Great Monuments Of India: मुगलों ने भारत में करवाया था 10 ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण, जिनकी खूबसूरती को देखने के लिए पर्यटकों की लगी रहती है भीड़

Great Monuments Of India: मुगलों ने भारत में करवाया था 10 ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण, जिनकी खूबसूरती को देखने के लिए पर्यटकों की लगी रहती है भीड़
Last Updated: 12 सितंबर 2024

मुगल काल भारतीय इतिहास में एक ऐसी अवधि थी जब वास्तुकला ने अपनी चरम सीमाओं को छुआ और कला संस्कृति में असाधारण विकास हुआ। इस दौरान मुगल शासकों द्वारा बनाए गए भव्य स्मारक आज भी भारतीय वास्तुकला का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये इमारतें अपनी बेजोड़ वास्तुकला, जटिल नक्काशी और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं।

लाइफस्टाइल: मुगल काल में भारत में निर्मित विशाल और भव्य इमारतें भारतीय इतिहास, संस्कृति और वास्तुकला का अनमोल हिस्सा हैं। ये स्मारक केवल उस समय की कला और स्थापत्य के शिखर को दर्शाते हैं, बल्कि आज भी अपनी सुंदरता और महिमा के लिए प्रसिद्ध हैं। ये इमारतें पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं। यहां कुछ प्रमुख मुगल स्मारकों की सूची दी गई है, जो भारतीय वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

1. ताजमहल (आगरा)

ताजमहल का निर्माण मुख्य रूप से सफेद संगमरमर से किया गया है, जो इसकी चमक और सुंदरता को बढ़ाता है। संगमरमर पर की गई नाजुक नक्काशी और पत्थरों की सजावट इसे विशेष बनाती है। फूल, सजावटी पैनल और कुरान की आयतें नक्काशी में शामिल हैं। ताजमहल का डिज़ाइन मुग़ल वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाता है, जिसमें चारगाह (चार बाग) और केंद्रीय गुंबद शामिल हैं। ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1648 में पूरा हुआ। इसका निर्माण शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की मृत्यु के बाद उनकी याद में शुरू किया था।

जानकारी के मुताबिक मुमताज महल की मृत्यु के बाद शाहजहाँ ने एक भव्य मकबरा बनाने का संकल्प लिया, जो उनकी पत्नी के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है। 1983 में, ताजमहल को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। इसे विश्व के सात आश्चर्यों में भी शामिल किया गया है। यूनेस्को की मान्यता ने ताजमहल की संरक्षण और रखरखाव की जिम्मेदारी को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। ताजमहल विश्वभर से लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह भारतीय कला, वास्तुकला और प्रेम का प्रतीक है और मुग़ल साम्राज्य की कला और संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

2. लाल किला (दिल्ली)

लाल किला (Red Fort) भारत के दिल्ली शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है, जिसे मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने बनवाया था। लाल किले का निर्माण 1639 में शुरू हुआ और 1648 में पूरा हुआ। इसे शाहजहाँ ने अपने नए राजधानी शाहजहाँबाद (अब दिल्ली) के लिए बनवाया। इस किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है, जो इसके नाम का मुख्य कारण है। इसके विशाल द्वार, ऊंची दीवारें और भव्य आंगन इसे एक प्रभावशाली संरचना बनाते हैं। किले की वास्तुकला मुग़ल शैली की विशिष्टता को दर्शाती है, जिसमें सुंदर नक्काशी, आर्ट-डेको और परंपरागत इस्लामिक डिज़ाइन शामिल हैं। किले के अंदर दीवान--आम (जनरल हॉल), दीवान--ख़ास (विशिष्ट हॉल) और मुमताज़ महल जैसी महत्वपूर्ण भवन और संरचनाएँ हैं।

लाल किला मुग़ल साम्राज्य की शक्ति और समृद्धि का प्रतीक था। इसका उपयोग सम्राटों के दरबार, समारोह और अदालत के रूप में किया जाता था। 15 अगस्त 1947 को जब भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की, तो लाल किला पर पंडित नेहरू ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण किया। तब से यह स्थल भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। 2007 में, लाल किला को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। यह मान्यता किले की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वास्तुशिल्प महत्वता को दर्शाती हैं।

3. क़ुतुब मीनार (दिल्ली)

कुतुब मीनार (Qutub Minar) भारत की एक ऐतिहासिक और वास्तुकला की दृष्टि से महत्वपूर्ण मीनार है। यह दिल्ली में स्थित है और इसकी अद्वितीयता और ऐतिहासिक महत्व के कारण इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। कुतुब मीनार का निर्माण 1200 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा शुरू किया गया था। इसका निर्माण काम पूरा होने पर, इसे बाद में उसके उत्तराधिकारी इल्ल्तुतमिश ने पूरा किया। यह मीनार लाल बलुआ पत्थर से बनी है, जिसमें विभिन्न स्तरों पर शिलालेख और जटिल नक्काशी की गई है। इसमें प्राचीन इस्लामी वास्तुकला की विशेषताएँ देखने को मिलती हैं।

कुतुब मीनार की ऊँचाई लगभग 73 मीटर (240 फीट) है, जो इसे विश्व की सबसे ऊंची मीनार बनाती है। कुतुब मीनार को दिल्ली सुलतानत के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक ने एक विजय स्मारक के रूप में बनवाया था। यह इस्लामी शासन की शुरुआत का प्रतीक था और इसका उद्देश्य विजय का प्रतीक होना था। कुतुब मीनार और इसके आसपास का परिसर, जिसे कुतुब परिसर के नाम से जाना जाता है, कई अन्य ऐतिहासिक स्मारकों को भी समेटे हुए है, जैसे कि कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद और एक्लसिया के खंडहर।

कुतुब मीनार पांच स्तरों की एक विशाल मीनार है। प्रत्येक स्तर पर पत्थर की पट्टिकाओं पर उकेरे गए उकेरे गए शिलालेख और आर्किटेक्चरल डिज़ाइन इसे एक अद्वितीय संरचना बनाते हैं। मीनार के प्रत्येक स्तर पर विशेष बैंड, आर्क्स और पत्थर की नक्काशी की गई है। 1993 में कुतुब मीनार को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। यह मान्यता कुतुब मीनार के ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प महत्व को दर्शाती हैं।

4. जामा मस्जिद (दिल्ली)

जामा मस्जिद (Jama Masjid) दिल्ली की एक प्रमुख ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। जामा मस्जिद का निर्माण 1656 में शाहजहाँ ने शुरू कराया था और इसे 1658 में पूरा किया गया। मस्जिद का निर्माण लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से किया गया है, जो इसे एक भव्य और आकर्षक रूप प्रदान करता है। मस्जिद की डिजाइन में इस्लामी वास्तुकला की कई विशेषताएँ शामिल हैं, जैसे कि गुंबद, मेहराब और मीनारें। मस्जिद के मुख्य प्रार्थना कक्ष के ऊपर तीन प्रमुख गुंबद हैं और इसमें चार मीनारें हैं जो इसे एक अद्वितीय संरचना बनाती हैं।

जामा मस्जिद दिल्ली की सबसे बड़ी मस्जिद है, जिसकी कुल क्षमता 25,000 लोगों के इकट्ठा होने की है। मस्जिद की मुख्य प्रार्थना कक्ष 80 मीटर लंबा और 27 मीटर चौड़ा है। मस्जिद के तीन प्रमुख द्वार हैं पश्चिमी द्वार, पूर्वी द्वार और दक्षिणी द्वार। इनमें से पश्चिमी द्वार मुख्य प्रवेश द्वार है, जो सबसे बड़ा और शानदार है। जामा मस्जिद एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जहां हर दिन हजारों मुसलमान नमाज अदा करने के लिए आते हैं। यह मस्जिद विशेष रूप से शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के लिए प्रसिद्ध हैं।

5. बुलंद दरवाजा (फतेहपुर सिकरी)

बुलंद दरवाजा का निर्माण 1601 में सम्राट अकबर ने किया था। इसे गुजरात पर विजय प्राप्त करने के सम्मान में बनवाया गया था। यह दरवाजा आगरा के पास फतेहपुर सीकरी में स्थित है, जो मुग़ल साम्राज्य की एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। बुलंद दरवाजा विश्व का सबसे ऊँचा प्रवेश द्वार है, जिसकी ऊँचाई लगभग 54 मीटर (177 फीट) है। इस दरवाजे का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है और इसकी सजावट में संगमरमर के पत्थर का भी उपयोग हुआ हैं। बुलंद दरवाजा को समृद्ध और भव्य सजावट से सजाया गया है। इसका डिजाइन मुग़ल और फारसी स्थापत्य कला का संगम हैं।

दरवाजे के ऊपर एक फारसी inscription है जो "सर्वोच्च विजय" और "धर्म की विजय" के संदेश को दर्शाता है। दरवाजे की सजावट में फूलों और जड़ी-बूटियों की नक्काशी, जटिल ज्यामितीय पैटर्न और आर्किटेक्चरल डिटेल्स शामिल हैं। बुलंद दरवाजा सम्राट अकबर की विजय और शक्ति का प्रतीक है। यह दरवाजा भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है और भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्टता का एक प्रमुख उदाहरण हैं।

6. हुमायूं का मकबरा (दिल्ली)

हुमायूँ का मकबरा का निर्माण 1565 में मुग़ल बादशाह अकबर ने अपने पिता हुमायूँ की याद में शुरू कराया था और इसे 1572 में पूरा किया गया। यह मकबरा दिल्ली के नजफगढ़ रोड पर स्थित है और यह पुरानी दिल्ली के एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है। मकबरा लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है और इसमें संगमरमर का भी उपयोग किया गया है। इस भवन की बाहरी दीवारों पर लाल बलुआ पत्थर की जड़ी-बूटी और सजावट की गई है। हुमायूँ का मकबरा मुग़ल वास्तुकला का प्रारंभिक उदाहरण है, जिसमें मध्य एशियाई और फारसी वास्तुकला के तत्वों का मिश्रण देखा जा सकता है। इसमें एक केंद्रीय गुंबद और चार बड़े गुंबदों की व्यवस्था है, और यह एक चारबाग़ (चार बागों वाला बगीचा) योजना पर आधारित हैं।

मकबरा का मुख्य गुंबद लगभग 47 मीटर (154 फीट) ऊँचा है और इसके चारों कोनों पर छोटे गुंबद स्थित हैं। मकबरे के अंदर और बाहर उत्कृष्ट नक्काशी और सजावट की गई है। इसमें कोर्स का निर्माण, इंटेरियर्स में मेहराब और ज्यामितीय डिजाइन शामिल हैं। मकबरे के चारों ओर सुंदर बगीचे हैं, जो पारंपरिक मुग़ल बागों की योजना के अनुसार हैं और जल चैनल, फव्वारे और बगीचों का संयोजन दर्शाते हैं। हुमायूँ का मकबरा भारतीय वास्तुकला और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह युनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल हैं।

7. बीबी का मकबरा (औरंगाबाद, महाराष्ट्र)

बीबी का मकबरा (Bibi Ka Maqbara) को अक्सर 'मिनी ताजमहल' के रूप में जाना जाता है। इसका निर्माण 1660-67 के बीच हुआ था। इसे औरंगज़ेब के बेटे आजम शाह ने अपनी मां, राबिया-उद-उम्मल (मां की उपाधि) के लिए बनवाया था। यह मकबरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में स्थित है। बीबी का मकबरा मुख्य रूप से संगमरमर और बलुआ पत्थर से बना है। इसका डिज़ाइन ताजमहल की वास्तुकला से प्रेरित है, लेकिन इसमें कुछ स्थानीय तत्व भी शामिल हैं।मकबरे का मुख्य गुंबद ताजमहल के गुंबद की तरह ही है, हालांकि इसका आकार ताजमहल से छोटा है। इसकी वास्तुकला में भी भारतीय और इस्लामी तत्वों का मिश्रण देखा जाता हैं।

यह मकबरा चारबाग़ बगीचा योजना पर आधारित है, जिसमें पानी की नहरें और सुंदर बगीचे शामिल हैं। बीबी का मकबरा अपने भव्य डिजाइन और सजावट के लिए प्रसिद्ध है। इसके अंदर और बाहर नक्काशी और सजावट की गई है, जिसमें फूलों और ज्यामितीय डिज़ाइन शामिल हैं। मकबरे के भीतर संगमरमर की जड़ाई की गई है। बीबी का मकबरा भारतीय वास्तुकला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह औरंगज़ेब के शासनकाल की कला और संस्कृति को दर्शाता है। यह मकबरा मुग़ल वास्तुकला के विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है और इसे ताजमहल की अनुगामी के रूप में देखा जाता है। बीबी का मकबरा औरंगाबाद में एक प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।

8. जामा निजामिया (भोपाल)

जामा निजामिया का निर्माण 1871 में शुरू हुआ और इसे एक साल के भीतर पूरा किया गया। इसे हैदराबाद के तत्कालीन निजाम आसफ जाह द्वारा बनवाया गया था। यह मदरसा हैदराबाद, तेलंगाना में स्थित है। यह शहर अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। जामा निजामिया एक विशाल परिसर है जिसमें कई भव्य कक्षाएं, मस्जिदें और बागान शामिल हैं। इसकी वास्तुकला में भारतीय और इस्लामी तत्वों का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। परिसर में एक प्रमुख मस्जिद भी शामिल है, जिसमें सुंदर आंतरिक सजावट और वास्तुकला की जड़ी-बूटी की गई हैं।

 

जामा निजामिया को एक प्रमुख धार्मिक शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था। यहाँ इस्लामी शिक्षा और उलेमा की प्रशिक्षण व्यवस्था को प्रमुखता दी जाती है। यह मदरसा धार्मिक और धार्मिक शास्त्रों के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है और इसमें उर्दू, अरबी, फारसी और इस्लामी शास्त्रों की शिक्षा दी जाती है। जामा निजामिया भारतीय इस्लामी संस्कृति और शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

9. आगरा का किला

आगरा किला का निर्माण 1565 में प्रारंभ हुआ और इसे मुख्य रूप से मुगल सम्राट अकबर ने बनवाया। किले के निर्माण में कई वर्षों का समय लगा, और इसमें बाद में शाहजहां और औरंगजेब द्वारा भी कई सुधार और विस्तार किए गए। आगरा किला में लाल बलुआ पत्थर की दीवारें हैं, जो इसकी भव्यता को दर्शाती हैं। किला दिल्ली के लाल किले से प्रेरित था, लेकिन इसमें कुछ विशिष्ट डिज़ाइन और निर्माण तत्व हैं। किले के अंदर दीवान--आम (सार्वजनिक दरबार), दीवान--खास (विशेष दरबार), जहांगीर महल और कई बाग-बगिचे स्थापित हैं  यह महल किले के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में जाना जाता है और इसका निर्माण अकबर के शासनकाल के दौरान हुआ था।

ये दोनों दरबार किले के प्रमुख हिस्से हैं जहाँ शाही बैठकें और महत्वपूर्ण समारोह आयोजित किए जाते थे। आगरा किले की मजबूत दीवारें और विशाल गेट्स इसकी सुरक्षा और वास्तुकला का प्रमाण हैं। 1983 में आगरा किला को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। इसका चयन इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को मान्यता देने के लिए किया गया हैं।

10. मोती मस्जिद (आगरा)

मोती मस्जिद का निर्माण 1647 में शुरू हुआ और इसे 1654 में पूरा किया गया। इसे शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। यह मस्जिद शाहजहाँ के लिए एक निजी प्रार्थना स्थल के रूप में बनाई गई थी और इसका उपयोग केवल शाही परिवार और उच्च अधिकारियों के लिए किया जाता था। मस्जिद का निर्माण शुद्ध सफेद संगमरमर से किया गया है। इसका डिज़ाइन बहुत ही साधारण और भव्य है, जिसमें किसी भी जटिल नक्काशी या रंगीन सजावट का उपयोग नहीं किया गया है। मस्जिद के अंदर की सजावट भी सफेद संगमरमर की है, जिसमें सुंदर आर्केड्स और मेहराबें शामिल हैं। इसका आंतरिक हिस्सा सरल और भव्य हैं।

'मोती मस्जिद' का नाम इसके चमकदार और सफेद संगमरमर की सतह के कारण पड़ा, जो मोती की तरह चमकदार है। 'मोती' का अर्थ है 'पर्ल' और यह नाम मस्जिद की भव्यता को दर्शाता है। मोती मस्जिद का संरक्षण और रखरखाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है। यह मस्जिद आगरा किले के अन्य भागों के साथ पर्यटकों के लिए खोली जाती है। यह मस्जिद आगरा किले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

 

 

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