Bihar Assembly Elections 2025: राज्यों में हार से परेशान कांग्रेस, बिहार में सियासी वापसी की जद्दोजहद; जानें क्या हैं कांग्रेस की नई रणनीति?

Bihar Assembly Elections 2025: राज्यों में हार से परेशान कांग्रेस, बिहार में सियासी वापसी की जद्दोजहद; जानें क्या हैं कांग्रेस की नई रणनीति?
अंतिम अपडेट: 2 दिन पहले

हाल के विधानसभा चुनावों में लगातार झटके खाने के बाद कांग्रेस की नजर अब बिहार पर टिकी है। राहुल गांधी की बढ़ती सक्रियता और जनसंपर्क अभियानों के बावजूद, पार्टी को दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। 

नई दिल्ली: हाल के विधानसभा चुनावों में लगातार झटके खाने के बाद कांग्रेस की नजर अब बिहार पर टिकी है। राहुल गांधी की बढ़ती सक्रियता और जनसंपर्क अभियानों के बावजूद, पार्टी को दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। खासकर दिल्ली में कांग्रेस की राजनीतिक जमीन पूरी तरह खिसक चुकी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्यों में कांग्रेस की अंदरूनी कलह और रणनीतिक असफलताएं उसकी कमजोर होती पकड़ की प्रमुख वजह हैं।

बिहार में कांग्रेस की नई रणनीति

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंकने का फैसला किया है। पार्टी का फोकस राज्य के सामाजिक समीकरणों पर है। कांग्रेस ने दलितों, ओबीसी और गैर-यादव पिछड़ा वर्ग के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की योजना बनाई है। राहुल गांधी के नेतृत्व में ओबीसी समुदाय को साधने के लिए पटना में एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया गया। कांग्रेस अब कुर्मी, कोइरी और अन्य पिछड़ी जातियों के बीच अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए सक्रिय हो रही हैं।

पलायन और रोजगार कांग्रेस का मुख्य हथियार

बिहार से देशभर में होने वाले श्रमिकों के पलायन को कांग्रेस ने इस चुनाव का मुख्य मुद्दा बनाया है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि दशकों से सत्ता में रही सरकारें बिहार में रोजगार पैदा करने में विफल रही हैं, जिससे लोग मजबूरी में दूसरे राज्यों का रुख कर रहे हैं। कांग्रेस इस बार चुनावी मैदान में पलायन के मुद्दे को आक्रामक तरीके से उठाने जा रही है और इसे सरकार की नाकामी करार देगी।

बिहार विधानसभा में भी कांग्रेस का आक्रामक रुख

बिहार विधानसभा के बजट सत्र में भी कांग्रेस के तेवर सख्त रहे। पार्टी के विधायक अजीत शर्मा ने राज्य के अस्पतालों की बदहाल स्थिति को लेकर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि बिहार में डॉक्टरों की भारी कमी है और स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। वहीं, बीपीएससी परीक्षा को लेकर छात्रों के विरोध को कांग्रेस ने खुला समर्थन दिया। पार्टी के विधायक राजेश राम ने सरकार पर छात्रों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया और उनके हक के लिए सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ने का ऐलान किया।

हरियाणा कांग्रेस की कलह बनी बड़ी चुनौती

जहां एक ओर कांग्रेस बिहार में अपनी रणनीति को धार दे रही है, वहीं हरियाणा में पार्टी की अंदरूनी कलह चिंता का विषय बनी हुई है। हाल ही में हुई AICC बैठक में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक दल के नेता को लेकर चल रही खींचतान ने पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। वरिष्ठ नेताओं के बीच तनातनी और स्पष्ट नेतृत्व के अभाव में कांग्रेस हरियाणा में कमजोर होती जा रही हैं।

राज्यों के हालिया चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस को बिहार में किसी भी कीमत पर बेहतर प्रदर्शन की जरूरत है। पार्टी नेतृत्व राज्य में नए समीकरण बनाने और जनता के मुद्दों को भुनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन क्या यह रणनीति कांग्रेस के डूबते सियासी ग्राफ को बचा पाएगी? यह तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे।

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