भारत में एयरलाइनों के लिए एयरक्राफ्ट लीजिंग के क्षेत्र में आयरलैंड की प्रमुख स्थिति वर्षों से बनी हुई है। हालाँकि, आयकर विभाग ने हाल ही में तीन आयरिश कंपनियों को कर लाभ से वंचित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय उन कंपनियों पर केंद्रित है जो टैक्स बचत के उद्देश्य से आयरलैंड में अपना संचालन कर रही हैं।
New Delhi: आयकर विभाग ने इन कंपनियों को भेजे गए नोटिस में यह तर्क दिया है कि आयरलैंड में इन लीजर्स का संचालन मुख्य रूप से भारत से प्राप्त लीज रेंटल पर कर से बचने के लिए किया जा रहा है। आयरलैंड और भारत के बीच की टैक्स संधि के तहत, इन आयों पर आयरलैंड में कर नहीं लगाया जाता है, और भारतीय एयरलाइनों द्वारा विदेशी लीजर्स को किराए का भुगतान करते समय कोई स्रोत पर कर रोकने की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन अब यह व्यवस्था विवाद में है।
भारत और आयरलैंड के बीच BEPS संधि
भारत और आयरलैंड दोनों ही BEPS (बेस इरोशन और प्रॉफिट शिफ्टिंग) मल्टीलेटरल इंस्ट्रूमेंट के हस्ताक्षरकर्ता हैं, जो कर संधियों में मौजूद खामियों को दूर करने की कोशिश कर रहा है। आयकर विभाग ने "प्रिंसिपल पर्पज टेस्ट" (PPT) के आधार पर कर लाभों को रोकने का तर्क प्रस्तुत किया है। इसका अर्थ यह है कि यदि किसी लेन-देन का प्राथमिक उद्देश्य कर लाभ प्राप्त करना है, तो उसे कर छूट नहीं मिलेगी।
यह नया दृष्टिकोण उन कंपनियों के लिए चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है जो कर लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अपनी संरचना को विदेश में स्थापित करती हैं। इस टेस्ट के माध्यम से, आयकर विभाग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कर लाभ का उपयोग केवल वैध और सही कारणों से किया जाए।
कंपनियों पर आयकर विभाग की निगाह
आयरिश लीजिंग कंपनियाँ विशेष प्रयोजन कंपनियों (SPVs) का उपयोग करती हैं, जो उनकी वास्तविक व्यावसायिक गतिविधियों को छिपाने के लिए संदेहास्पद मानी जाती हैं। आयकर विभाग का मानना है कि ये SPVs मात्र कर बचत के लिए स्थापित की गई हैं।
आयकर विभाग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इन SPVs का मुख्य उद्देश्य कर लाभ प्राप्त करना है, न कि वास्तविक व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करना। इससे यह संकेत मिलता है कि कर नियमों का दुरुपयोग न हो और केवल वैध व्यावसायिक गतिविधियों को ही कर लाभ का लाभ मिले।
एयरक्राफ्ट लीजिंग के लिए उभरता नया हब
इस बीच, गुजरात की GIFT सिटी एयरक्राफ्ट लीजिंग के लिए एक नया हब बनने की कोशिश कर रही है। यहाँ 10 वर्षों के लिए कर छूट और स्रोत कर की अनुपस्थिति के कारण विदेशी लीजर्स अपनी गतिविधियाँ स्थापित कर सकते हैं।