कैश कांड पर कपिल सिब्बल बोले, जांच अधूरी होने तक कोई टिप्पणी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक दोष सिद्ध न हो, तब तक हर व्यक्ति को निर्दोष माना जाना चाहिए।
Justice Yashwant Verma Case: जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कथित रूप से नकदी बरामद होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे एक खतरनाक ट्रेंड करार दिया। सिब्बल का कहना है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी भी जिम्मेदार नागरिक को इस मामले पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सिब्बल की आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच रिपोर्ट, वीडियो और फोटो जारी करने के फैसले पर कपिल सिब्बल ने एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा कि यह उनके विवेक पर निर्भर करता है, लेकिन यह गलत है या सही, इसका निर्णय भविष्य में होगा। उन्होंने कहा कि अदालत से जारी होने वाले दस्तावेजों को लोग सच मान लेते हैं, लेकिन इनकी सत्यता बाद में तय होती है।
सिब्बल ने इसे एक खतरनाक मिसाल बताया और सुझाव दिया कि संस्थागत निर्णय लेने से पहले इस पर उचित परामर्श होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीशों को इन मुद्दों से निपटने के लिए एक स्पष्ट तंत्र बनाना चाहिए।
'जब तक दोष सिद्ध न हो, तब तक निर्दोष'
कपिल सिब्बल ने कहा कि जब तक कोई व्यक्ति दोषी साबित नहीं होता, तब तक उसे निर्दोष माना जाना चाहिए। इस मामले में अभी जांच भी पूरी नहीं हुई है, इसलिए किसी भी प्रकार की सार्वजनिक टिप्पणी करना अनुचित होगा। सिब्बल ने न्याय प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखने की अपील की।
कैसे सामने आया मामला?
14 मार्च को नई दिल्ली स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लगने की घटना हुई थी। इस दौरान उनके घर से कथित रूप से नकदी मिलने की बात सामने आई। यह खबर आते ही हड़कंप मच गया और बाद में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया। इस घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए।
तीन सदस्यीय कमेटी करेगी जांच
22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इस कमेटी में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अनु शिवरामन को शामिल किया गया है। यह कमेटी पूरी घटना की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। साथ ही, शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट की संशोधित आंतरिक जांच रिपोर्ट को भी सार्वजनिक किया और वीडियो व तस्वीरें साझा कीं।