धनतेरस का पर्व बहुत ही शुभ माना जाता है और इसे हर साल भक्ति भाव से मनाया जाता है। यह पर्व दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा का विशेष महत्व है। आज हम बात करेंगे कुबेर जी के एक चमत्कारी धाम के बारे में, जो अपनी अद्भुत विशेषताओं के लिए जाना जाता है।
Dhanteras 2024: धनतेरस का त्योहार दीवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और इसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। यह हर साल दीवाली से पहले मनाया जाता है। इस दिन, धन के देवता भगवान कुबेर, आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि, और देवी लक्ष्मी की पूजा का महत्व है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन (Dhanteras 2024) लोग चांदी, सोने की वस्तुएं, बर्तन, और झाड़ू जैसी चीजें खरीदते हैं, क्योंकि इन्हें खरीदना शुभ माना जाता है। आज हम भगवान कुबेर के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानेंगे, जहां कभी भी ताला नहीं लगाया जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
कुबेर मंदिर, मंदसौर
हम मंदसौर के खिलचीपुरा स्थित कुबेर मंदिर (Mandsaur Kuber Mandir) की बात कर रहे हैं, जहां भगवान कुबेर महाराज शिव परिवार के साथ एक ही मंदिर में विराजमान हैं। यह भगवान कुबेर का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां उनकी पूजा शिव परिवार के साथ होती है।
धनतेरस के दिन यहां सुबह 4 बजे तंत्र पूजा का विधान होता है, जिसके बाद भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
1300 साल पुरानी कुबेर मूर्ति का रहस्य
इतिहासकारों के अनुसार, मंदसौर के इस कुबेर मंदिर में स्थापित मूर्ति लगभग 1300 साल पुरानी है और यह खिलजी साम्राज्य से पहले की मानी जाती है। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि गर्भगृह में आज तक ताला नहीं लगाया गया है, यहां तक कि पहले तो दरवाजा तक नहीं था। कुबेर की यह चतुर्भुज मूर्ति है, जिसमें एक हाथ में धन की पोटली, दूसरे में शस्त्र, और तीसरे में प्याला है। इसके अलावा, भगवान कुबेर नेवले पर सवार हैं।
मंदिर का निर्माण युग एक ऐतिहासिक दृष्टि
इतिहासकारों के अनुसार, इस पवित्र कुबेर मंदिर का निर्माण मराठाकालीन युग में हुआ था। भगवान कुबेर की मूर्ति उत्तर गुप्त काल की सातवीं शताब्दी में बनाई गई थी। मान्यता है कि इस धाम में एक बार दर्शन और पूजा-अर्चना करने से धन संबंधी सभी मुश्किलें दूर हो जाती हैं, और सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। यदि आप कुबेर देव की कृपा प्राप्त करने की सोच रहे हैं, तो इस मंदिर में दर्शन के लिए अवश्य जाएं।