Jharkhand Election: झारखंड में चुनाव आयोग की राजनीतिक दलों के साथ बैठक, पार्टियों ने आयोग को दिए सुझाव, जानें क्या थी उनकी मांग?

Jharkhand Election: झारखंड में चुनाव आयोग की राजनीतिक दलों के साथ बैठक, पार्टियों ने आयोग को दिए सुझाव, जानें क्या थी उनकी मांग?
Last Updated: 3 घंटा पहले

झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी गतिविधियां तेज हो रही हैं, और चुनाव आयोग की टीम के रांची पहुंचने से इस प्रक्रिया को और गति मिली है। इस दौरान प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग के सामने अपने-अपने सुझाव प्रस्तुत किए।

Ranchi: भारत निर्वाचन आयोग की टीम सोमवार को दो दिवसीय झारखंड यात्रा पर आई। टीम ने सुबह नौ बजे रांची में कदम रखा। इस टीम का नेतृत्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार कर रहे हैं, जिसमें दो निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार और डॉ. सुखबीर सिंह संधु भी शामिल हैं।

उनके साथ सीनियर डिप्टी इलेक्शन कमीशन धर्मेंद्र शर्मा और डिप्टी इलेक्शन कमीशनर संजय कुमार भी उपस्थित हैं। चुनाव आयोग की यह टीम दलबल के साथ झारखंड पहुंची है, और यह झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारी के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करेगी।

आयोग के सामने रखा सुझाव

झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने निर्वाचन आयोग के सामने अपना महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किया है। उन्होंने गृह सचिव वंदना दादेल को चुनाव प्रक्रिया से मुक्त करने की मांग की है, ताकि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो सके। भाजपा के इस प्रस्ताव का मकसद प्रशासनिक हस्तक्षेप को रोकने और चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करना हो सकता है।

रेडिसन ब्लू में हुई इस बैठक में भाजपा का प्रतिनिधित्व प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश प्रसाद और विधि प्रकोष्ठ के सुधीर श्रीवास्तव ने किया। इस तरह की बैठकें चुनावी तैयारियों का अहम हिस्सा होती हैं, जिसमें राजनीतिक दल अपनी चिंताओं और सुझावों को सामने रखते हैं ताकि चुनावी प्रक्रिया में सुधार हो सके।

भाजपा ने लगाए आरोप

भाजपा ने झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग के सामने गंभीर आरोप और मुद्दे उठाए हैं। बैठक के दौरान भाजपा नेताओं ने गृह सचिव वंदना दादेल पर सत्ताधारी दल के पक्ष में काम करने का आरोप लगाते हुए, उनके द्वारा केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर सांप्रदायिकता फैलाने के लगाए गए आरोपों को गलत बताया।

भाजपा का कहना है कि वंदना दादेल निष्पक्षता के साथ काम नहीं कर रही हैं, और उन्होंने चुनाव आयोग से इस मामले में दखल देने का अनुरोध किया है। साथ ही, भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठ और फर्जी मतदाता बनने की संभावनाओं को लेकर भी जांच की मांग की है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि चुनाव में किसी प्रकार की धोखाधड़ी या असमानता हो।

कांग्रेस ने दिए सुझाव

कांग्रेस ने झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग के सामने अपने सुझाव प्रस्तुत किए हैं। कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने बिना किसी का नाम लिए आरोप लगाया कि भाजपा के कुछ नेता, जो बाहर से रहे हैं, राज्य में उन्माद फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से इन नेताओं के चुनाव प्रचार पर रोक लगाने की मांग की, ताकि चुनावी माहौल में शांति बनी रहे और सांप्रदायिक तनाव फैले।

साथ ही, कांग्रेस ने छठ पूजा और 15 नवंबर को होने वाली बिरसा जयंती के बाद चुनाव कराने का अनुरोध किया है। उन्होंने चुनाव को एक चरण में आयोजित करने की मांग की, ताकि इन महत्वपूर्ण त्योहारों और आयोजनों के कारण कोई व्यवधान हो और जनता पूरी तरह से चुनाव प्रक्रिया में भाग ले सके।

झामुमो का सुझाव

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने 15 नवंबर के बाद, कम से कम चरणों में विधानसभा चुनाव कराने का सुझाव दिया। 15 नवंबर बिरसा मुंडा की जयंती है, जो झारखंड के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, इसलिए इसके बाद चुनाव की मांग की गई है।

झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और विधायक सुदीव्य सोनू ने चुनाव के दौरान न्यूनतम पारा मिलिट्री फोर्स की तैनाती की मांग की, जिससे कानून और व्यवस्था बनी रहे, लेकिन अतिरिक्त बल का अनावश्यक उपयोग हो।

आम आदमी पार्टी का सुझाव

आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनाव आयोग से सभी उम्मीदवारों को निशुल्क मतदाता सूची उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। इसके अलावा, पार्टी ने नामांकन शुल्क को 10,000 से घटाकर 5,000 करने की मांग की, जिससे उम्मीदवारों पर आर्थिक बोझ कम हो।

पार्टी ने चुनाव खर्च में कमी लाने की मांग की, ताकि अनावश्यक खर्च और चुनाव के दौरान होने वाले संभावित घोटालों पर रोक लगाई जा सके।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि चुनाव के दौरान पार्टियों द्वारा किए गए खर्च की निगरानी हो, ताकि चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जा सके।

आम आदमी पार्टी ने यह मुद्दा भी उठाया कि मतदान के दिन उम्मीदवारों द्वारा मतदाताओं को फोन करके अपने पक्ष में वोट करने के लिए प्रेरित करने की प्रक्रिया पर रोक लगनी चाहिए, क्योंकि यह चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।

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