Delhi: भारत के कौनसे समंदर में पाए जाते है सबसे अधिक मोती, आखिर कैसे होता है इनका निर्माण? आइए जानते हैं

Delhi: भारत के कौनसे समंदर में पाए जाते है सबसे अधिक मोती, आखिर कैसे होता है इनका निर्माण? आइए जानते हैं
Last Updated: 26 अगस्त 2024

मोतियों की सुंदरता हर किसी को अत्यंत आकर्षित करती है। आभूषणों में इनका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के किस समुद्र में सबसे अधिक मोती पाए जाते हैं?

New Delhi: भारत, तीन समुद्रों से घिरा हुआ एक खूबसूरत देश है, जिसकी तटीय सीमा लगभग 7516.6 किलोमीटर लंबी है। भारत के कुल 9 राज्य और 4 केंद्र शासित प्रदेश इस विशाल समुद्री सीमा से जुड़े हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के किस समुद्र में सबसे ज्यादा मोती पाए जाते हैं? आइए आपको बताते हैं।

भारत की तटीय रेखा

भारत की तटरेखा कुल 7516.6 किमी लंबी है, जिसमें मुख्य भूमि की तटरेखा 5422.6 किमी और द्वीप क्षेत्र की तटरेखा 2094 किमी शामिल है। यह पूरी तरह से हिंद महासागर से घिरी हुई है। विशेष रूप से, इसके दक्षिण-पश्चिम में लक्षद्वीप सागर, पश्चिम में अरब सागर, दक्षिण में हिंद महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी स्थित हैं। महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक और गोवा का कोंकण/मालाबार तट पश्चिमी घाट पर फैला हुआ है।

वहीं, पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी और पूर्वी घाट के बीच एक विस्तृत क्षेत्र फैला हुआ है, जिसे कोरोमंडल तट कहा जाता है। भारतीय राज्य जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, दमन और दीव, और लक्षद्वीप अरब सागर के सामने हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पुद्दुचेरी और अंडमान-निकोबार द्वीप बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित हैं।

भारत में उत्तम मोती पाए जाने का कारण

भारत में सबसे उत्तम मोती पाए जाते हैं। इसका कारण यह है कि यहां की समुद्री जलवायु अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक अनुकूल है। देश के पर्ल एक्वाकल्चर विशेषज्ञ डॉ . अजय सोनकर के अनुसार, मोती उत्पादन में प्रमुखता रखने वाले देश जापान में मोती बनने की प्रक्रिया में तीन वर्षों से ज्यादा का समय लगता है। वहीं, भारत के अंडमान में, जो कि स्वच्छ, शांत और विविधताओं से भरपूर समुद्री जलवायु के लिए जाना जाता है, मोती मात्र छह महीने से एक वर्ष में तैयार हो जाता है। वास्तव में, भारत के अंडमान में मोती की उपलब्धता सबसे अधिक है।

सबसे प्रसिद्ध माने जाते हैं भारतीय मोती

पर्ल एक्वाकल्चर के विशेषज्ञ डॉ . अजय सोनकर ने बताया कि जापान का समुद्री पानी अत्यधिक ठंडा है और पिछले कुछ वर्षों में समुद्री जलवायु में आए बदलावों और निर्माण कार्यों के कारण समुद्री पानी काफी प्रदूषित हो गया है। इसके परिणामस्वरूप, वहां के समुद्र में सीपों की बड़ी संख्या में मृत्यु हो रही है, जिससे मोती उत्पादन प्रभावित हो रहा है। वहीं, भारत के मोती अपनी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध माने जाते हैं।

जानिए समुद्र में मोती कैसे बनता है ?

समुद्र में घोंघा प्रजाति के जीव पाए जाते हैं, जिनके पेट में मोती बनता है। वास्तव में, घोंघा अपनी सुरक्षा के लिए एक मजबूत खोल में रहता है, जिसे सीप कहा जाता है। जब हजारों सीपों में से एक या दो के खोल में छेद हो जाता है, तो वहां बालू के कण प्रवेश कर जाते हैं। ऐसी स्थिति में, सीप के अंदर बालू के कणों पर एक विशेष प्रकार के पदार्थ की परत चढ़ने लगती है। इस विशेष पदार्थ को कैल्शियम कार्बोनेट कहा जाता है, जो उस जीव के अंदर ही उत्पन्न होता है। समय के साथ, यह एक सफेद और चमकीले गोल आकार का पत्थर बन जाता है, जिसे हम मोती के नाम से जानते हैं।

 

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