Dilip Kumar's Journey: हिट फिल्मों के बावजूद क्यों हुई मानसिक उलझन? जानें 'ट्रेजेडी किंग' बनने की वजह

Dilip Kumar's Journey: हिट फिल्मों के बावजूद क्यों हुई मानसिक उलझन? जानें 'ट्रेजेडी किंग' बनने की वजह
Last Updated: 18 घंटा पहले

हिंदी सिनेमा के महान अभिनेता दिलीप कुमार, जिनकी 11 दिसंबर 2024 को 102वीं जयंती है, ने अपने अभिनय से एक ऐसी पहचान बनाई जो आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जीवित है। दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को ब्रिटिश भारत के पेशावर में हुआ था। उनका असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में उनका नाम दिलीप कुमार ही प्रसिद्ध हुआ। अभिनेता ने अपने करियर में ऐसे कई किरदार निभाए, जो न केवल उन्हें 'ट्रेजेडी किंग' के रूप में स्थापित कर गए, बल्कि उनके जीवन में भावनात्मक संघर्षों का कारण भी बने।

फिल्मी सफलता की शुरुआत

दिलीप कुमार ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी शुरुआत 'ज्वार भाटा' (1944) से की थी। हालांकि यह फिल्म सफल नहीं रही, लेकिन दिलीप कुमार की अभिनय क्षमता को देखकर उन्हें जल्द ही प्रमुख फिल्मों का हिस्सा बना लिया गया। अभिनेता ने अपने करियर में 'अंदाज', 'बाबुल', 'दीदार', 'देवदास', 'मधुमति', 'मुगल-ए-आज़म', 'गंगा जमुना' और 'राम और श्याम' जैसी कालजयी फिल्मों में अपनी अदाकारी का जलवा दिखाया। दिलीप कुमार ने उन फिल्मों को तरजीह दी, जो उनके अभिनय की गहरी संवेदनशीलता और क्षमता से मेल खाती थीं।

'ट्रेजेडी किंग' बनने की कहानी

1950 के दशक में दिलीप कुमार का करियर अपने चरम पर था। इस दौर में उन्होंने कई ऐसी फिल्में कीं, जिनमें उन्होंने गंभीर और दुखी किरदार निभाए। उनका अभिनय इतना गहरा और सशक्त था कि दर्शकों ने उन्हें 'ट्रेजेडी किंग' के रूप में स्वीकार कर लिया। हालांकि यह सम्मान और लोकप्रियता उनके लिए एक तरह से सजा भी बन गई।

दिलीप कुमार के किरदारों में अक्सर गहरे दर्द और भावनाओं का ग़म होता था, जो दर्शकों को बेहद प्रभावित करते थे। लेकिन इन किरदारों का असर खुद दिलीप कुमार पर भी पड़ा। उनका जीवन कभी इतनी गहरी भावनाओं के साथ जुड़ा कि वह खुद को इन किरदारों से बाहर नहीं निकाल पाते थे। उनका मानना था कि उन्होंने जिन फिल्मों में काम किया, वे उनके अभिनय की उच्चतम क्षमता को दिखाती थीं, लेकिन इन किरदारों से निकलना उनके लिए आसान नहीं था।

एक समय आया जब दिलीप कुमार को मानसिक दबाव का सामना करना पड़ा

दिलीप कुमार ने खुद खुलासा किया था कि कई बार उनके लिए इन गंभीर किरदारों से बाहर आना मुश्किल हो जाता था। एक समय ऐसा भी आया जब वह मानसिक दबाव का सामना करने लगे और उन्हें साइकेट्रिस्ट से कंसल्ट करना पड़ा। साइकेट्रिस्ट ने उन्हें सलाह दी कि वे कुछ हल्की-फुल्की और हास्य फिल्मों में काम करें, ताकि वह अपने मानसिक दबाव से बाहर निकल सकें।

दिलीप कुमार की फिल्मों ने उन्हें स्थायी पहचान दी

उनकी फिल्मों ने न केवल उन्हें सिनेमा के गलियारों में एक अमिट पहचान दिलाई, बल्कि उन्होंने हिंदी सिनेमा को भी एक नई दिशा दी। 'मुगल-ए-आज़म' जैसी फिल्म में उन्होंने अपने किरदार की गहराई और संघर्ष को बखूबी निभाया, जिसने उन्हें एक अविस्मरणीय अभिनेता बना दिया। दिलीप कुमार के अभिनय में एक सच्चाई थी, जो उनके दर्शकों को बेहद आकर्षित करती थी। उनका अभिनय उनके साथ जीते हुए दर्द और संघर्षों से परिपूर्ण था, जिसे वे अपनी फिल्मों में उतारने में पूरी तरह से सक्षम थे।

आज, दिलीप कुमार का जन्मदिन है, और उनकी जयंती पर हम उन्हें याद करते हैं। उनके द्वारा निभाए गए किरदारों ने उन्हें 'ट्रेजेडी किंग' बना दिया, लेकिन यही किरदार उनके लिए एक सजा भी बन गए। दिलीप कुमार का योगदान भारतीय सिनेमा के लिए अनमोल रहेगा, और उनका नाम हमेशा सम्मान के साथ लिया जाएगा।

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