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न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा विवाद; बार एसोसिएशन की मांग पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा विवाद; बार एसोसिएशन की मांग पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
अंतिम अपडेट: 2 दिन पहले

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर अधजली नकदी बरामद होने के मामले ने न्यायपालिका में हलचल मचा दी है। इस मुद्दे को लेकर देशभर के विभिन्न हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना से मुलाकात की।

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर आधी जली हुई नकदी मिलने के मामले ने न्यायिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस मुद्दे को लेकर विभिन्न राज्यों की हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के अधिवक्ता गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात की। उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बैठक के बाद बताया कि CJI ने इस पूरे मामले पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम की सिफारिश पर पुनर्विचार किया जाएगा, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का प्रस्ताव था।

बार एसोसिएशन की प्रमुख मांगें

अधिवक्ताओं के प्रतिनिधिमंडल ने CJI को ज्ञापन सौंपा, जिसमें निम्नलिखित मांगें रखी गईं:

एफआईआर दर्ज हो – अधजली नकदी बरामदगी के मामले में पुलिस या अन्य जांच एजेंसी द्वारा प्राथमिकी दर्ज की जाए।
जांच रिपोर्ट सार्वजनिक हो – दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाए।
स्थानांतरण आदेश रद्द हो – न्यायमूर्ति वर्मा के स्थानांतरण की सिफारिश को वापस लिया जाए।
प्रशासनिक कार्य बहाल हों – न्यायमूर्ति वर्मा से छीने गए सभी प्रशासनिक अधिकार बहाल किए जाएं।

घटना कैसे हुई?

 

14 मार्च की रात लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगने की सूचना के बाद अग्निशमन विभाग मौके पर पहुंचा। जब अधिकारियों ने जांच की, तो स्टोर रूम में अधजली नकदी मिली। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 22 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की सिफारिश कर दी।

न्यायमूर्ति वर्मा ने खारिज किए आरोप

न्यायमूर्ति वर्मा ने सभी आरोपों को निराधार बताया और कहा कि न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार ने कभी स्टोर रूम में नकदी रखी थी। उन्होंने कहा कि इस मामले को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। बार एसोसिएशनों की ओर से की गई मांगों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्या निर्णय लिया जाता है, इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। इस मामले में न्यायपालिका की पारदर्शिता और विश्वसनीयता के मुद्दे भी सामने आए हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर जनता का विश्वास कायम रखने की चुनौती खड़ी हो गई हैं।

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