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मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद खामोशी: इंटरनेट बंद, सड़कों पर सन्नाटा और हजारों लोग बेघर

मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद खामोशी: इंटरनेट बंद, सड़कों पर सन्नाटा और हजारों लोग बेघर
अंतिम अपडेट: 1 दिन पहले

पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला इन दिनों भारी तनाव और डर के माहौल में जी रहा है। वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन अचानक हिंसा में बदल गया, जिसके बाद जिले के कई इलाकों में भय और अराजकता का माहौल बन गया।

Murshidabad Violence 2025: पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला इन दिनों भारी तनाव और डर के माहौल में जी रहा है। वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन अचानक हिंसा में बदल गया, जिसके बाद जिले के कई इलाकों में भय और अराजकता का माहौल बन गया। इस हिंसा ने न केवल लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया, बल्कि पूरे जिले का सामाजिक ढांचा भी अस्त-व्यस्त कर दिया है। शुक्रवार को शुरू हुए इस हिंसक आंदोलन के बाद अब कुछ शांति का माहौल दिख रहा है, लेकिन स्थानीय लोग अब भी भय के साये में जी रहे हैं।

हिंसा के बाद मुर्शिदाबाद में छाई खामोशी

मुर्शिदाबाद जिले के प्रभावित इलाकों जैसे सुती, धुलियान, शमशेरगंज और जंगीपुर में अब हालात शांतिपूर्ण हैं, लेकिन यहां की सड़कों पर पसरा सन्नाटा और बंद दुकानों से साफ दिखाई दे रहा है कि यहां हाल ही में क्या हुआ था। प्रशासन ने स्थिति को काबू में रखने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSC) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। इसके परिणामस्वरूप, सड़कों पर सामान्य जीवन पूरी तरह से रुक गया है।

इंटरनेट सेवा भी पूरी तरह से बंद कर दी गई है, ताकि किसी भी प्रकार की अफवाहें या भड़काऊ मैसेज सोशल मीडिया पर न फैलें। पुलिस और सुरक्षा बलों ने पूरे जिले में गश्त बढ़ा दी है और वाहनों की जांच की जा रही है। अधिकारी दावा कर रहे हैं कि अब हालात काबू में हैं और किसी अप्रिय घटना की कोई नई सूचना नहीं है।

हिंसा में तीन की मौत, कई घायल

हिंसा के दौरान अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और कई अन्य घायल हुए हैं। कुछ उपद्रवियों ने पुलिस वैन और अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया। दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया, पथराव किया गया और पुलिस बूथ भी जला दिए गए। इस हिंसा में करीब 18 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं, जिनका इलाज विभिन्न अस्पतालों में किया जा रहा है। स्थिति के बिगड़ने के बाद, पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 180 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है।

180 से अधिक गिरफ्तारियां

पुलिस का कहना है कि इन गिरफ्तारियों के जरिए स्थिति को नियंत्रण में लाने में मदद मिली है। स्थानीय प्रशासन ने साफ किया है कि किसी को भी कानून को हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी। प्रशासन की कड़ी निगरानी में, सुरक्षा बलों ने फ्लैग मार्च शुरू किया है और इलाके में सुरक्षा को मजबूत किया गया है। सीमा सुरक्षा बल (BSF), राज्य सशस्त्र पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) को इलाके में तैनात किया गया है ताकि कोई नई हिंसा न भड़के।

सैकड़ों लोग छोड़ चुके हैं अपने घर

हिंसा के डर से हजारों लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागे हैं। इनमें से कुछ लोग भागीरथी नदी पार करके मालदा जिले में शरण लेने पहुंच गए हैं। स्थानीय प्रशासन ने राहत शिविरों और स्कूलों में उन्हें आश्रय देने की व्यवस्था की है। राहत शिविरों में अस्थायी रूप से खाने-पीने की व्यवस्था की गई है। वहीं, कुछ लोगों के घरों को जला दिया गया है और अब उनके पास लौटने के लिए कोई जगह नहीं बची है।

सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त

इस हिंसा के बाद लोगों के बीच डर और अनिश्चितता का माहौल बन गया है। स्कूल, कॉलेज और व्यापारिक केंद्र बंद हैं, और लोग घरों में सुरक्षित रहने को मजबूर हैं। खासकर सुती और शमशेरगंज इलाकों में लोग अपने घरों से बाहर निकलने में डर महसूस कर रहे हैं। कुछ लोग अपने रिश्तेदारों के घरों में शरण ले रहे हैं, जबकि कई लोगों ने जिले को छोड़कर अन्य स्थानों पर स्थायी निवास की योजना बनाई है।

इंटरनेट बंद, अफवाहों पर लगाम

प्रशासन ने इंटरनेट सेवा को पूरी तरह से बंद कर दिया है ताकि किसी भी तरह की अफवाहें और भड़काऊ सामग्री सोशल मीडिया पर न फैल सकें। अधिकारियों ने कहा कि जब तक हालात पूरी तरह से शांतिपूर्ण नहीं हो जाते, तब तक इंटरनेट सेवाएं बहाल नहीं की जाएंगी। हालांकि, इससे स्थानीय छात्रों और व्यवसायियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

स्थानीय प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती

स्थानीय प्रशासन के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। एक ओर उन्हें कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है, तो दूसरी ओर हिंसा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास की भी जिम्मेदारी निभानी है। राहत कार्यों के बावजूद, लोगों को फिर से सामान्य जीवन में लौटाने में कुछ समय लग सकता है। इस हिंसा के बाद राजनीतिक बयानबाजी का सिलसिला तेज हो गया है। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही है। 

वहीं, राज्य सरकार इस हिंसा को एक साजिश के तहत बताया है। प्रशासन ने हालांकि इसे एक कानूनी मामला बताते हुए किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप से इनकार किया है। मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि किसी भी मुद्दे पर असहमति किस कदर हिंसा का रूप ले सकती है। प्रशासन ने शांति की बहाली के लिए हरसंभव कदम उठाने का वादा किया है, लेकिन वास्तविकता यह है कि यहां के लोग अब भी डर और अनिश्चितता के माहौल में जी रहे हैं। आने वाले दिनों में जब हालात पूरी तरह से सामान्य होंगे, तब ही यहां के लोग फिर से अपने सामान्य जीवन में लौट सकेंगे।

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