जर्मनी में फिलहाल है मंदी का दौर, 2024 में भी नहीं है राहत की उम्मीद

जर्मनी में फिलहाल है मंदी का दौर, 2024 में भी नहीं है राहत की उम्मीद
Last Updated: 23 जनवरी 2024

जर्मनी में फिलहाल है मंदी का दौर, 2024 में भी नहीं है राहत की उम्मीद 

यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में वर्तमान समय में आर्थिक मंदी जारी है। पिछले साल जर्मनी की जीडीपी में 0.3% की गिरावट आई थी। महंगी ऊर्जा, ऊंची ब्याज दरों और कम विदेशी मांग के कारण जर्मन अर्थव्यवस्था पर अच्छा ख़ासा असर देखने को मिल रहा है। एजेंसी के प्रमुख रूथ ब्रांड ने 15 जनवरी को आंकड़े जारी करते हुए खुलासा किया की, जर्मनी का आर्थिक विकास 2023 में लड़खड़ाना शुरू हो गया था। ब्रांड ने उल्लेख किया कि आर्थिक मंदी ऐसे माहौल में दर्ज की गई है जिस समय देश पर विभिन्न संकट चल रहे हैं।

जर्मनी में चल रही मंदी में योगदान देने वाले कुछ मुख्य कारक:-

1. मुद्रास्फीति का प्रभाव: अत्यधिक मुद्रास्फीति ने जर्मन उपभोक्ताओं पर नकारात्मक प्रभाव डाला है और क्रय शक्ति कम हो गई है और उपभोक्ता खर्च में काफी गिरावट आई है।

2. उपभोक्ता खर्च में गिरावट: एडजस्टमेंट के बाद, घरेलू खपत में 1.2% की तिमाही कमी आई, जो उपभोक्ता गतिविधि में मंदी का संकेत देता है।

3. सरकारी खर्च में कमी: तिमाही के दौरान सरकारी खर्च में 4.9% की कमी दर्ज की गई, जिससे आर्थिक संकुचन में योगदान हुआ।

4. रिकवरी कारक: तेजी से औद्योगिक गतिविधि और चीन को फिर से खोलने के बावजूद, आपूर्ति श्रृंखला में चल रहे व्यवधानों ने आर्थिक मंदी का खतरा पैदा कर दिया है।

5. ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि: सर्दियों के दौरान ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि का जर्मन अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा।

 

यूक्रेन युद्ध ने भी किया जर्मन अर्थव्यवस्था को प्रभावित:

विशेष रूप से, ऊर्जा की कीमतों में काफी वृद्धि हुई। विनिर्माण उद्योग, (जो ऊर्जा पर बहुत अधिक निर्भर है) काफी प्रभावित हुआ, जिससे उत्पादन में गिरावट आई। इसके अतिरिक्त, चीन जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदारों से कम मांग ने निर्यात में घाटे में योगदान दिया। महंगाई से निपटने के लिए यूरोजोन में ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने जर्मनी की चुनौतियां और बढ़ा दी हैं। इन परिस्थितियों में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी प्रेडिक्ट किया था कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में से केवल जर्मन अर्थव्यवस्था ही ऐसी होगी जो आगे वृद्धि नहीं कर पायेगी।

 

बजट का संकट:-

धीमे निर्यात और उत्पादन क्षेत्र में गिरावट के बीच कुशल श्रमिकों की कमी भी एक बड़ी चिंता है। इससे जर्मनी में "विऔद्योगीकरण" का ख़तरा पैदा हो गया है, जिसका अर्थ है की औद्योगिक गतिविधियों और क्षमता में भी बहुत कमी आयी है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, ओलाफ स्कोल्ज़ के नेतृत्व वाली सरकार ने हरित ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण निवेश करने पर जोर दिया है।

Manoj Lakhe

- Thu, 25 Jan 2024

Don't worry it will normal very soon

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