ट्रम्प या हैरिस? राष्ट्रपति बनने पर अमेरिका का व्यापार, माइग्रेशन और टैरिफ नीति में क्या होंगे बदलाव, भारत पर क्या पड़ेगा इसका प्रभाव?

ट्रम्प या हैरिस? राष्ट्रपति बनने पर अमेरिका का व्यापार, माइग्रेशन और टैरिफ नीति में क्या होंगे बदलाव, भारत पर क्या पड़ेगा इसका प्रभाव?
Last Updated: 2 घंटा पहले

जैसे-जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति पद की दौड़ में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच मुकाबला तेज हो रहा है, विश्लेषकों ने उनकी नीतियों के भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया है। हैरिस, बाइडन प्रशासन की बहुपक्षीय और सहयोगात्मक रणनीतियों को बनाए रखने की उम्मीद करती हैं, जबकि ट्रम्प अपनी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत अधिक आक्रामक व्यापार नीतियां, जैसे कि टैरिफ़ और कड़े आप्रवासन नियंत्रण, फिर से लागू कर सकते हैं। इन दोनों नीतियों के भारत पर अलग-अलग असर हो सकते हैं, जिससे भारतीय व्यवसाय और अर्थव्यवस्था को फायदा या नुकसान दोनों हो सकते हैं।

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति पद की दौड़ में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच मुकाबला जैसे-जैसे तेज हो रहा है, विश्लेषकों ने उनके नीतिगत दृष्टिकोण के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों का आकलन किया है। हैरिस, बाइडन प्रशासन की बहुपक्षीय और सहयोगात्मक रणनीतियों को जारी रखने की उम्मीद करती हैं, जबकि ट्रम्प अपने "अमेरिका फर्स्ट" दृष्टिकोण के तहत आक्रामक व्यापार नीतियों, जैसे कि टैरिफ और सख्त आप्रवासन नियंत्रणों की वापसी कर सकते हैं। इन नीतियों का भारत पर अलग-अलग असर पड़ सकता है, जो भारतीय व्यापार, निवेश और रोजगार के लिए अहम साबित होगा।

ट्रम्प की नीतियों से भारत की व्यापार, तेल, और रक्षा रणनीतियों पर असर

पीएल कैपिटल के विश्लेषण के अनुसार, ट्रम्प प्रशासन के प्रभाव से वैश्विक भू-राजनीति, कच्चे तेल की कीमतें, रक्षा प्रौद्योगिकी और फार्मास्यूटिकल्स पर सकारात्मक असर हो सकता है। आगामी अमेरिकी चुनाव भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं, खासकर दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक तनाव और दक्षिण-पूर्व एशिया में बदलती परिस्थितियों के मद्देनजर। भारत की इन चुनौतियों को सामना करने की क्षमता अमेरिकी नीतियों, खासकर व्यापार और माइग्रेशन के संदर्भ में, से प्रभावित होगी।

हैरिस और ट्रम्प की व्यापार नीतियों में अंतर, भारत के लिए क्या होंगे प्रभाव?

ट्रेड नीति के मामले में, कमला हैरिस बहुपक्षीय समझौतों, जैसे Indo-Pacific Economic Framework का समर्थन करती हैं, जिसका उद्देश्य स्थिरता और विकास को बढ़ावा देना है। उनके नेतृत्व में, भारत को द्विपक्षीय व्यापार में 9.2% की स्थायी CAGR (Compound Annual Growth Rate) देखने को मिल सकती है, जबकि डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति पद के दौरान यह दर 7.5% थी। इसके अलावा, Generalized System of Preferences (GSP) के संभावित नवीकरण से भारतीय निर्यात को लाभ हो सकता है, जो 2019 में समाप्त हो गए थे।

भारत के IT सेक्टर पर प्रभाव

आव्रजन नीतियों में भी हैरिस और ट्रम्प के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। कमला हैरिस कुशल श्रमिक वीज़ा (H-1B) बढ़ाने की योजना बनाती हैं, जो भारतीय IT सेक्टर के लिए फायदेमंद हो सकता है। इससे भारतीय पेशेवरों को अमेरिका में काम करने के अधिक अवसर मिलेंगे। वहीं, डोनाल्ड ट्रम्प आव्रजन नियमों को सख्त करने और H-1B वीज़ा अनुमोदन में कमी करने के पक्षधर रहे हैं, जिससे भारतीय श्रमिकों की अमेरिका के बाजार में पहुंच बाधित हो सकती है।

हैरिस और ट्रम्प की ऊर्जा नीतियों में अंतर

ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र में भी हैरिस और ट्रम्प की नीतियों में बड़ा अंतर है। कमला हैरिस नवीकरणीय ऊर्जा पहलों को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखती हैं, जो भारत के ग्रीन एनर्जी लक्ष्यों के साथ मेल खाती हैं। इससे भारत को अपने पर्यावरणीय उद्देश्यों को हासिल करने में मदद मिल सकती है। वहीं, ट्रम्प पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को प्राथमिकता देते हैं, जैसे कि कोयला और प्राकृतिक गैस, जो वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों को कम कर सकते हैं। यह बदलाव भारत के आयात-निर्भर अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि इससे तेल और गैस के आयात पर खर्च कम हो सकता है।

रक्षा नीति में हैरिस और ट्रम्प के दृष्टिकोण में अंतर

रक्षा क्षेत्र में भी हैरिस और ट्रम्प के दृष्टिकोण में बड़ा अंतर है। कमला हैरिस भारत के साथ तकनीकी हस्तांतरण (technology transfer) और सह-उत्पादन (co-production) पहलों पर जोर देती हैं, जिससे भारत की रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ किया जा सकता है। इसके तहत भारत को उन्नत सैन्य तकनीक और उपकरण मिल सकते हैं, जो उसकी सुरक्षा स्थिति को मजबूत करेंगे। वहीं, डोनाल्ड ट्रम्प का फोकस अधिकतर हथियारों की बिक्री बढ़ाने पर है, जिससे भारत को अमेरिकी हथियारों का अधिक आपूर्ति मिल सकती है, लेकिन इसका असर दीर्घकालिक रक्षा साझेदारी पर सीमित हो सकता है।

स्वास्थ्य देखभाल नीतियों में हैरिस और ट्रम्प का दृष्टिकोण

स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में भी हैरिस और ट्रम्प की नीतियों में फर्क है। कमला हैरिस मेडिकेयर (Medicare) का विस्तार और दवा की कीमतों में कमी लाने के लिए सरकार को मजबूर करने का समर्थन करती हैं, जिससे भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों को अमेरिकी बाजार में अपने निर्यात को बढ़ाने का अवसर मिल सकता है। वहीं, ट्रम्प का deregulation (नियामक प्रतिबंधों में कमी) भारतीय दवाओं के लिए लाभकारी हो सकता है, क्योंकि इससे दवाओं की उपलब्धता में वृद्धि हो सकती है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप कीमतों पर दबाव भी पड़ सकता है, जो भारतीय कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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