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बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला: मेडिक्लेम से नहीं कटेगी मुआवजे की राशि, पॉलिसीधारकों को बड़ी राहत

बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला: मेडिक्लेम से नहीं कटेगी मुआवजे की राशि, पॉलिसीधारकों को बड़ी राहत
अंतिम अपडेट: 1 दिन पहले

बंबई उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा है कि मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत मिलने वाली राशि को मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत चिकित्सा व्यय के लिए दिए गए मुआवजे से घटाया नहीं जा सकता।

High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पॉलिसीधारकों के हित में एक बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत चिकित्सा व्यय के लिए मिले मुआवजे से मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत मिलने वाली बीमा राशि में कोई कटौती नहीं की जा सकती। इस फैसले से उन पॉलिसीधारकों को राहत मिलेगी, जो दुर्घटना के बाद दोनों प्रकार के लाभ प्राप्त करने के हकदार हैं।

मेडिक्लेम पॉलिसी और मुआवजे पर हाईकोर्ट का फैसला

बॉम्बे हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पूर्ण पीठ ने 28 मार्च को यह महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति ए.एस. चांदुरकर, न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की पीठ ने कहा कि मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत बीमाधारक को मिलने वाली राशि बीमा कंपनी के साथ किए गए अनुबंध के आधार पर दी जाती है। इसलिए मोटर वाहन अधिनियम के तहत चिकित्सा व्यय के लिए प्राप्त मुआवजे से इस राशि को कम नहीं किया जा सकता।

अदालत ने कहा कि मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत दावेदार को बीमा कंपनी द्वारा दी गई राशि पॉलिसी के अनुबंध का हिस्सा है और इसका मुआवजे से कोई संबंध नहीं है। इस प्रकार, मेडिक्लेम पॉलिसी के अंतर्गत मिली राशि में किसी भी प्रकार की कटौती उचित नहीं होगी।

पूर्ण पीठ का न्यायिक विश्लेषण

मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) के एक पूर्व निर्णय के खिलाफ न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने अपील दायर की थी। न्यायाधिकरण ने चिकित्सा व्यय के अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश दिया था, जिसे बीमा कंपनी ने चुनौती दी। कंपनी का तर्क था कि मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत पहले ही चिकित्सा व्यय कवर किया जा चुका है, इसलिए अतिरिक्त मुआवजा देना अनुचित है।

हालांकि, न्यायमित्र अधिवक्ता गौतम अंखड ने अदालत में तर्क दिया कि मोटर वाहन अधिनियम एक कल्याणकारी कानून है और इसे दावेदार के पक्ष में समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी को कोई नुकसान नहीं हुआ है, क्योंकि उसने पहले ही बीमाधारक से प्रीमियम प्राप्त किया था। अगर मुआवजे में कटौती की अनुमति दी जाती है, तो इससे बीमा कंपनी को अनुचित लाभ मिलेगा।

बीमाधारकों को मिली बड़ी राहत

न्यायालय ने कहा कि प्रीमियम का भुगतान करने के बाद बीमाधारक को मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत राशि मिलनी चाहिए, चाहे दुर्घटना का तरीका कुछ भी हो। यह भी स्पष्ट किया गया कि बीमा कंपनी मृतक की दूरदर्शिता और बुद्धिमानी से किए गए निवेश का फायदा नहीं उठा सकती। न्यायालय ने अपने फैसले में सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि दुर्घटना मुआवजा न्यायाधिकरण का कर्तव्य है कि वह उचित मुआवजा प्रदान करे, और मेडिक्लेम पॉलिसी से मिली राशि को मुआवजे में समायोजित नहीं किया जाना चाहिए।

बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले से पॉलिसीधारकों को बड़ी राहत मिली है। अब मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत प्राप्त राशि को मोटर दुर्घटना मुआवजे से काटा नहीं जाएगा। यह निर्णय न केवल बीमाधारकों के अधिकारों को संरक्षित करता है, बल्कि बीमा कंपनियों द्वारा मुआवजे में कटौती के प्रयासों पर भी रोक लगाता है।

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