जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने विधायक दल की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बीच, सात निर्दलीय विधायकों के नेकां में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इनमें से तीन विधायक नेकां के बागी हैं, जबकि एक विधायक कांग्रेस का बागी है। यदि ये चारों विधायक नेकां में शामिल होते हैं, तो पार्टी की ताकत 46 विधायकों तक पहुंच जाएगी।
Shrinagar: जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए निर्वाचित सात निर्दलीय उम्मीदवारों में से तीन नेशनल कान्फ्रेंस में लौटने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा, कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले एक विजयी उम्मीदवार भी हाथ के बजाय हल (नेकां का चुनाव चिन्ह) को थामने की सोच रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के बागी निर्दलीय उम्मीदवार को उमर अब्दुल्ला के मंत्रिमंडल में मंत्री बनाए जाने की संभावना भी जताई जा रही है।
चुनाव परिणामों में सात निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। इनमें से तीन उम्मीदवार नेशनल कान्फ्रेंस के बागी हैं, जिन्होंने पार्टी से टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़ा और सफलता प्राप्त की। राजौरी के थन्नामंडी सीट पर भाजपा के मोहम्मद इकबाल मलिक को 6179 वोटों के अंतर से हराने वाले पूर्व जज मुजफ्फर इकबाल खान का संबंध भी नेकां से रहा है।
जज की नौकरी छोड़कर नेकां में हुए शामिल
मुजफ्फर खान को नेकां ने उम्मीदवार बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन समझौते के कारण यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। पूर्व जज के पिता, असलम खान, 2002 में राजौरी से विधायक बने थे। 2019 में मुजफ्फर खान ने जज की नौकरी छोड़कर नेकां का दामन थाम लिया था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। इसके चलते उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया और सफलतापूर्वक जीत हासिल की। अब वह एक बार फिर नेकां में शामिल होने जा रहे हैं। थन्नामंडी से कांग्रेस के मोहम्मद शब्बीर खान ने गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
इन विधायकों का नेकां में वापसी का एलान
किश्तवाड़ जिले के इंद्रवाल से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले प्यारे लाल शर्मा, जो पहले नेकां के सदस्य रह चुके हैं, अब नेकां में वापस जाने का इरादा बना रहे हैं। नेकां और कांग्रेस के बीच गठबंधन के चलते इंद्रवाल से कांग्रेस के मोहम्मद जफरुल्लाह ने चुनाव लड़ा था। प्यारे लाल शर्मा ने जब देखा कि उनका टिकट काट दिया गया, तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव में खड़े होने का फैसला लिया और इस चुनाव में विजय भी रहे। अब, उन्होंने नेकां में वापसी का एलान किया है। इसी तरह, पुंछ के सुरनकोट से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले चौधरी अकरम खान ने वर्ष 2014 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था।
कई निर्दलीय विधायक नेकां में हो सकते हैं शामिल
लगभग चार वर्ष पहले, वे जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी का हिस्सा बने थे, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने उस पार्टी से नाता तोड़कर नेकां का हाथ थाम लिया। सुरनकोट सीट से कांग्रेस के पक्ष में उम्मीदवार न उतारने के नेकां नेतृत्व के निर्णय से आहत होकर अकरम खान ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्होंने गठबंधन के उम्मीदवार मोहम्मद शहनवाज चौधरी को 8851 वोटों के अंतर से हराया।
ये सभी निर्दलीय विधायक अब नेकां में लौटने के लिए तैयार हैं और लगातार नेकां नेतृत्व के साथ संवाद और संपर्क में हैं। इंद्रवाल से निर्वाचित प्यारे लाल शर्मा बुधवार को किश्तवाड़ से श्रीनगर के लिए रवाना हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि वे गुरुवार को नेकां विधायक दल की बैठक में शामिल होंगे।
कतार में लगे ये निर्दलीय उम्मीदवार
जम्मू के छंब से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारांचद को हराने वाले निर्दलीय सतीश शर्मा (कांग्रेस के बागी) भी कथित तौर पर नेकां में शामिल होने के लिए तैयार हैं। नेकां के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी उनके साथ संपर्क साधने की कोशिश की है। यह खबर भी सामने आई है कि कांग्रेस नेतृत्व उन्हें वापस लाने की कोशिश कर रहा है।
हालांकि, सतीश शर्मा कांग्रेस नेतृत्व द्वारा की गई अपनी अनदेखी से दुखी हैं और उन्होंने लौटने का मन नहीं बनाया है। जब इस विषय में सतीश शर्मा से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनका फोन बंद मिला। इसी बीच, कठुआ जिले के बनी में भाजपा उम्मीदवार और पूर्व विधायक जीवन लाल को हराने वाले निर्दलीय डा. रामेश्वर सिंह भी नेकां में शामिल होने का मन बना चुके हैं और वे अगले एक दो दिनों में हल के निशान वाला लाल झंडा थाम लेंगे।