CBFC Rule: सेंसर बोर्ड का नया दिशा-निर्देश, फिल्मों के सर्टिफिकेशन में बदलाव, CBFC ने जोड़ी नई कैटेगरी

CBFC Rule: सेंसर बोर्ड का नया दिशा-निर्देश, फिल्मों के सर्टिफिकेशन में बदलाव, CBFC ने जोड़ी नई कैटेगरी
Last Updated: 3 घंटा पहले

सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने फिल्मों के सर्टिफिकेशन में बदलाव किए हैं। इसका उद्देश्य पैरेंट्स को बच्चों के लिए बेहतर कंटेंट चुनने में मदद करना है। सीबीएफसी अब नई प्रक्रिया के तहत सर्टिफिकेट जारी करेगा।

CBFC Rule: भारत में फिल्म सर्टिफिकेशन का काम सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) करता है, जो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत काम करता है। यह बोर्ड फिल्मों को उनके कंटेंट के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में बांटकर उन्हें सर्टिफिकेट प्रदान करता है। पिछले 40 वर्षों से सीबीएफसी फिल्मों के सर्टिफिकेशन का काम करता आ रहा था, लेकिन अब इस प्रक्रिया में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। नए अपडेट का उद्देश्य पेरेंट्स को उनके बच्चों के लिए उपयुक्त कंटेंट का चयन करने में मदद करना है।

सीबीएफसी का काम और उसकी अहमियत

सीबीएफसी, जो एक वैधानिक संस्था है, का काम फिल्मों में अनावश्यक या आपत्तिजनक कंटेंट जैसे गालियां या हिंसा को काटकर फिल्म को उपयुक्त बनाना है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फिल्में दर्शकों को मानसिक या सामाजिक दृष्टि से प्रभावित न करें। हालांकि, कई बार फिल्म निर्माताओं ने शिकायत की कि उनकी फिल्मों को गलत तरीके से वर्गीकृत किया गया है। अब, नए बदलावों के तहत, फिल्में अलग-अलग आयु वर्ग के दर्शकों के लिए और अधिक उपयुक्त तरीके से वर्गीकृत की जाएंगी।

मेकर्स की शिकायतों का समाधान

सीबीएफसी बोर्ड के सदस्यों का कहना है कि यह बदलाव लंबे समय से चर्चा में था और इसका उद्देश्य फिल्म निर्माताओं की शिकायतों का समाधान करना है। कई निर्माता यह महसूस करते थे कि फिल्म में हिंसा या लड़ा-झगड़ा तो था, लेकिन वह 16 साल से ऊपर के बच्चों के लिए उपयुक्त था, जबकि 7 या 13 साल के बच्चे इसे नहीं देख सकते थे। इस नए वर्गीकरण से उन फिल्मों को सही तरीके से वर्गीकृत किया जा सकेगा, जो आयु के हिसाब से बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

नई कैटेगरी और सब-कैटेगरी का गठन

अब से, फिल्मों को सर्टिफिकेशन देने के लिए सीबीएफसी नई कैटेगरी का उपयोग करेगा। पहले केवल दो मुख्य श्रेणियां थीं – U (यूनिवर्सल) और A (व्यस्क)। U कैटेगरी में वे फिल्में आती थीं जिन्हें सभी वर्ग के दर्शक देख सकते थे, और A में वे फिल्में आती थीं जो केवल व्यस्कों के लिए थीं। अब तीन नई सब-कैटेगरी जोड़ी गई हैं:

U/A 7+ : 7 साल और उससे ऊपर के बच्चों के लिए।

U/A 13+ : 13 साल और उससे ऊपर के बच्चों के लिए।

U/A 16+ : 16 साल और उससे ऊपर के बच्चों के लिए।

इन नई श्रेणियों से पेरेंट्स को यह तय करने में मदद मिलेगी कि उनके बच्चों के लिए कौन सी फिल्म उपयुक्त है और कौन सी नहीं। सीबीएफसी का यह कदम बच्चों के मनोरंजन के लिए अधिक जिम्मेदार सिनेमा सुनिश्चित करेगा।

क्या है S श्रेणी?

सीबीएफसी में पहले से एक और श्रेणी थी – S, जिसे विशेष वर्ग के दर्शकों के लिए लागू किया जाता था। इसका उद्देश्य उन फिल्मों को प्रमाणित करना था जो समाज के एक विशेष वर्ग या समुदाय के लिए बनाई गई हों। अब, सीबीएफसी ने फिल्मों के सर्टिफिकेशन को और अधिक सटीक और पेरेंट्स के लिए मददगार बनाने के लिए यह नया बदलाव किया है।

आखिरकार बदलाव क्यों जरूरी था?

सीबीएफसी की यह नई प्रणाली फिल्म उद्योग को और पेरेंट्स को एक नया दिशा-निर्देश देने का काम करेगी। यह बदलाव फिल्म निर्माताओं के लिए भी मददगार होगा, क्योंकि वे अब सही वर्गीकरण के तहत अपनी फिल्मों को पेश कर सकेंगे। पेरेंट्स को यह फैसला करने में आसानी होगी कि कौन सी फिल्म उनके बच्चों के लिए उपयुक्त है और कौन सी नहीं।

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