सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद झारखंड भाजपा पर विपक्ष के नेता के चयन का दबाव बढ़ा। विधानसभा चुनाव 2024 के बाद से अब तक नेता प्रतिपक्ष तय नहीं हुआ।
Jharkhand politics: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद झारखंड में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर भाजपा पर विधायक दल के नेता के चयन का नैतिक दबाव बढ़ गया है। 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद भी भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष की घोषणा नहीं की थी, जिससे सूचना आयोग के गठन में देरी हो रही है।
सूचना आयोग में सभी पद हैं रिक्त
झारखंड में 2020 से सूचना आयोग पूरी तरह निष्क्रिय है। मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के पद रिक्त होने के कारण अपील व शिकायतों की सुनवाई ठप है। झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता शैलेश पोद्दार द्वारा इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने झारखंड विधानसभा की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भाजपा को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपने विधायक का नाम घोषित करे। इसके बाद सूचना आयोग की चयन प्रक्रिया शुरू होगी।
भाजपा की अंदरूनी तैयारियां
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भाजपा के विधायक दल के नेता की घोषणा जल्द होने की उम्मीद है। यदि ऐसा नहीं होता, तो भी सूचना आयोग की चयन समिति के लिए भाजपा अपने किसी सदस्य को नामित करेगी।
विधानसभा में पांच साल से नियुक्तियों में देरी
भाजपा और झामुमो के बीच खींचतान के कारण सूचना आयोग के गठन में पहले भी बाधा आई। बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष मान्यता न दिए जाने और दलबदल के मामले पर सुनवाई लंबित रहने से पांच साल बर्बाद हो गए।
सूचना आयोग गठन के लिए समिति
बजट सत्र से पहले भाजपा नेता की घोषणा तय मानी जा रही है। नेता प्रतिपक्ष का नाम आने के बाद सूचना आयोग के गठन में तेजी आएगी। इससे राज्य में पारदर्शिता और प्रशासनिक कार्यों में सुधार की उम्मीद है।