीदारी और 232,904 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जिससे उन्होंने 107,254 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की। इस मजबूत घरेलू निवेश के कारण भारतीय बाजार ने विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बावजूद स्थिरता बनाए रखी।
विशेषज्ञों का मानना है कि अब भारतीय शेयर बाजार में घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ी है, जिससे बाजार वैश्विक उतार-चढ़ाव के मुकाबले अधिक लचीला बन गया है।
एफआईआई की बिकवाली से न प्रभावित हुआ भारतीय शेयर बाजार
वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) ने कई महीनों में भारतीय बाजार से अधिक बिकवाली की है। खासकर अप्रैल, मई, अगस्त और अक्टूबर में एफआईआई ने खरीदारी से ज्यादा बिकवाली की, जिससे भारतीय बाजार पर दबाव बना। हालांकि, भारतीय निवेशकों (डीआईआई) का निवेश बढ़ा है और वे पिछले साल जुलाई के बाद हर महीने शुद्ध खरीदारी कर रहे हैं, जिससे घरेलू बाजार में मजबूत भरोसा दिख रहा है।
इस साल अक्टूबर से पहले डीआईआई ने मार्च में अब तक का सबसे अधिक 56,311 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। सोमवार को भी एफआईआई ने खरीदारी से 4329 करोड़ रुपये अधिक बिकवाली की, जबकि डीआईआई ने बिकवाली से 2936 करोड़ रुपये अधिक शुद्ध खरीदारी की।
यह आंकड़े यह दर्शाते हैं कि भारतीय निवेशकों का भरोसा अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो चुका है, जो भारतीय बाजार को विदेशी निवेशकों की बिकवाली से होने वाले असर से बचा रहा है।
डीआईआई का निवेश सेंसेक्स को और बड़ी गिरावट से बचा रहा
अक्टूबर में एक लाख करोड़ से अधिक की विदेशी निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली के बावजूद, भारतीय शेयर बाजार ने अपेक्षाकृत कम गिरावट दर्ज की। सेंसेक्स ने अपने शीर्ष स्तर से आठ प्रतिशत की गिरावट दिखाई, जबकि कुछ साल पहले इस समय बाजार में 10 से 15 प्रतिशत तक की गिरावट देखी जाती। लेमोन मार्केट डेस्क के रिसर्च एनालिस्ट गौरव गर्ग का मानना है कि यह भारतीय निवेशकों की ताकत है जिसने बाजार को भारी गिरावट से बचा लिया।
सितंबर के अंत में सेंसेक्स 85,800 अंक के पार जा पहुंचा था, लेकिन एफआईआई की बिकवाली के बावजूद बाजार ने अपेक्षाकृत स्थिरता बनाए रखी। इसके पीछे कारण है भारतीय खुदरा निवेशकों का बढ़ता रुझान, विशेष रूप से सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) और म्युचुअल फंड्स में उनका बढ़ता निवेश। पिछले चार वर्षों में डीमैट खाता धारकों की संख्या तीन करोड़ से बढ़कर 18 करोड़ के पार पहुंच चुकी है, जिससे डीआईआई (घरेलू संस्थागत निवेशकों) का निवेश लगातार बढ़ा है और भारतीय बाजार में मजबूती बनी हुई है।