कृषि मंत्रालय ने रबी सत्र 2024-25 के लिए 164.55 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें 115 लाख टन गेहूं और 18.15 लाख टन दालों का उत्पादन शामिल है। रबी (सर्दियों) की फसलों की बुवाई शुरू हो गई है, और दिवाली के बाद इसमें तेजी आने की उम्मीद है।
नई दिल्ली: महंगाई डायन से आम और खास सभी परेशान हैं। सितंबर महीने में खाने-पीने की चीजों की महंगाई के चलते खुदरा महंगाई दर एक बार फिर 5.49% पर पहुंच गई है। त्योहारी सीजन में बढ़ी महंगाई का बोझ जनता पर पड़ने वाला है।
हालांकि, इस बीच एक अच्छी खबर है—रबी सत्र 2024-25 में रिकॉर्ड गेहूं और दालों की पैदावार होने की उम्मीद है। जानकारों का मानना है कि इससे महंगाई में कमी आएगी।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव के कारण आयात खेप में देरी के बावजूद यूरिया और डाय अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) जैसे प्रमुख उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है। उन्होंने आश्वस्त किया कि उर्वरकों की कोई कमी नहीं है और रबी सत्र के लिए पर्याप्त आपूर्ति की व्यवस्था की गई है।
मंत्रालय ने रबी सत्र 2024-25 के लिए 164.55 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें 115 लाख टन गेहूं और 18.15 लाख टन दालें शामिल हैं। रबी (सर्दियों) की फसलों की बुवाई प्रारंभ हो गई है, और दिवाली के बाद इसमें तेजी आने की अपेक्षा की जा रही है।
बेहतर मानसून से रबी सत्र में रिकॉर्ड पैदावार की उम्मीद
उर्वरक सचिव रजत कुमार मिश्रा ने बताया कि लाल सागर मार्ग बाधित होने के कारण भारत मोरक्को से दक्षिण अफ्रीका के रास्ते डीएपी शिपमेंट का मार्ग बदल रहा है, जिससे पश्चिमी बंदरगाहों तक आपूर्ति में 21 दिन का इजाफा हो गया है। उन्होंने बताया कि भारत रबी सत्र के लिए अपनी 55 लाख टन डीएपी मांग का लगभग 60 प्रतिशत रूस, मोरक्को, सऊदी अरब और चीन से डीएपी का आयात करता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने आगामी रबी सत्र को लेकर सकारात्मक उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा, "जलाशयों में जल स्तर, आईएमडी के पूर्वानुमान और मिट्टी की नमी को देखते हुए, इस साल रबी सत्र में रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद है।"
पाठक ने जलवायु-अनुकूल और जैव-फोर्टिफाइड बीजों को अपनाने की वकालत की। उन्होंने बताया कि पिछले साल लगभग 70 प्रतिशत गेहूं की खेती में ऐसी किस्मों का उपयोग किया गया था, जिसने बंपर फसल में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
फसल सर्वेक्षण अगले साल पूरे देश में लागू होगा
कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने चने की खेती के क्षेत्र को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में उत्पादन में कमी के कारण आयात की आवश्यकता उत्पन्न हुई है। अधिकारियों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में रबी फसलों के तहत औसत क्षेत्र 668 लाख हेक्टेयर रहा, जिसमें गेहूं का हिस्सा 312 लाख हेक्टेयर है।
सरकार ने रोपण को बढ़ावा देने के लिए गेहूं और अन्य सर्दियों में बोई जाने वाली फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है। इस सम्मेलन में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर और भगीरथ चौधरी के साथ-साथ छह राज्य कृषि मंत्रियों ने भी भाग लिया।