महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है, जिसके चलते 23 नवंबर के चुनाव नतीजों के बाद 72 घंटे में सरकार गठन करना होगा। अगर गठबंधन नहीं बनता, तो राष्ट्रपति शासन लागू होगा। इसी कारण पार्टियों में मंथन शुरू हो गया है।
Maharashtra Election: महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव नतीजे 23 नवंबर को आने के बाद राज्य में सरकार गठन की प्रक्रिया के लिए केवल 72 घंटे का समय मिलेगा। विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद अगर नई सरकार गठित नहीं होती है, तो राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण है, और राजनीतिक दलों में सरकार गठन को लेकर गहन चर्चा शुरू हो गई है।
महा विकास अघाड़ी की बैठक
महा विकास अघाड़ी (MVA) के प्रमुख नेताओं ने मुंबई के ग्रांड हयात होटल में गुरुवार देर शाम बैठक की। इस बैठक में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), और एनसीपी के नेताओं ने सरकार बनाने की रणनीति पर विचार किया। बैठक में विधायकों को एकजुट रखने, आपसी मतभेदों को सुलझाने और मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा की गई। साथ ही, निर्दलीय और बागी विधायकों के साथ संपर्क बनाने की रणनीति पर भी चर्चा की गई, ताकि गठबंधन में किसी प्रकार की दरार न पड़े।
सीएम पद को लेकर खींचतान
महा विकास अघाड़ी के अंदर मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के बयान ने इसे और बढ़ावा दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के नेतृत्व में महा विकास अघाड़ी सरकार बनेगी। हालांकि, उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि मुख्यमंत्री का निर्णय तीनों पार्टियों के बीच बैठकर किया जाएगा। इस तरह, महाविकास अघाड़ी में सीएम पद को लेकर एक खींचतान का माहौल बना हुआ है।
महाविकास अघाड़ी का सीएम पद फार्मूला
बैठक के दौरान, महा विकास अघाड़ी ने सीएम पद को लेकर एक फार्मूला तय किया। इसके अनुसार, जिन दलों के विधायक अधिक होंगे, वह दल सीएम का पद प्राप्त करेगा। चुनावी नतीजों के बाद तीनों दलों के विधायक मिलकर मुख्यमंत्री का चयन करेंगे। शरद पवार ने सभी नेताओं को चुनावी नतीजे आने तक बयानबाजी से बचने की सलाह दी, ताकि गठबंधन में कोई तनाव न आए और महायुति को फायदा न हो।
सरकार गठन के लिए 72 घंटे का समय
राज्य में सरकार गठन के लिए केवल 72 घंटे का समय मिलेगा। यदि 26 नवंबर तक गठबंधन बनाने में विफलता होती है, तो राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, राज्यपाल को चुनाव के नतीजे आने के बाद सबसे बड़ी पार्टी या गठबंधन को सरकार बनाने का आमंत्रण देना चाहिए। अगर वह सरकार बनाने से इंकार करते हैं या बहुमत साबित नहीं कर पाते हैं, तो ही राष्ट्रपति शासन लागू किया जाएगा।
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का इतिहास
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का इतिहास जटिल रहा है। 1980 में पहली बार, फिर 2014 और 2019 में दोबारा राष्ट्रपति शासन लगाया गया। 1990 के बाद से राज्य में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, और अक्सर गठबंधन सरकारें बनी हैं। ऐसे में 23 नवंबर के बाद राजनीतिक दलों के लिए स्थिति नाजुक हो सकती है, और उन्हें राष्ट्रपति शासन से बचने के लिए त्वरित रूप से सरकार गठन की दिशा में कदम उठाने होंगे।
सियासी कवायद और बागी नेताओं की रणनीति
महाविकास अघाड़ी और महायुति दोनों ही इस बात को भली-भांति समझ रहे हैं कि किसी एक गठबंधन को बहुमत मिलना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में, दोनों दलों ने बागी उम्मीदवारों को अपने पाले में लाने की रणनीति बनाई है। महाविकास अघाड़ी में विधायकों के टूटने से बचने के लिए, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर रखने की योजना बनाई जा रही है।
अगले कुछ दिन होंगे महत्वपूर्ण
आने वाले कुछ दिन महाराष्ट्र की राजनीति के लिए बेहद अहम होंगे। यदि सरकार गठन के लिए कोई रास्ता नहीं निकलता है, तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जाएगा। इसके लिए राज्यपाल को अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाते हुए स्थिति को संभालने के लिए विवेक से काम लेना होगा।